सामना संवाददाता / नई दिल्ली
एशियाई ओलिंपिक क्वॉलिफायर और विश्व ओलिंपिक क्वॉलिफायर के लिए चयन ट्रायल में भाग लेने के लिए आमंत्रित करनेवाले भारतीय कुश्ती संघ के सर्वुâलर को चुनौती देनेवाली एक याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और सत्यवर्त कादियान की याचिका पर भारतीय कुश्ती महासंघ और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। याचिका में पहलवानों ने एशियाई ओलिंपिक क्वॉलिफायर और विश्व ओलिंपिक क्वॉलिफायर के लिए चयन ट्रायल में भाग लेने के लिए आमंत्रित करनेवाले भारतीय कुश्ती संघ के सर्वुâलर को चुनौती दी है। कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने भारतीय कुश्ती महासंघ के मामलों के प्रबंधन के लिए भारतीय ओलिंपिक संघ द्वारा गठित समिति से भी जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई ७ मार्च को होगी।
पहलवानों द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के मामलों के प्रबंधन के लिए भारतीय ओलिंपिक संघ द्वारा एक तदर्थ समिति का गठन किया गया था। भारतीय कुश्ती महासंघ को इसकी अवैध स्थिति के बारे में पता था, बावजूद उसने चयन ट्रायल के लिए नोटिस जारी कर दिया। हालांकि, भारतीय कुश्ती महासंघ को खेल मंत्रालय ने निलंबित कर दिया था, इसलिए उसके पास पहलवानों को ट्रायल के लिए आमंत्रित करने का कोई अधिकार नहीं है। इस याचिका में कहा गया है, जब तक प्रतिवादी नंबर २ भारतीय कुश्ती संघ को ऐसे आयोजन या ऐसे किसी भी सर्वुâलर को जारी करने से विशेष रूप से रोका नहीं जाता है, तब तक वह कुश्ती खिलाड़ियों को गुमराह करना, हेर-फेर करना, प्रभावित करना, धमकाना और अनुचित और अनावश्यक प्रतिकूलताएं पैदा करना जारी रखेगा। तदर्थ समिति ने ट्रायल के लिए तारीखें भी जारी की हैं। ये तारीखें डब्ल्यूएफआई द्वारा जारी की गई तारीखों से मेल खाती हैं।
याचिका के मुताबिक, दो समानांतर राष्ट्रीय चैंपियनशिप के परिणामस्वरूप प्रतिस्पर्धा करनेवाले एथलीटों के बीच अत्यधिक भ्रम और असमानता होगी, जिससे अंतर्राष्ट्रीय निकायों के लिए कई योग्यता वाले प्रवेश होंगे। यह रिकॉर्ड पर रखना और भी प्रासंगिक है कि याचिकाकर्ताओं की पात्रता और एक भाग लेनेवाले एथलीट के रूप में प्रामाणिकता से जानबूझकर छेड़छाड़ करने के लिए अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर प्रतिवादी नंबर २ (भारतीय कुश्ती संघ) के गलत प्रयासों से उत्पन्न होनेवाली उचित आशंकाएं हैं। इसमें डोपिंगरोधी नियामक परीक्षण भी शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।
भारतीय कुश्ती संघ पर टारगेट करने का आरोप
याचिकाकर्ता पहलवानों ने आगे तर्क देते हुए कहा कि उन्हें और दूसरे कई एथलीटों के साथ भारतीय कुश्ती संघ में अवैधताओं और बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर मुखर और आलोचनात्मक होकर आवाज उठाने के चलते भारतीय कुश्ती संघ द्वारा टारगेट कर परेशान किया गया है। याचिका में आगे कहा गया है कि प्रतिवादी नंबर २ (भारतीय कुश्ती संघ) का प्रभाव और पक्षपातपूर्ण राजनीतिक पहुंच इतनी जबरदस्त थी कि प्रतिवादी नंबर २ के पदाधिकारियों के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के मुद्दों पर एक औपचारिक शिकायत की जांच भी केवल सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप और माननीय के निर्देशों के माध्यम से ही संभव हो सकी थी।
विरोध प्रदर्शन के झंडाबरदार थे ये पहलवान
गौरतलब है कि कोर्ट का रुख करनेवाले पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और सत्यवर्त कादियान भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे। बृजभूषण शरण सिंह के कार्यकाल के बाद संजय सिंह कुश्ती संघ के प्रमुख बने। उन्हें बृजभूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है।