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मानव-वन्यजीव संघर्ष से संकट में सरकारी खजाना!

-तिजोरी पर पड़ा रु. ४६ हजार करोड़ का बोझ

सामना संवाददाता / मुंबई

एक तरफ राज्य में बाघों और जंगली जानवरों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी तरफ जंगल पर इंसानों का अतिक्रमण भी बढ़ गया है। इससे इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष भी बढ़ रहा है। मानव और वन्यजीव संघर्ष की इस लड़ाई में राज्य का सरकारी खजाना संकट में पड़ता हुआ नजर आ रहा है। जंगली जानवरों के हमलों में मारे गए लोगों के परिवारों को दिए जानेवाले मुआवजे और जंगली जानवरों द्वारा कृषि फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई सहायता के कारण खजाने पर ४६,३०७ करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में ६ राष्ट्रीय उद्यान, ५० अभयारण्य, २७ संवर्धन आरक्षित क्षेत्र सहित कुल ८३ संरक्षित क्षेत्र हैं। इसमें मेलघाट, पेंच, ताडोबा, अंधारी, सह्याद्री, नवेगांव-नागझिरा और बोरासे नामक छह बाघ अभयारण्य हैं। राज्य में राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों और बाघ अभयारण्यों की प्रचुरता से बाघों और जंगली जानवरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। दूसरी तरफ इंसानों ने जंगल पर कब्जा करना शुरू कर दिया है। बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण मानव और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। बाघों के हमलों के कारण इंसानों की मौतें बढ़ रही हैं, जबकि पेड़ों की कटाई से जंगल कम होते जा रहे हैं। इससे जंगली जानवर गाय, बैल, बकरी और भेड़ों का शिकार कर रहे हैं। दूसरी ओर कृषि फसलों का भी भारी नुकसान हो रहा है। जंगली जानवरों के हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है। इसी तरह खेती में फसलों का नुकसान होने पर भी आर्थिक सहायता दी जाती है। पिछले छह वर्षों में राज्य सरकार ने मानव मृत्यु, पशुधन मृत्यु और फसल क्षति के मुआवजे के रूप में कुल ४६,३०७ करोड़ रुपए दिए हैं।
बाघों की बढ़ती संख्या
देश में पांचवीं बाघ जनगणना २०२२ में भारतीय वन्यजीव संस्थान और एनटीसीए द्वारा देहरादून में आयोजित की गई थी। इस बाघ गणना रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में कुल ४४४ बाघ पाए गए। पिछले पांच सालों में महाराष्ट्र में बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है।
बाघों की मौत चिंताजनक
राज्य में २०२३ से नवंबर २०२३ के बीच ३८ घटनाओं में कुल ४० बाघों की मौत हुई है। इसमें बाघों के ८ पिल्ले मरे हैं। एक बाघ को जहर देकर उसका शिकार किया गया, जबकि तीन बाघों की मौत बिजली के करंट से हुई है।
बाघ के हमले से होती हैं ज्यादातर मौतें
मानव-वन्यजीव संघर्ष में वर्ष २०२३-२४ में अब तक ३३ व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। इनमें से अधिकतर मौतें बाघ और तेंदुए के हमलों के कारण हुई हैं। तेंदुए के हमले में ९ और बाघ के हमले में १९ लोगों की मौत हो चुकी है। बाघ के हमले में सबसे ज्यादा ६ लोगों की मौत चंद्रपुर में हुई। इसके साथ ही नागपुर में चार और गढ़चिरौली और चंद्रपुर में तीन लोगों की मौत हो गई।
इन जानवर के हमले में मिलती है सहायता
जानकारी के अनुसार, बाघ, तेंदुआ, भालू, बकरी, जंगली सूअर, भेड़िया, लकड़बग्घा, सियार, मगरमच्छ, हाथी, जंगली कुत्ता के हमलों में सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता मिलती है। इसमें जंगली जानवर के हमले से किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर २५ लाख रुपए, स्थाई विकलांगता होने पर ७.५० लाख, गंभीर चोट लगने पर ५ लाख और घायल होने पर ५० हजार रुपए की वित्तीय मदद मिलती है। आंकड़ों के मुताबिक, साल २०२३-२४ में तेंदुए के हमलों में नौ, बाघ के हमलों में १९, भालू के हमले में दो, जंगली भैंस के हमलों में एक और हाथी के हमले में दो लोगों की मौत हुई है।

साल- राज्य में बाघों की संख्या
२००६-१०३
२०१०-१६९
२०१४-१९०
२०१८-३१२
२०११-४४४

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