मुख्यपृष्ठनए समाचारयोगी के जिले का अनोखा नजारा... २६ गांवों ने कहा, ‘भाजपा आउट’!

योगी के जिले का अनोखा नजारा… २६ गांवों ने कहा, ‘भाजपा आउट’!

-गांववालों ने लग रखे हैं बहिष्कार के पोस्टर

-सरकार ने जमीन का मुआवजा दिया काफी कम

सामना संवाददाता / गोरखपुर

लोकसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं लोग अपनी मांगों को लेकर मुखर हो रहे हैं। अब इसी क्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में २६ गांवों के ग्रामीणों ने भाजपा के खिलाफ ताल ठोक दी है। इन ग्रामीणों का कहना है कि इस बार वे अपने गांवों में भाजपा नेताओं को घुसने नहीं देंगे। उन्होंने वहां से भाजपा को आउट कर दिया है।
गोरखपुर के २६ गांवों में भाजपा के बहिष्कार के पोस्टर लग गए हैं। भाजपा के लिए यह परेशानी की बात इसलिए है क्योंकि यूपी में सबसे ज्यादा ८० लोकसभा की सीटें हैं और योगी ने मिशन ३७० के लिए पूरी जान झोंक दी है। मगर अब खुद के गृह जिले में इस तरह की घटना ने भाजपा को परेशान कर दिया है। बता दें कि गोरखपुर जिले में बाईपास निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि का कम मुआवजा पाने से ये ग्रामीण नाराज हैं। अब इन २६ गांवों के किसानों ने ‘उचित मुआवजा नहीं तो भाजपा को वोट नहीं’ का नारा बुलंद करते हुए बैनर और पोस्टर लगा दिए हैं। किसानों के इस रुख से भाजपा और प्रशासन खासा परेशान है। पुलिस ने बालापार गांव में दो बार जाकर बैनर उतारे पर किसानों ने उन्हें फिर से टांग दिया। पुलिस किसानों के परिवारों को धमका भी रही है। दरअसल, गोरखपुर जिले में नेशनल हाईवे २८ पर कोनी जगदीशपुर गांव से लेकर नेशनल हाईवे २९ ई पर मानीराम तक २६.६१६ किलोमीटर का फोर लेन बाईपास (रोड रिंग) रोड बनाया जा रहा है।

नेशनल हाईवे प्राधिकरण द्वारा बनाए जा रहे इस बाईपास के लिए २६ गांवों की १५५.६२४५ हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की गई है। इनमें बैजनाथपुर, बालापार, बनगाई, बनकटिया खुर्द, बनकटी उर्फ इटहिया, बूढाडीह, जंगल औराही, बेलवा रायपुर, वैâथवलिया, कोनी, जंगल अहमद अली शाह उर्फ तूरा, करमहा, महमूदाबाद उर्फ मोगलपुरा, मठिया, मानीराम, परसिया, रहमत नगर, मौला खोर, नैयापार खुर्द, नरायनपुर दोयम, रमवापुर, सराय गुलरिया, रसूलपुर, ताल जहदा, सिहोरिया, सोनराइच गांव शामिल हैं। यह बाईपास कोनी गांव से शुरू होकर इन गांवों से होता हुआ मानीराम में गोरखपुर-सोनौली मार्ग में मिल जाएगा। बाईपास बनाने के लिए अक्टूबर २०२१ में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई। उस समय कहा गया कि प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा लेकिन जब मुआवजे का निर्धारण किया गया तो उनके होश उड़ गए क्योंकि निर्धारित मुआवजा बाजार दर से काफी कम था।
बाईपास के लिए इन गांवों में अधिग्रहीत जमीन काफी अहमियत वाली है क्योंकि इसमें तमाम किसानों की जमीन व्यावसायिक प्रकृति की भी है और खेती के लिहाज से बहुफसली है। प्रभावित किसानों की मांग थी कि उनकी जमीन का मुआवजा बाजार दर से निर्धारित किया जाए क्योंकि जिस सर्किल रेट पर मुआवजा तय किया जा रहा है, उसे वर्ष २०१६ से बढ़ाया ही नहीं गया है। यहां उल्लेखनीय है कि यूपी में योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद गोरखपुर जिले में सर्किल रेट नहीं बढ़ाया क्योंकि विकास योजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में भूमि अधिग्रहण किया जाना था। यूपी की सत्ता में आने के बाद सड़क चौड़ीकरण, फोर लेन, सिक्स लेन सहित तमाम योजनाओं के लिए किसानों की काफी जमीन ली गई, जिसका मुआवाजा २०१६ के सर्किल रेट से निर्धारित किया गया। इस वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ। बाईपास निर्माण से प्रभावित किसानों ने प्रशासन से कई बार बातचीत कर उचित मुआवजा दिए जाने की मांग रखी। किसान मुख्यमंत्री से भी मिले। उन्हें हर बार आश्वासन मिला कि उचित मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन मुआवजा वितरण की प्रक्रिया जारी रहने के बीच में भी पिछले वर्ष बाईपास का निर्माण शुरू कर दिया गया। किसानों के विरोध को दरकिनार करते हुए कई स्थानों पर उनकी फसल रौंद दी गई। किसानों ने संगठित होकर जब जगह-जगह पंचायत शुरू की तो जिला प्रशासन की ओर से कहा गया कि वे जिलाधिकारी के पास आर्बिट्रेशन दाखिल करें जिस पर सुनवाई कर उनकी भूमि के मुआवजे को बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। किसानों को एक बार फिर उम्मीद जगी कि उन्हें उचित मुआवजा मिल जाएगा लेकिन आर्बिट्रेशन दाखिल होने के बाद आज तक इस पर सुनवाई नहीं हो सकी है। किसानों को लगातार तारीख पर तारीख मिल रही है।

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