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‘टीबीमुक्त महाराष्ट्र’ बनाने में नाकाम शिंदे सरकार! …अब करने चली बीसीजी वैक्सीन परीक्षण

-१.७० करोड़ लोगों को किया है लक्षित
-स्वयंसेवक को ढूंढ़ने की बनाई योजना
सामना संवाददाता / मुंबई
‘टीबीमुक्त महाराष्ट्र’ बनाने की दिशा में सत्तासीन शिंदे सरकार जुट तो गई, लेकिन गलत नीतियों के कारण इसके टेंशन को रोकने में अब तक नाकाम साबित हुई है। हालांकि, अब इस नाकामी को छुपाने के लिए मेगा वयस्क बीसीजी वैक्सीन परीक्षण करने चली है। इसके जरिए वयस्कों, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों में टीबी को रोकने में टीकों की प्रभावशीलता का आकलन किया जाएगा। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने टीका परीक्षण के लिए स्वयंसेवकों की खोज शुरू करने की भी योजना बनाई है, जिसके अप्रैल से शुरू होने की संभावना है। इस अध्ययन का लक्ष्य पूरे महाराष्ट्र में १.७६ करोड़ यानी कुल जनसंख्या के २० फीसदी लोगों को लक्षित करना है।
बता दें कि टीबी हमेशा ही मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र के लिए बड़ी चुनौती रही है। हर साल हजारों की संख्या में लोग टीबी से ग्रसित हो रहे हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने महाराष्ट्र को २०२५ तक टीबीमुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत सामुदायिक सपोर्ट से रोगियों के लिए पोषण, अतिरिक्त इलाज में मदद और उनके परिवार के लोगों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण का प्रबंध करना शामिल है।

मरीजों को नहीं मिल रही पर्याप्त दवाएं
लेकिन शिंदे सरकार टीबी को रोकने के लिए केंद्र के दिशा-निर्देशों का सही से पालन नहीं कर रही है। इस सरकार की उदासीनता के कारण टीबी के मरीजों को पर्याप्त दवाएं नहीं मिल रही हैं। इससे वित्तीय तौर पर कमजोर कई मरीज बीच में ही टीबी का इलाज कराना बंद कर दे रहे हैं, जो न केवल उसके बल्कि उसके परिवार और आस-पास रहनेवालों के लिए भी समस्या ख़़ड़ी कर सकती है।

पीड़ितों का राज्य सरकार पर आरोप
इस बीमारी से जूझ रहे कई मरीजों का आरोप है कि जिस तरह से शिंदे सरकार ‘टीबीमुक्त महाराष्ट्र’ अभियान में योगदान दे रही है, उसे देखकर यही लगता है कि साल २०२५ तक अभियान को साध्य करना संभव नहीं होगा। दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि बीमारी को मात देने के लिए अब बीसीजी टीके पर परीक्षण किया जाएगा। इसके लिए केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार १८ और उससे अधिक आयु के स्वयंसेवकों को इकट्ठा किया जाएगा। इसमें विशेष रूप से कमजोर समूहों से जिनमें टीबी के इतिहास वाले व्यक्ति, टीबी रोगियों के करीबी संपर्क वाले, मधुमेह जैसी सहवर्ती बीमारियों वाले लोग और धूम्रपान करने वाले लोगों को शामिल किया जाएगा। परीक्षण में उसी बीसीजी टीके का उपयोग किया जाएगा, जो जन्म के समय शिशुओं को दिया जाता है।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, वैक्सीन का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है लेकिन रोकथाम में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल पैदा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य में ८० टीबी प्रशासनिक इकाइयों में से ४० परीक्षण जिले और बाकी नियंत्रण जिले होंगे।
अप्रैल से राज्यभर में शुरू होगा अध्ययन
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पूरे राज्य में अगले महीने अप्रैल से अध्ययन शुरू होगा। वर्तमान में स्वास्थ्य अधिकारी प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं। इसके साथ ही केवल वे व्यक्ति, जो स्वेच्छा से परीक्षणों में भाग लेने के लिए सहमत होंगे, उन्हें शामिल किया जाएगा। अप्रैल या मई तक इच्छुक लाभार्थियों का चयन कर लिया जाएगा। अभ्यास जून से शुरू होगा।
किया जाएगा दीर्घकालिक विश्लेषण
राज्य टीबी विभाग वयस्क बीसीजी टीकाकरण परीक्षणों में भाग लेने के लिए विशिष्ट कमजोर समूहों के स्वयंसेवकों की तलाश कर रहा है। राज्य उच्च जोखिम वाले समूहों के लाभार्थियों की तलाश की जा रही है, जिनमें टीबी संक्रमण के इतिहास वाले ५० वर्ष से ऊपर के लोग भी शामिल हैं। टीबी की रोकथाम के लिए वयस्कों में बूस्टर बीसीजी के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक दीर्घकालिक विश्लेषण किया जाएगा।
लोकसभा चुनाव में ९५ लाख से ज्यादा खर्च नहीं कर सकेंगे कंडिडेट्स
झुंझुनू,०५ मार्च। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने खर्च की सीमा तय कर दिया है। एक प्रत्याशी अधिकतम ९५ लाख रुपए तक खर्च कर सकेगा। कोई भी प्रत्याशी इससे अधिक खर्च नहीं कर सकेंगे। अगर इससे ज्यादा खर्च किया तो अयोग्य घोषित किया जाएगा। दसके साथ ही खाने पीने रेट भी निर्धारित की गई है। हालांकि फाइनल सूची आचार संहिता लगने के बाद आएगी।
चुनाव आयोग ने खर्च को अलग अलग हिस्से में बांटा है। प्रत्याशियों को खाना के ७० रुपए एक चाय के ५ रुपए, कॉफी १३ रुपए के हिसाब से अपने खर्चे में जोड़ना होगा। वहीं समोसा, कचैरी प्रति नग ७ रुपए के हिसाब से लगेगा। बड़ा समोसा या कचौरी के रेट प्रति नग १५ रुपए लगेंगे। लड्डू २५० रुपए किलो तथा जलेबी १६० रुपए प्रति किलो के हिसाब से जुडेग़ी। वहीं गुलाब जामुन २०० रुपए किलो, रसगुल्ला २०० रुपए, बर्फी मावा २८० रुपए किलो, गाजर का हलवा ३०० रुपए प्रति किलो के हिसाब से जुड़ेगा। मूंग दाल हलवा ३०० रुपए, दाल की पकौड़ी १६० रुपए किलो के हिसाब से जुड़ेंगी। रोटी, सब्जी, चावल, रायता व सलाद यानी ६ नग व एक मिठाई का मूल्य ७० रुपए चुकाने होंगे।
इसी तरह वाहन खर्च पांच सीटर गाड़ी का २६२५ रुपए के हिसाब से दर्ज होगा। चुनाव सामग्री में भी झंडे प्लास्टिक प्रति नग २ रुपए, स्टीकर छोटा ५ रुपए के हिसाब से लगेगा। टैंट का खर्च भी फिक्सिंग साइज १५ बाय १५ का २६३ रुपए के हिसाब से लगेगा। इसी तरह केला ३० रुपए किलो, सेब १००, अंगूर १००, संतरा ५०, आम ७० रुपए किलो, पानी की कैन २० रुपए लीटर, गन्ने का रस १० रुपए प्रति गिलास के हिसाब से जुड़ेगा। कुर्सी से लेकर सोफा का मूल्य भी तय किया गया है। प्लास्टिक कुर्सी १० रुपए, पाइप कुर्सी १० रुपए, वीआईपी कुर्सी १०५ रुपए, लकड़ी की टेबल ५३ रुपए, ट्यूबलाइट १० रुपए, वीआईपी सोफा सेट पर ६३० रुपए लगेंगे। ये मंगवाने पर प्रत्याशी को उसी हिसाब से खर्च दिखाना होगा। इस चुनाव में प्रत्याशी गिनती के होते हैं। ऐसे में मॉनिटरिंग ज्यादा होती है। उनका कहना है कि आयोग की ओर से फाइनल सूची आचार संहिता लगने के बाद जारी होगी। बाकी खर्च आइटम लगभग विधानसभा चुनाव की तरह ही होते है।

 

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