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संडे स्तंभ : बाग-बाग मुंबई के गार्डन!

विमल मिश्र

२०२१ में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने मुंबई को ‘ट्री सिटी ऑफ दि वर्ल्ड’ का दर्जा दिया। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मान के अनुरूप मुंबई उद्यान नगर भले नहीं बन पाया हो, पर यहां की तकरीबन हर सड़क के किनारे आपको हर तरह के वृक्ष मिल जाएंगे। मुंबई के कई उद्यान शहर आने वाले किसी भी सैलानी की तफरीह का अनिवार्य हिस्सा हैं।

शाम के धुंधलके में जब दिलीप कुमार पार्क में टहलने आते, ‘इमली का बूटा’ गाते बच्चे और जवान न जाने कहां से टपककर आटोग्राफ बुक सामने बढ़ा देते। उन्हें जॉगर्स पार्क की भीड़ के धक्के से बचाने में ‘ट्रेजेडी किंग’ के बॉडीगार्ड को पसीने आ जाते। यही हाल सलमान खान, ऋषि कपूर, अनिल कपूर, प्रेम चोपड़ा, रीना राय, नीलम और दिलीप धवन जैसे सितारों के यहां आने पर होता। वीकेंड के दिन तो दूर-दूर से लोग पहले से आकर बांद्रा के इस उद्यान में जम जाते। मौके की ऐसी जगह, जहां से फिल्मी सितारों पर नजर रखी जा सकती। आज जॉगिंग के लिहाज से देश के सबसे मशहूर इस उद्यान की ठसाठस भीड़ को देखकर आपको विश्वास नहीं होगा कि १९९० में जब यह खुला तो लोग यहां प्रवेश के लिए एक रुपया भी देने के लिए तैयार नहीं थे!
गेम खेलते व रेशमी घास में उलटी-पलटी करते बच्चे, सैर-सपाटे, रोमांस, गप्प व संगीत गोष्ठी, मेल-मिलाप, पिकनिक करते परिवार व निकटजन, लाफ्टर क्लब, दोपहर के टिफिन, नींद‌ निकालने और विश्राम का स्थान, मुंबई के पार्क व उद्यानों के बहुतेरे उपयोग हैं। शायद ये ऐसे एकमात्र सार्वजनिक स्थान हैं, जहां आम पब्लिक अपने मनपसंद सिलेब्रिटीज को देख सकती है। फिल्मी सितारों के पसंद के पार्क क्वींस सबर्ब, पाली हिल, विल पार्ले और अंधेरी के सबर्बन ठिकानों पर हैं, तो धन कुबेरों के मलबार हिल, कफ परेड, कोलाबा और वर्ली जैसी पॉश जगहों पर। नेपियन सी रोड के प्रियदर्शनी पार्क, महालक्ष्मी के रेस कोर्स और कोलाबा के सागर उपवन और कोलाबा वुड्स में रतन टाटा और मुकेश अंबानी जैसे कॉर्पोरेट दिग्गज कभी-कभी टहलने आया करते हैं। मुंबई रेसकोर्स के उद्यान में तो कुछ बिगड़े नबाब साथ में अपने कुत्तों को भी टहलाने लाते हैं।
वृक्ष नगर
२०२१ में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने मुंबई को ‘ट्री सिटी ऑफ दि वर्ल्ड’ का दर्जा दिया। इसने मुंबई महानगरपालिका का उत्साह बढ़ाया। मुंबई उद्यान नगर भले नहीं बन पाया हो, पर यहां की तकरीबन हर सड़क के किनारे आपको वृक्ष मिल जाएंगे। मनपा ने वृक्षारोपण के साथ उद्यान भी विकसित किए हैं। मुंबई विश्वविद्यालय, एसएनडीटी, आईआईटी, बीएआरसी, आरसीएफ जैसी सरकारी संस्थाओं के साथ गोदरेज व महेंद्रा सरीखे निजी उद्यमों के भी अपने निजी उद्यान हैं। मुंबई के लोग अपने राह-रास्तों, वनों, उद्यानों और दूसरी जगह उगने वाले पेड़ों और उनके फूलों के बारे में जान पाएं, इसलिए मनपा ने रानी बाग सहित अपने कई उद्यानों में उनका प्रकार, खिलने के समय, आदि जरूरी जानकारी देने वाले सूचना फलक लगाए हैं।
कमला नेहरू पार्क
हैंगिंग गार्डन में बने डेक्स और पश्चिम की ओर कमला नेहरू पार्क की व्यूइंग गैलरी से देखा क्वींस नेकलेस मरीन ड्राइव और गिरगांव चौपाटी का खूबसूरत नजारा भूलने लायक नहीं है। कमला नेहरू पार्क में बच्चों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है बैंडस्टैंड, विशाल समर हाउस, १० फुट ऊंचा शंख, विशाल जूते के आकार में बना वॉच टावर ‘बुढ़िया का जूता’, पास के रिज पर तांबे में मुंबई का विशाल नक्शा और तिरंगे फूलों की वाटिका के बीच अशोक चक्र। कमला नेहरू पार्क का नामकरण २३ दिसंबर, १९५२ को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू के नाम पर किया गया था।
छोटा कश्मीर
जिन दिनों आउटडोर शूटिंग्स कॉमन नहीं हुई थीं फिल्मों में शिमला, नैनीताल, ऊटी के हिल स्टेशन और उनकी हरी -भरी घाटियां दिखाने के लिए मुंबई में होते थे नेशनल पार्क, माथेरान, खंडाला-लोणावाला और पवई, विहार व दहिसर झीलों जैसे स्थान और फिल्मसिटी से सटी गोरेगांव की सुरम्य आरे कॉलोनी। प्राकृतिक दृश्यों की भरमार के कारण ‘मधुमती’, ‘तुमसा नहीं देखा’, ‘दिल देके देखो’ और ‘जानवर’ जैसी हिट फिल्मों के दिलफरेब संगीत के कारण अवलोकन स्थल ‘ओपी’ के साथ पहाड़ी की ढलान पर नारियल के पेड़ों के झुरमुट वाला आरे का एक हिस्सा ‘छोटा कश्मीर’ के नाम से विख्यात हो गया।
सागर उपवन
कोलाबा के कंक्रीट जंगल के बीच करीब १२ एकड़ में पैâले सागर उपवन से अरब सागर का जैसा विस्तार दिखता है, वैसा मुंबई में कम ही जगहों से दिखता होगा। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की हाउसिंग कॉलोनी और ससून डॉक के बीच दो टीलों में ३६५ किस्म की वनस्पतियों, वृक्ष व फूलों को समेटने वाले इस बीपीटी गार्डन की शोभा देखकर यह कल्पना ही कठिन लगती है कि १९९५ से पहले यह स्थान उजाड़, बंजर, कबाड़ भरा दलदली इलाका रहा होगा। इसके कायाकल्प का श्रेय पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों व स्थानीय नागरिकों के साथ वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर इंडिया संस्था को भी है, जिसने ससून डॉक से आती मछलियों की बू से बचने के लिए बफर जोन के रूप में इसका निर्माण कराया था।
कोलाबा वुड्स
पूरा कोलाबा ही उद्यानों से भरा हुआ है। ३.२४ हेक्टेयर पर १९८६ में बना मशहूर कोलाबा वुड्स गार्डन यहीं है। ताज प्रेसिडेंट होटल के पास इस जगह को देखकर भला कौन कह सकता है टाटा इलेक्ट्रिक कंपनी ने मुंबई महानगरपालिका से लीज पर लेकर जिस जगह इसका निर्माण किया वह मूलत: एक कचराघर था। कोलाबा वुड्स में स्केटिंग रिंक और प्ले एरिया के साथ एक नन्हा सा एंफीथिएटर भी है। यहां सौ से अधिक प्रजातियों के १,००० से अधिक वृक्ष हैं। इसे अर्बन हेरिटेज अवॉर्ड भी मिल चुका है। जापानी मियावाकी वनारोपण ने इसकी शोभा और बढ़ा दी है।
फाइव गार्डंस
‘उन्हें इस बगीचे के एक-एक पेड़ की जानकारी थी’, फाइव गार्डंस के संस्थापक मंचेरजी एडलजी जोशी की पौत्री जरीन प्रसिद्ध पारसी संरक्षक और इंजीनियर १७ वर्ष नगरसेवक रहे अपने दादा के बारे में बता रही थीं। माटुंगा और किंग्स सर्किल स्टेशनों से पैदल दूरी पर फाइव गार्डन क्षेत्र प्रसिद्ध दादर पारसी कॉलोनी का हिस्सा है। नाम नहीं, यहां सचमुच पांच उद्यान हैं। १९वीं शताब्दी की शुरुआत में ये बगीचे मंचेरजी एडलजी जोशी के प्रयासों से धनिक पारसियों के लिए बनाए गए थे।
हॉर्निमन सर्कल गार्डन
मस्ती करते बच्चे, सुस्ताते सीनियर सिटिजंस, हवाखोरी करते ऑफिस गोअर्स और कवि‌ गोष्ठी आयोजित करते साहित्यरसी और आमंत्रण देता-सा लगता शाही ठाठ का रॉट आ‌इरन का प्रवेश द्वार। यह गार्डन प्रदूषण से भरे फोर्ट का हरियाला फेफड़ा है, जिसकी शान है मध्य में स्थित फव्वारा। तीन एकड़ में पैâला यह बाग उपेक्षा और मेंटिनेंस की कमी से एक वक्त झाड़-झंखाड़ में बदल गया था। वृक्षारोपण, रंगीन रेलिंग्ज, शानदार फ्लोरिंग, आदि से उसे टाटा ग्रुप ने नया रूप दिया। २०१६ में हॉर्निमन सर्किल गार्डन ट्रस्ट से इसका प्रबंध हाथ में लेने के बाद मुंबई मनपा ने भी इसकी सुध ली। नौ करोड़ रुपए से हुए मेकओवर ने ग्रेड-१ के इस विरासत स्थल को और दर्शनीय बना दिया है। (जारी)
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर
संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)

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