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संपादकीय : भ्रष्ट अधिकारियों की चयन परीक्षा!

दिल्ली से लेकर गल्ली तक सत्ता में बैठे शासक लगातार पारदर्शी शासन और स्वच्छ प्रशासन जैसे शब्दों की माला जप रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की सोशल मीडिया की टिड्डियां भी २४ घंटे सरकार की आरती में मगन रहती हैं। ‘भाजपा का राज यानी सुशासन’ होने का दावा ‘पोस्ट’ के मार्फत ये टिड्डियां लगातार करती रहती हैं। हालांकि, देशभर में हर दिन किसी न किसी परीक्षा के पेपर लीक किए जा रहे हैं और बेचे जा रहे हैं, ऐसे में इस तथाकथित स्वच्छ प्रशासन के घोड़े कहां घास खा रहे हैं? पारदर्शी शासन का दावा करने वाले शासकों से और उनके चारणों से यह सवाल पूछा जाना चाहिए। कश्मीर से कन्याकुमारी तक सरकारी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक करने का धंधा इस समय देश के कई राज्यों में चल रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो खुद को अपराधियों का कर्दनकाल कहते हैं। फिर भी अगर किसी सरकारी विभाग में कोई भर्ती परीक्षा होती है, तो परीक्षा से पहले उत्तर प्रदेश में वह प्रश्न पत्र बाजार में आ जाता है और एक तरह से उस सरकारी पद के लिए बोली लगाई जाती है। पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश सरकार को प्रश्न-पत्र लीक की घटनाओं के कारण लगातार दो महकमे की परीक्षाएं रद्द करने से आई मुश्किलात का सामना करना पड़ा। ताजा मामला उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती का है। बताया जा रहा है कि अन्य विभागों में पेपर लीक की घटनाओं से सतर्क उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस भर्ती परीक्षा में किसी भी तरह के घोटाले से बचने के लिए व्यापक इंतजाम किए थे। लेकिन फिर भी पुलिस भर्ती का पेपर लीक हो गया और इस परीक्षा को रद्द करना पड़ा। राजस्थान में पेपर लीक का वाकया तो और भी चकराने वाला है। सरकारी भर्ती पेपर लीक करने का रैकेट चलाने वाले एक प्रवचनकार महाराज ने न केवल अपनी आठवीं फेल पत्नी को पुलिस भर्ती परीक्षा पास कराकर सब-इंस्पेक्टर बना दिया, बल्कि उससे पहले उसे ‘बीए’ की बोगस डिग्री भी दिला दी। राजस्थान में पेपर लीक मामले में अब तक ३६ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से ३५ प्रशिक्षु पुलिस उपनिरीक्षक हैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस भर्ती परीक्षा में राज्य में टॉप करने वाले नरेश बिश्नोई? को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ऐसा ही एक भर्ती घोटाला गुजरात में भी उजागर हुआ। महाराष्ट्र में भी जल संरक्षण विभाग की भर्ती में पेपर लीक होने के बाद दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, हाल के दिनों में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य भर्ती, म्हाडा परीक्षा, कोतवाल भर्ती में घोटाले भी इसी तरह फेमस हुए। २३ अगस्त को तलाठी भर्ती परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ था। पिछले कुछ सालों में राज्यों में इस तरह से भर्ती के पेपर लीक करने वाले रैकेट सक्रिय हो गए हैं। इस रैकेट के सरगनाओं और उनके लिए काम करने वाले दलालों ने सरकारी भर्ती की पूरी प्रक्रिया को बर्बाद कर दिया है। पढ़-लिखकर सरकारी भर्ती प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने की बजाय, पैसे फेंककर और प्रश्न-पत्र खरीदकर परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का यह शॉर्टकट चयन प्रक्रिया दलालों द्वारा अमीर माता-पिता के बच्चों को उपलब्ध कराया गया है। पेपर लीक के विभिन्न मामलों के सूत्रधारों और प्रश्न-पत्र खुलेआम बेचने वाले दलालों को राजनीतिक संरक्षण के बिना, इतने बड़े पैमाने पर पेपर लीक की घटनाएं होना असंभव है। पिछले सात वर्षों में देशभर में ७० से अधिक परीक्षा प्रश्न-पत्र लीक हुए। परीक्षा से पहले ही सरकारी भर्ती पेपर्स की खूब खरीद-फरोख्त होती है और इस बाजार में प्रतिभाशाली और वास्तव में योग्य उम्मीदवार मौके चूक जाते हैं। भ्रष्ट तरीकों से परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले बड़ी संख्या में उम्मीदवार अधिकारी और कर्मचारी के रूप में सरकारी सेवा में शामिल होते हैं। केंद्र सरकार अब भ्रष्ट अधिकारियों के लिए चयन परीक्षा के इस गोरखधंधे को रोकने के लिए एक विधेयक लेकर आई है, लेकिन इस कानून से क्या सचमुच सरकार के दलालों की नकेल कसी जाएगी?

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