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छटांक भर में एडजस्ट होंगे शिंदे और दादा!

-सर्वे में चवन्नी भर की सफलता पर भी व्यक्त हुआ संदेह

सामना संवाददाता / मुंबई

भाजपा की शह पर शिवसेना से गद्दारी करके सीएम बनने वाले एकनाथ शिंदे की सारी अकड़ निकल गई है। कुछ ऐसा ही हाल राकांपा से गद्दारी करके निकले अजीत पवार का भी है। ईटीजी रिसर्च और टाइम्स नवभारत द्वारा किया गया २०२४ लोकसभा का सर्वे रिजल्ट बताता है कि लोकसभा चुनाव में शिंदे और दादा छटांक भर में एडजस्ट होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस चुनाव में दोनों की बुरी हालत बननेवाली है। जिस चुनाव आयोग ने गद्दारी करनेवाले दोनों नेताओं को असली पार्टी मानकर चुनाव चिह्न आवंंटित कर दिया है, उसकी भी कलई उतर जाएगी।
टाइम्स नाउ के सर्वे में दोनों गद्दारों का जो हाल हुआ है, उससे उनकी औकात चवन्नी भर भी नजर नहीं आ रही। इस सर्वे रिजल्ट के अनुसार शिंदे गुट से तीन गुना ज्यादा वोट शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष को मिलनेवाला है। चुनाव आयोग द्वारा जिस शिंदे गुट को असली शिवसेना मानकर धनुष-बाण का चुनाव चिह्न दे दिया गया, उसे सिर्फ ८ फीसदी वोट ही मिलनेवाले हैं। दूसरी तरफ मशाल चिह्न पाकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष को २१ फीसदी वोट शेयर मिलता दिखाया गया है। इस सर्वे को ज्यादा सटीक इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि इसका सैंपल साइज काफी बड़ा है।

चैनल द्वार दी गई जानकारी के अनुसार, गत १३ दिसंबर २०२३ से लेकर ७ मार्च २०२४ तक हुए इस सर्वे में कुल ३,२३,३५७ लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें भी ८५ फीसदी फील्ड सर्वे हुआ, जबकि १५ फीसदी टेलीफोनिक सर्वे किया गया। जहां तक सीटों का सवाल है तो शिंदे गुट को सिर्फ ४ से ६ सीट मिलने का ही दावा किया गया है। हालांकि, जिस तरह से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शिंदे और दादा को दम दिया है, उससे साफ है कि दोनों को चुनाव लड़ने के लिए काफी कम सीटें मिलनेवाली हैं। दादा को सिर्फ ४ फीसदी वोट शेयर मिलनेवाला है और उन्हें १ से ३ सीटें मिलने का अनुमान है। दूसरी तरफ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को ७ से ९ सीटें मिलने का अनुमान बताया गया है। ऐसे में इस सर्वे से यह स्पष्ट है कि इस चुनाव में शिंदे और दादा गुट की बहुत बुरी हालत होनेवाली है। गौरतलब है कि खुद को असली शिवसेना का दम भरनेवाला शिंदे गुट पिछले कुछ समय से २३ सीटों पर दावा ठोक रहा था। मगर अमित शाह के दो दिवसीय मुंबई दौरे ने शिंदे गुट के होश ठिकाने लगा दिए हैं। ऐसे में शिंदे गुट के कई नेताओं में हताशा देखी जा रही है और खबर है कि इनमें से कई नेताओं को पछतावा है कि उन्होंने शिंदे गुट के साथ जाकर गलती की है। जाहिर सी बात है कि शिंदे गुट के साथ गए सभी सांसदों को टिकट मिलना मुश्किल है। दूसरी तरफ इस बात की चर्चा भी गरम है कि शिंदे गुट के कुछ नेताओं को भाजपा अपने चुनाव चिह्न कमल पर चुनाव लड़ने का दबाव बना रही है।

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