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कभी-कभी : एक साथ पूरे हुए दो-दो ख्वाब

यू.एस. मिश्रा

अपने पसंदीदा व्यक्ति से हर इंसान जीवन में एक न एक बार जरूर मिलना चाहता है। दिल जिसे चाहता है अगर वो इंसान कभी अचानक सामने मिल जाए तो खुद पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहा है। कुछ ऐसा ही हुआ बीते जमाने के मशहूर असमिया पार्श्व गायक भूपेन हजारिका के साथ, जो अपने जमाने के मशहूर प्रोड्यूसर, गायक और संगीतकार हेमंत कुमार के बहुत बड़े पैâन थे। भूपेन हजारिका अपने गानों की रॉयल्टी लेने एक म्यूजिक कंपनी के दफ्तर में गए और वहां बैठकर एक गीत गुनगुना रहे थे कि तभी उनका गीत सुनकर उनके सामने एक आदमी उपस्थित हुआ और उसका नाम सुनकर वे अवाक रह गए।
८ सितंबर, १९२६ को असम के शहर सदिया में पिता नीलकंठ और मां शांतिप्रिया हजारिका के घर भूपेन हजारिका का जन्म हुआ। दस बच्चों में सबसे बड़े, भूपेन हजारिका सहित उनके सभी भाई-बहनों का परिचय उनकी मां ने लोरी और असम के पारंपरिक संगीत से करवाया। संगीत में रुचि रखनेवाले गीतकार, संगीतकार, कवि, अभिनेता, कलाकार, संपादक, फिल्म निर्माता, प्रोफेसर और राजनीतिज्ञ भूपेन हजारिका बचपन से ही संगीतकार और गायक हेमंत कुमार के बहुत बड़े पैâन होने के साथ ही उनकी आवाज के दीवाने थे। भूपेन हजारिका हेमंत कुमार को न केवल अपना गुरु, बल्कि उन्हें अपनी प्रेरणा भी मानते थे। बचपन से ही गाने का शौक रखनेवाले भूपेन हजारिका बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट विविध कंपनियों के लिए गीत भी गाया करते थे। खैर, बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट गीत गाने के लिए उन्हें कंपनी द्वारा रॉयल्टी भी मिलती थी। एक दिन वो यही रॉयल्टी लेने के लिए कोलकाता के एक प्राइवेट म्यूजिक कंपनी में गए हुए थे। म्यूजिक कंपनी में पहुंचते ही उन्होंने देखा कि वहां रिसेप्शन पर काफीr भीड़ इकट्ठा थी। रिसेप्शन पर इकट्ठा भारी भीड़ को देखते हुए भूपेन हजारिका वहां कंपनी में रखी एक चेयर पर कोने में बैठ गए। इतनी भीड़ के चलते उनका नंबर जल्द नहीं आनेवाला था। अत: समय काटने के लिए अब उन्होंने एक असमिया गीत कोने में ही बैठकर गुनगुनाना शुरू कर दिया। सामने स्थित मैनेजर की केबिन में बारी-बारी से वहां इकट्ठे लोगों में से एक-एक कर लोग अंदर और बाहर आ-जा रहे थे और बाहर सीट पर बैठे हुए भूपेन हजारिका अपनी धुन में गीत गुनगुनाते हुए अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे। अभी वो गीत गुनगुना ही रहे थे कि तभी एक आदमी अचानक उनके सामने आकर खड़ा हो गया। अपने सामने इस कदर किसी को खड़ा देखकर भूपेन हजारिका हिचकिचा गए। अब उस आदमी ने उनसे नमस्कार करते हुए कहा, ‘नमस्कार, मैं हेमंत कुमार हूं। तुम बहुत अच्छा गाते हो। सामने बैठकर मैं तुम्हें वहां काफी देर से गुनगुनाते हुए सुन रहा था। तुम्हारा क्या नाम है?’ अब हेमंत कुमार का नाम सुनकर भूपेन हजारिका भौचक्के रह गए और उनका मुंह खुला का खुला रह गया, जिस इंसान के वो इतने बड़े दीवाने और पैâन थे उसे इस तरह अपने सामने अचानक खड़ा देखकर उन्हें अपने आप पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उन्होंने हेमंत कुमार को कभी देखा ही नहीं था। उन्होंने सिर्फ उनके गीत और संगीत को ही सुन रखा था। हेमंत कुमार को इस तरह अपने सामने खड़ा देख भूपेन हजारिका की समझ में नहीं आ रहा था कि वो उनसे क्या कहें और क्या न कहें? लेकिन अंतत: उन्होंने हिचकिचाते हुए कहा, ‘मेरा नाम भूपेन हजारिका है। मैं यहां इस म्यूजिक कंपनी में अपने गानों की रॉयल्टी लेने आया था। सच कहूं तो मैं आपका भक्त हूं और मैं आपके जैसा ही बनना चाहता हूं।’ भूपेन हजारिका की बात सुनने के बाद अब हेमंत कुमार ने उन्हें अपने साथ चलने को कहा। अब भूपेन हजारिका हेमंत कुमार के कहे अनुसार उनके पीछे-पीछे हो लिए और कंपनी से बाहर निकलने के बाद हेमंत कुमार एक टैक्सी में भूपेन हजारिका को बिठाकर चल दिए। टैक्सी में हेमंत कुमार की बगल में बैठे भूपेन हजारिका को अपने आप पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनके साथ आज जो कुछ भी घट रहा है वो सपना है या हकीकत। भूपेन हजारिका के मन में उठ रहे सवालों का ज्वार उस समय थमा जब उनकी टैक्सी कोलकाता स्थित एचएमवी म्यूजिक कंपनी के ऑफिस के सामने जाकर रुक गई। अब एचएमवी म्यूजिक कंपनी में पहुंचने के बाद हेमंत कुमार ने कंपनी वालों से भूपेन हजारिका के नाम की सिफारिश कर दी। अब हेमंत कुमार की सिफारिश पर भूपेन हजारिका को तुरंत एक अलबम के लिए साइन कर लिया गया। अब इसे भूपेन हजारिका की किस्मत कहें या ऊपरवाले का करिश्मा। ऊपरवाले ने न केवल उन्हें हेमंत कुमार से मिलवाया, बल्कि एचएमवी म्यूजिक जैसी बड़ी कंपनी के लिए अलबम रिकॉर्ड करने का मौका उन्हें अपने पसंदीदा गायक और संगीतकार हेमंत कुमार की बदौलत मिल गया।

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