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सब के सब सुप्रीम कोर्ट में! … सरकार से निराश किसानों, विधायकों और अल्पसंख्यकों ने लगाई सर्वोच्च न्यायालय में गुहार

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने का दावा करनेवाली मोदी सरकार के राज में देश की वास्तविक स्थिति विकट हो गई है। नौबत यहां तक आ गई है कि सरकार से निराश अल्पसंख्यक संस्था हो या कोई संगठन, विधायक हो या किसान, अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए सब के सब सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
ताजा मामला है किसान आंदोलन का, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हालांकि, इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट जाने को कहा। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जैसे ही इस मामले में दखल देगा तो हाईकोर्ट अपने हाथ खड़े कर लेगा, इससे कुछ हासिल नहीं होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में पूर्व विधायक डॉ. नंदकिशोर गर्ग ने कहा कि किसान कोर्ट के पहले के आदेश के मुताबिक अपनी मांगें मनवाने के लिए सार्वजनिक स्थान और हाईवे को जाम करना छोड़ दें। कोर्ट सरकार और प्रशासन से कहे कि दिल्ली हरियाणा बॉर्डर, पंजाब, राजस्थान, यूपी में आंदोलनकारियों को सड़क से हटाया जाए, क्योंकि उनके ऐसे प्रदर्शन से आम जनता को दिक्कत हो रही है।
इसी तरह हिमाचल कांग्रेस के ६ बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल होने वाली सुनवाई टल गई। अब अगली सुनवाई १८ मार्च को होगी। बेंच ने पूछा कि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के ६ विधायकों और ३ निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी कैंडिडेट हर्ष महाजन के लिए क्रॉस वोटिंग की थी, इसके बाद हिमाचल सरकार खतरे में आ गई थी। राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के ६ विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग की थी। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ने क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के छह बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था, जिनमें राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल और देवेंद्र कुमार शामिल हैं।

सीएए के खिलाफ मुस्लिम लीग
केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २०१९ (सीएए) लागू करने के बाद केरल के एक राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सीएए पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। उनका कहना है कि सीएए धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। याचिकाकर्ताओं ने आवेदन में गुजारिश की है कि सीएए पर रोक लगा दी जाए। याचिका के अनुसार सोमवार को अधिसूचित नियम अधिनियम की धारा २(१)(बी) के तहत कवर किए गए व्यक्तियों को नागरिकता दी जाएगी, जिसमें मुस्लिम धर्म शामिल नहीं है। याचिका में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से मनमाना है और केवल लोगों की धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों को नागरिकता दी जाएगी, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद १४ और १५ के खिलाफ है।

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