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ईडी सरकार का ‘कार्टेल सिस्टम’ महाघोटाला! … मंत्रालय के हर विभाग में केवल ४ कंपनियों से हजारों करोड़ की खरीदारी!

कूड़ेदान से लेकर सॉफ्टवेयर तक में खाई जा रही मलाई
चार में से दो कंपनियों का मालिक एक

सामना संवाददाता / मुंबई
घाती सरकार की ओर से कूड़ेदान से लेकर सॉफ्टवेयर तक हजारों करोड़ रुपए की खरीदारी केवल ४ निर्धारित कंपनियों से ही की जा रही है, इसका खुलासा हुआ है। कार्टेल सिस्टम पद्धति से यह महाघोटाला किया जा रहा है, जिसमें सरकार के विभिन्न विभागों के शीर्ष अधिकारियों और संबंधित कंपनियों के अधिकारियों की मिलीभगत होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने इस संबंध में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर इस मामले की जांच कराने की मांग की है। पिछले कुछ महीनों में सरकार के विभिन्न विभागों में कंप्यूटर, टैबलेट सहित अन्य सामग्रियों की खरीदारी के लिए निविदाएं प्रकाशित की गई थीं। इनमें से पात्र निविदाधारकों की जानकारी सरकार के आधिकारिक पोर्टल से लिए जाने के बावजूद केवल ४ कंपनियों को ही हर सरकारी विभाग में पात्र मान लिया गया, ऐसा दानवे ने पत्र में उल्लेख किया है।
दानवे ने यह भी दावा किया है कि यह घोटाला कार्टेल सिस्टम पद्धति से किया जा रहा है और उनके पास इसके सबूत भी हैं। चार में से दो कंपनियों का मालिक एक ही व्यक्ति है और उनका कार्यालय और जीएसटी पंजीकरण का पता एक ही इमारत में है। यही दोनों कंपनियां विभिन्न विभागों की निविदाओं में बारी-बारी से पहले और दूसरे स्थान पर पात्र ठहराई जाती हैं। इसके बाद तीसरे और चौथे नंबर की कंपनियों से सामग्री खरीदी जाती है। इससे होने वाला वित्तीय लाभ सभी पात्र कंपनियों के खाते में स्थानांतरित किया जाता है। दानवे ने पत्र में कहा है कि अगर इन कंपनियों के आंतरिक लेन-देन की जांच की जाए तो महाराष्ट्र में एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हो जाएगा।
घोटालेबाज कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करें
दानवे ने यह भी बताया है कि कार्टेल सिस्टम के कारण कोई अन्य कंपनी टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं ले पार्इं। ऐसे में कई विभागों ने इन चार कंपनियों से अत्यधिक कीमतों पर सामग्री खरीदकर राज्य को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। दानवे ने यह भी मांग की है कि इन सभी कंपनियों की तत्काल जांच कर इन पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इसके साथ ही ऐसी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए।

…ऐसे हुई खरीदारी
 शिक्षा विभाग- इस विभाग ने टैब लैब, कंप्यूटर लैब, डिजिटल स्कूल, लैंग्वेज लर्निंग लैब के लिए २५० करोड़ रुपए का ठेका नासिक की मिनिटेक सिस्टम इंडिया प्रा. लि. और मुंबई में एडुस्पार्क इंटरनेशनल प्रा. लि. को दिया।
 उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग – इस विभाग ने कंप्यूटर लैब के लिए ११० करोड़ रुपए का ठेका मिनिटेक सिस्टम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और एडुस्पार्क इंटरनेशनल प्रा. लिमिटेड कंपनी को दिया।
 जल आपूर्ति विभाग- इस विभाग ने वेंकटेश पॉली मोल्ड और एजुस्पार्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों से ३४० करोड़ रुपए के कूड़ेदान खरीदे।
 रोजगार गारंटी विभाग – इस विभाग ने फील्ड वर्करों के लिए नाइस कंप्यूटर से १०० करोड़ रुपए का टैब खरीदा। केंद्र सरकार के पोर्टल पर नि:शुल्क उपलब्ध होने वाले सॉफ्टवेयर को विभाग ने एक निजी कंपनी से ४० करोड़ में खरीदा।

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