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उत्तर की बात : यूपी में प्रत्याशियों के एलान के बाद चढ़ेगा चुनावी पारा

रोहित माहेश्वरी
लखनऊ

लोकसभा चुनाव की घोषणा इस हफ्ते किसी भी दिन हो सकती है। ऐसे में यूपी का राजनीतिक पारा भी तेजी से ऊपर की ओर जा रहा है। राजनीतिक दल अंतिम समय में कील-कांटे मजबूत करने में दिन-रात एक किए हैं। पाला बदलने से लेकर जातीय गुणा-भाग और प्रत्याशियों के चयन के लिए माथापच्ची जारी है। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, बसपा, रालोद, सुभासपा ने कई सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक एक भी सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि सभी दल एक-दूसरे के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं, जिससे जीत को सुनिशिचत किया जा सके।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की ८० सीटें हैं। यहां एनडीए के बैनर तले भारतीय जनता पार्टी चार सहयोगी दलों के साथ लोकसभा चुनाव में जा रही है। अपना दल, निषाद पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में एनडीए के सहयोगी हैं। यूपी की ८० लोकसभा सीटों में से ७४ सीट पर बीजेपी खुद चुनावी मैदान में उतरेगी, जबकि ६ सीटें सहयोगी दलों को दी है। बीजेपी ने अपना दल (एस) और आरएलडी को दो-दो लोकसभा सीटें दी हैं तो वहीं सुभासपा और निषाद पार्टी के लिए एक-एक लोकसभा सीट दी है। भाजपा यूपी में ५१ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। वहीं रालोद ने अपने हिस्से की दो और सुभासपा ने एक सीट पर प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
इंडिया गठबंधन में सपा और कांग्रेस गठबंधन में हैं। सीट बंटवारे में सपा को ६३ और कांग्रेस को १७ सीटें मिली हैं। सपा अब तक ३१ सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। लेकिन कांग्रेस ने अभी तक एक भी सीट से प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशियों की दो सूचियां जारी कर चुकी है। १२ मार्च को जारी दूसरी सूची में उम्मीद थी कि यूपी की सीटों का एलान होगा, लेकिन घोषणा नहीं हुई।
समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम के एलान का सिलसिला शुरू कर दिया है, लेकिन इस बार उम्मीदवार तय करने में मायावती थोड़ा स्लो चल रही हैं। कहा जा रहा है कि मायावती के स्लो चलने के पीछे की कुछ राजनीतिक वजहें हैं और नामों के एलान से पहले सारे समीकरण को सेट कर लेना चाहती हैं।
बहुजन समाज पार्टी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। देर से ही बसपा ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों पर बसपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इनमें पीलीभीत से अनीश अहमद खान, मुरादाबाद से इरफान सैफी, कन्नौज से अकील अहमद पट्टा और अमरोहा से डॉ. मुजाहिद हुसैन शामिल हैं। बसपा ने चार सीटों पर चारों मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारने के बाद जाट कार्ड खेला है। बिजनौर में चौधरी विजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। कहा जा रहा है कि सभी प्रत्याशियों की सूची तय हो गई है। आनेवाले दिनों में इनका आधिकारिक एलान हो सकता है।
कांग्रेस ने अब तक एक भी सीट पर प्रत्याशी का एलान नहीं किया है। ऐसे में सभी के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस को किस बात का इंतजार है? सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के रणनीतिकारों की नजर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों में टिकट बंटवारे को लेकर हो रहे उलटफेर पर टिकी है। इसी वजह से वह इस बार संभलकर कदम बढ़ा रही है। कांग्रेस को यूपी में जिन जगहों पर १७ सीटें मिली हैं, उनमें से एक-दो सीटों की सपा के साथ अदला-बदली होनी है। इन्हीं कारणों के चलते कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सीटों पर वैंâडिडेट के नाम की घोषणा नहीं कर सकी।
कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन के लिए जिम्मेदारों की बैठकें हो रही हैं। ऐसे में पार्टी उन दावेदारों को खास तवज्जो दे रही है, जिनका बीते चुनाव में परफॉर्मेंस अच्छा था। वहीं जातीय पैâक्टर को भी ध्यान में रखा जा रहा है। कांग्रेस की नजर बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट पर भी है। माना जा रहा है कि बीजेपी उम्मीदवारों के नाम घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस अपने पत्ते खोलेगी।
भाजपा भी अपने हिस्से की बची हुई सीटों को लेकर विचार-विमर्श कर रही है। इसमें ज्यादातर सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं है। इन सीटों पर उसे विरोधी दलों के प्रत्याशियों के एलान और जातीय गुणा-भाग का हिसाब लगाना पड़ रहा है इसलिए प्रत्याशियों का एलान लटका है। जानकारों के मुताबिक, सभी दल प्रत्याशी तय कर चुके हैं, इंतजार विरोधी दल के पत्ते खुलने का किया जा रहा है।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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