२०२४ के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘भाजपा चार सौ पार’ का एलान किया है। भारत के संविधान ने मोदी को ऐसी घोषणा करने और लोकतांत्रिक तरीकों से ४०० सीटें जीतने की अनुमति दी है। ऐसा लगा था कि मोदी को देश के निर्माण के लिए, विकास के लिए, जनकल्याण के लिए ४०० का बहुमत चाहिए, लेकिन भाजपा सांसद अनंत हेगड़े ने ‘चार सौ पार’ के मनसूबे को खोलकर रख दिया है। भाजपा को ४०० और उससे अधिक का बहुमत चाहिए, क्योंकि भाजपा उस पाशविक आंकड़ों के बल पर देश के पवित्र संविधान को बदलना चाहती है। यह बयान गंभीर है। अगर भारतीय जनता पार्टी संविधान बदलना चाहती है तो इसके पीछे उसकी प्रेरणा क्या है? दुनिया के कई देशों में संविधान को खत्म कर तानाशाही शुरू हो गई। मुसोलिनी, हिटलर, रुमानिया के शासकों, युगांडा के ईदी अमीन, लीबिया के गद्दाफी ने संविधान को न मानते हुए अपनी तानाशाही स्थापित की। यहां तक कि रूस के आजन्म राष्ट्रपति पुतिन ने भी अपने देश के संविधान को अपनी इच्छानुसार बदल दिया था। संविधान में बदलाव कर पुतिन ने अपने लिए आजीवन राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ कर लिया। दूसरे शब्दों में कहें तो रशिया के चुनाव आदि की व्यवस्था चरमरा गई। पुतिन ही कानून हैं और पुतिन ही संविधान। क्या भाजपा भारत का संविधान बदलकर पुतिन की तरह मोदी को भारत का बादशाह बनाना चाहती है? यानी मोदी ही मोदी के स्थायी उत्तराधिकारी होंगे। रशिया में संविधान बदलने के साथ ही मानवाधिकारों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। मानवाधिकारों की आवाज उठानेवालों पर मुकदमा चलाकर साइबेरिया के जेलों में भेज दिया जाता है। रशिया के संविधान में बदलाव के बाद न्यायपालिका से ‘स्वतंत्र’ शब्द हटा दिया गया। रशिया का सुप्रीम कोर्ट अब स्वतंत्र नहीं रहा, पुतिन ने न्यायाधीशों को नियुक्त करने और हटाने का अधिकार अपने हाथ में ले लिया है। पुतिन अभी रूस के संविधान के मालिक बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट, रूस की संसद, चुनाव आयोग ये सब क्रेमलिन के पिंजरे के तोते बन गए हैं। भारतीय जनता पार्टी को ‘४०० पार’ करना है, पुतिन की तरह देश की सत्ता पर काबिज होने के लिए। अगर मोदी सत्ता में वापस आए तो २०२४ का आम चुनाव आखिरी चुनाव होगा, इस डर को भाजपा सांसद अनंत हेगड़े ने खरा ठहराया है। मोदी के खास लोग गाहे-बगाहे कहते रहते हैं कि देश के मौजूदा संविधान को खत्म कर मोदी युग में नया संविधान लिखा जाना चाहिए। मोदी के आर्थिक सलाहकार विवेक रॉय ने भी कहा है कि देश को अब नए संविधान की जरूरत है। मोदी के इस सलाहकार का कहना है, ‘हम कोई भी बहस करते हैं। यह आम तौर पर संविधान से शुरू होती है और उसी पर खत्म होती है। ये छोटे-मोटे बदलावों के साथ काम नहीं चलेगा। हमें ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाना होगा और नए सिरे से शुरुआत करनी होगी।’ ये महाशय जो आगे कहते हैं वह बेहद खतरनाक है। ‘संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता और समानता शब्दों का अब क्या मतलब है? हमें अब अपने लिए एक नया संविधान बनाना होगा।’ मोदी के ये सलाहकार ‘संघ विचारों’ की छत्रछाया में रहे हैं। इन लोगों की भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में कोई भागीदारी नहीं थी। इसलिए आजादी के बाद बने गणतंत्र, संविधान आदि से उनका कोई नाता नहीं है। उन्हें आजादी से संबंधित सभी निशान मिटा देना है व शिलालेख लिखना हैं कि इस देश का कोई इतिहास नहीं है और सबकुछ मोदी अवतार के बाद बनाया गया है। जो लोग इतिहास नहीं बना सकते वे ही इतिहास को नष्ट करने का प्रमाद करते हैं। पिछले दस वर्षों में मोदी और उनके लोगों ने क्या किया? उन्होंने लोकतंत्र और स्वतंत्रता का गला घोंटने के अलावा कुछ नहीं किया। भारत के संविधान द्वारा लोक कल्याणकारी राज्य का अनुमोदन किया गया है। धर्म, जाति, नस्ल, प्रदेश के भेदभाव के बिना हर व्यक्ति का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक विकास करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन मोदी सरकार ने एकमात्र राज्य गुजरात का विकास कर पूरे देश की उपेक्षा की है। एक ही व्यक्ति अडानी को सरकार का सारा लाभ देकर लोगों को कंगाल कर दिया है। मजदूरों, किसानों को उनकी उपज के लिए उचित गारंटी पाने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया है। नागरिकों के अधिकारों का चार्टर नष्ट कर दिया गया है। बहुमत लोगों के कल्याण के लिए है, न कि देश की स्वतंत्रता और संसद के अधिकारों को कुचलने के लिए। संविधान के अनुच्छेद १२ से ३५ नागरिक स्वतंत्रता का चार्टर हैं। इनमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक, शैक्षिक अधिकारों के लिए संवैधानिक ढांचे शामिल हैं। अगर मोदी की सरकार दोबारा आई तो इन सभी नागरिक अधिकारों का हनन होगा। मोदी सरकार आम लोगों की समस्याओं का समाधान करने में विफल रही है। कोई विफलता के बारे में बात न कर सके इसलिए संविधान बदल दिया जाएगा और बोलनेवालों की जीभ काट दी जाएगी। लोकतंत्र का सार, लोकतंत्र का आधार, लोकतंत्र का बुर्ज, लोकतंत्र की किलेबंदी और लोकतंत्र की ढाल-तलवार ही भारत का संविधान है। उस संविधान की हत्या की तैयारी चल रही है और इसके लिए ४०० हत्यारे तैयार किए जा रहे हैं। भाजपा का ‘चार सौ पार’ का नारा संविधान के कत्ल की तैयारी है। संविधान के अंगों को तोड़कर उसे पंगु बनाने का काम पहले ही किया जा चुका है। अब नए संसद भवन की सीढ़ियों पर एक ही दफा संविधान की हत्या होते ही भाजपा का नया संविधान लिखना शुरू हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हीन भावना से ग्रस्त हो गए हैं। मोदी को देश कभी याद नहीं रखेगा। लोगों को याद भी नहीं होगा कि देश में कभी मोदी युग भी आया था। संविधान बदलकर सत्ता का सुख भोगनेवालों को देश कभी माफ नहीं करेगा!