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भूमि अधिग्रहण परियोजना को लेकर सरकार का … पीड़ितों के साथ ‘जानलेवा’ मजाक! …पेड़ों की कीमत लगाई मात्र रु. ६०

सदमे से हुई किसान की मौत
सामना संवाददाता / मुंबई 
मुंबई-बड़ौदा राजमार्ग को लेकर जिन किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है, सरकार उनके साथ मुआवजे के नाम पर ‘क्रूर’ मजाक कर रही है। जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिल रहा है। इस मामले में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि तलासरी तालुका में एक किसान को खेत की जमीन पर पेड़ों के लिए केवल ६० रुपए का भुगतान किया गया था। ६० रुपए का चेक मिलने के बाद मानसिक सदमे से उक्त किसान की मौत हो गई।
किया गया था सर्वेक्षण 
बता दें कि मुंबई-बड़ौदा राजमार्ग पर तलासरी, सावरोली, अबिशेतगांव, मसनगांव, कोचाई, बोरमल, सूत्रकार कवाड़ा आदि गांवों में भूमि अधिग्रहण शुरू हो गया है। तलासरी तालुका के आदिवासी किसानों द्वारा उनके खेतों में लकड़ी वाले वृक्ष, फलों के वृक्ष, निर्माणों, बोरवेलों, कुओं का सर्वेक्षण किया गया।
मुआवजा के नाम पर मजाक 
९ फरवरी २०२४ को सब डिविजनल ऑफिसर दहानू द्वारा एक रिपोर्ट दी गई। उसमें एक किसान दिवाल बराफ को उसके पेड़ों के लिए मुआवजे के तौर पर मात्र ६० रुपए दिए गए थे। दिवाल बराफ किसान को जमीन का मुआवजा न मिलने और पेड़ों का मुआवजा बहुत कम होने के कारण उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद उससे संबंधित एक अधिकारी ने कहा कि यह जमीन सरकार की है और इसका कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। दिवाल बराफ जिन खेतों से अपना परिवार चलाता था वह खेती भी खत्म हो गई और उसे कोई मुआवजा भी नहीं मिल रहा है। मानसिक तनाव में आकर दिवाल बराफ बीमार पड़ गये, और उनकी मौत हो गई।

आत्मदाह की चेतावनी
दिवाल बराफ के परिवारवालों ने मुआवजे के रूप में मिले ६० रुपए का चेक वापस कर दिया और जमीन व पेड़ों का उचित मुआवजा न मिलने पर आत्मदाह की चेतावनी दी है।

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