मुख्यपृष्ठनए समाचारये है ‘मोदी की गारंटी’ ... ६७ लाख बच्चों को दूध भी...

ये है ‘मोदी की गारंटी’ … ६७ लाख बच्चों को दूध भी मयस्सर नहीं! …समृद्ध हिंदुस्थान के डंके के बीच ‘जीरो फूड’ का डंक

स्नैपशॉट सर्वेक्षण का सनसनीखेज खुलासा
देश में चुनावी माहौल छा गया है और चारों तरफ ‘मोदी की गारंटी’ की चर्चा हो रही है। इस गारंटी के बीच स्नैपशॉट के सर्वेक्षण की एक सनसनीखेज रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्थान में तथाकथित ‘जीरो फूड’ वाले बच्चों की संख्या काफी है। ‘जीरो फूड’ का अर्थ है कि २४ घंटे की अवधि में कुछ भी नहीं खाया है। जीरो फूड वाले बच्चे छह महीने से २४ महीने की उम्र के शिशु या बच्चे हैं जिन्हें २४ घंटे की अवधि में कोई दूध या ठोस या अर्धठोस भोजन नहीं मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में हिंदुस्थान की हालत पश्चिमी अप्रâीकी देशों गिनी, बेनिन, लाइबेरिया और माली में प्रचलित दर के बराबर है। २०१९-२०२१ के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग करने वाले एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि हिंदुस्थान में ‘जीरो फूड’ बच्चों की व्यापकता १९.३ प्रतिशत है, जो गिनी के २१.८ प्रतिशत और माली के २०.५ प्रतिशत के बाद तीसरा है। हिंदुस्थान में बाल पोषण के मुद्दों से परिचित स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन की कमी के कारण बच्चों को शून्य भोजन मिलता है, यह भोजन तक पहुंच की कमी नहीं बल्कि कई माताओं द्वारा अपने शिशुओं को उचित आहार देखभाल प्रदान करने में असमर्थता को दर्शाता है। इस मामले में बांग्लादेश (५.६ प्रतिशत), पाकिस्तान (९.२ प्रतिशत), डीआर कांगो (७.४ प्रतिशत), नाइजीरिया (८.८ प्रतिशत) और इथियोपिया (१४.८ प्रतिशत) की स्थिति काफी बेहतर है। अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं ने ९२ निम्न-आय और मध्यम-आय वाले देशों में ‘जीरो फूड’ वाले बच्चों के अनुमान की तुलना की। ९२ देशों में, ‘जीरो फूड’ वाले ९९ प्रतिशत से अधिक बच्चों को स्तनपान कराया गया था, जो दर्शाता है कि लगभग सभी बच्चों को २४ घंटे की अवधि के दौरान भी कुछ वैâलोरी प्राप्त हुई थी, जिसके दौरान वे भोजन से वंचित थे। लेकिन छह महीने में, स्तनपान बच्चों को आवश्यक पोषण प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं रह जाता है। बच्चों को स्तनपान के साथ-साथ अतिरिक्त भोजन के माध्यम से पर्याप्त प्रोटीन, ऊर्जा, विटामिन और खनिज की आवश्यकता होती है। २०१० और २०२१ के बीच अलग-अलग समय पर ९२ देशों में किए गए स्वास्थ्य सर्वेक्षणों से पता चलता है कि दक्षिण एशिया में ‘जीरो फूड’ बच्चों की संख्या सबसे अधिक है, अनुमानित ८० लाख, जबकि हिंदुस्थान में ६७ लाख से अधिक है। जनसंख्या स्वास्थ्य शोधकर्ता एस.वी. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सुब्रमण्यम ने कहा कि ‘जीरो फूड’ प्रचलन के ‘अंतर्निहित कारणों’, इष्टतम पर्याप्त बाल-आहार प्रथाओं में बाधाओं और सामाजिक-आर्थिक कारकों द्वारा बाल-आहार व्यवहार को प्रभावित करने के तरीकों को जानने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। इस मामले में बाल रोग विशेषज्ञ और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ वंदना प्रसाद ने कहा कि कई शिशु और बच्चे पूरक आहार से वंचित हैं क्योंकि उनकी माताओं की परिस्थितियां उन्हें बच्चों की देखभाल करने से रोकती हैं। इसका मुख्या कारण गरीबी है।

अन्य समाचार