रमजान

इस बार रमजान के अलग थे अंदाज
मस्जिदों में ताले और घर घर नमाज
न इफ्तार के शोर गुल न कोई हंगामा
लबों पे इक दुआ, बेहतर हो अंजाम
न आजान न ही तराबी की रिवायत
हर गोशे में गूंजी क़ुरान की आयत
घर के हर फर्द ने की सिर्फ इबादत
पड़ोसी का ख्याल फकीर को जकात
रमजान नहीं कोई हंगामों का त्योहार
जो किया इस बार करो वही हर बार
रमजान तो हमेशा से है माहे-इबादत
दिलो जान से हो बस ख़ुदा से क़ुरबत।।

-नूरुस्सबा शायान 

अन्य समाचार