मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : डॉक्टर होने के बावजूद आज भी कर रहे हैं खेती

मेहनतकश : डॉक्टर होने के बावजूद आज भी कर रहे हैं खेती

अनिल मिश्र

पढ़ाई के साथ-साथ खेती करनेवाले ज्वाला प्रसाद पांडेय अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर बन गए। उनके ससुर जी महाराष्ट्र के उल्हासनगर में रहते थे अत: पहली बार वे उन्हीं की पहचान से उल्हासनगर आए और किराए का मकान और दुकान लेकर उन्होंने अपने जीवन का पहिया आगे बढ़ाया।
अपनी कठोर मेहनत के बलबूते अपनी जन्मभूमि सुलतानपुर के साथ ही कर्मभूमि महाराष्ट्र में उन्होंने एक सम्मानजनक स्थान बनाया। डॉ. ज्वाला प्रसाद पांडेय बताते हैं कि आज भी वे अपनी जन्मभूमि यानी अपने गांव जाते हैं और डॉक्टर सहित किसान वाली भूमिका को वे भली-भांति निभाते हैं।
हंसमुख और व्यवहार कुशल डॉ. पांडेय बताते हैं कि वे उत्तर प्रदेश स्थित सुलतानपुर जिले के पांडे बाबा गांव के निवासी हैं। गांव में खेती-बाड़ी करने के साथ ही उन्होंने गांव से ही बारहवीं विज्ञान की पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने बिहार से डॉक्टर की पढ़ाई की। डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद वो अपने उल्हासनगर आ गए क्योंकि उल्हासनगर में ही उनके ससुर जी भी रहते थे। कुछ दिनों तक ससुर जी के साथ में रहने के बाद डॉ. पांडेय ने उल्हासनगर में किराए पर दुकान और मकान लिया। विवाहोपरांत डॉ. ज्वाला प्रसाद पांडेय को दो बेटे हुए, जिनका नाम उन्होंने सुशोभित और विकसित रखा। दोनों ही बच्चों को डॉ. पांडेय ने सेंच्युरी रेयान हाई स्कूल में पढ़ाया। डॉक्टर की प्रैक्टिस करते हुए भी ज्वाला प्रसाद पांडेय बच्चों पर विशेष ध्यान देते थे। किराए के दवाखाने के बाद अब डॉ. पांडेय ने खुद का निजी दवाखाना शुरू किया। डॉ. पांडेय आज कमला नेहरू नगर में रहते हैं और अपने मकान के बगल में ही उन्होंने दवाखाना भी शुरू किया है। डॉ. ज्वाला प्रसाद पांडेय राज्य कामगार बीमा योजना के भी डॉक्टर बने। अपने दोनों बेटों में से बड़े बेटे को उन्होंने डेंटिशियन की पढ़ाई करवाई और छोटे बेटे को इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग करवाया। दोनों ही बच्चों को बैंक से लोन लेकर उच्च शिक्षा दिलवाने वाले डॉ. ज्वाला प्रसाद पांडेय का बड़ा बेटा उनके साथ उनकी ही डिस्पेंसरी में दंत रोग का उपचार करता है, जबकि छोटा बेटा गुड़गांव स्थित एक जापानी कंपनी में मैनेजर है। ७० वर्षीय डॉक्टर ज्वाला प्रसाद पांडेय उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद उल्हासनगर से मुंबई का दौरा करते रहते हैं और आज भी वे डॉक्टरी करने के साथ-साथ खेती भी करवा रहे हैं। ज्वाला प्रसाद पांडेय का कहना है कि महाराष्ट्र की धरती के चलते ही आज उनके साथ उनके बच्चों और पोतों का भविष्य उज्ज्वल हो सका है। डॉ. पांडेय कहते हैं कि राज्य कामगार बीमा योजना का पैनल डॉक्टर होकर वे सबसे अधिक कामगारों व उनके आश्रित लोगों को वैद्यकीय सेवा दे रहे हैं, परंतु दुख इस बात का है कि सेवा लेने के बावजूद सरकार बरसों से उनके मेहनताने को नहीं दे रही है। इस बात से खिन्न होकर डॉक्टर पांडेय योजना से त्यागपत्र देकर राम-राम करने का मन बना रहे हैं। उल्हासनगर के टीबी मरीजों का भी उपचार करनेवाले डॉ. ज्वाला प्रसाद पांडेय की इच्छा है कि वे उत्तर प्रदेश में एक अस्पताल बनवाएं।

अन्य समाचार