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सवाल हमारे, जवाब आपके?

हिंदूवादी पार्टी होने का दावा करनेवाली भाजपा की कथनी और करनी में काफी अंतर है। पड़ोसी देशों के पीड़ित हिंदुओं के लिए सीएए कानून बनानेवाली भाजपा ने ७०० हिंदुओं के घरों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी कर सीएए की धज्जियां उड़ा दी हैं, जबकि रोहिंग्याओं को सारी सुविधा दे रही है। आखिर सरकार भेदभाव क्यों कर रही है? इस पर आपकी क्या राय है?
 उन्हें देश की अखंडता नहीं चाहिए
अब सवाल सरकार से यह है कि वह इस तरह के कानून बनाकर लागू कर क्या साधना चाहती है। सीधी-सीधी बात यह है कि उसे इस देश में देश की अखंडता बिल्कुल नहीं चाहिए। वह चाहती है कि देश टुकड़ों-टुकड़ों में बिखर जाए। वह चाहती है कि हिंदू-मुस्लिम और मुस्लिम-हिंदू को संदेह भरी नजरों से देखें। इससे उसका स्वार्थ तो सिद्ध हो जाएगा लेकिन आनेवाली पीढ़ियों को जो जलालत सहनी पड़ेगी, उसका क्या होगा?
– कविता शर्मा, बोरीवली

 देश में भाजपा ने आग लगा दी
एक बार फिर लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू कर भाजपा ने देश में आग लगा दी है। पश्चिम बंगाल जल रहा है। देश का दक्षिणी हिस्सा भी उद्वेलित है। हिंदुस्थान की पूर्वोत्तर सीमा जो पहले सी ही संवेदनशील रही है, एक बार फिर वहां पर विदेशियों को हस्तक्षेप करने का मौका मिल गया है। अब सरकार क्या चाहती है कि देश में फिर से अराजकता का माहौल पैâल जाए? जब कानून विशेषज्ञ कहते हैं कि यह कानून देश के हित में नहीं है। इसके बावजूद उनकी बातों को नजरअंदाज करते हुए यह खेल भाजपा क्यों खेल रही है। हम यह मान सकते हैं कि विपक्ष द्वारा इसका विरोध करना सरकार को अखर सकता है। क्योंकि उनके बीच एक राजनीतिक वैचारिक खाई है। वाकई जो होनी नहीं चाहिए। संसद में बैठे सभी दलों को एक-दूसरे की गरिमा बनाए रखते हुए उनके द्वारा दिए गए सुझावों को समझना चाहिए। उनके सुझावों का सम्मान करना चाहिए। लेकिन इस सरकार में इस तरह की कोई सोच नहीं दिखाई पड़ती। उन्हें सिर्फ विपक्ष एक दुश्मन दिखाई पड़ता है, जिसकी हर बात उन्हें काटनी है। सरकार क्यों नहीं सोचती कि पक्ष और विपक्ष दोनों ही देश के दो महत्वपूर्ण अंग हैं। यदि भाजपा अन्य विपक्षी दलों की बातों और सुझावों का सम्मान करती तो यह स्थिति नहीं आती।
– रवींद्र झा, नई मुंबई

 चुनाव जीतने के लिए फेंका है पासा
अब यह बात साफ हो गई है कि सिर्फ चुनाव जीतने के लिए ही भाजपा ने यह पासा फेंका है। भाजपा यह क्यों भूल गई कि हर पासा उनके हिसाब से ही गिरे और उनका दांव सफल ही हो। इस कानून से देश में सांप्रदायिक सौहार्द के दो-फाड़ हो जाएंगे। शायद सरकार यही चाहती है। उसे लगता है कि इस कानून से हिंदू खुश हो जाएंगे। लेकिन मुस्लिम और अन्य संप्रदाय के लोग नाराज होंगे तो इस बात की क्या गारंटी कि सरकार जीत जाए।
– गिरधर अग्रवाल, खार

 गिरी हुई सोच है सरकार की
जहां तक हमें जानकारी मिली है कि इसे लागू करने के लिए सरकार ने तकरीबन १२ हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यह खर्च बताता है कि सरकार की सोच किस हद तक गिरी हुई है। क्या सरकार को यह पता नहीं कि बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मदों पर बहुत कम खर्च किया जाता है। यदि सरकार इतने पैसों को अस्पताल और स्कूल बनाने में खर्च करती तो देश का भविष्य कितना उज्ज्वल होता।
– कपिल शर्मा, दादर

अगले सप्ताह का सवाल?
एक बार फिर केंद्र सरकार ने तानाशाही तरीके से निर्णय लिया है। सरकार ने विपक्ष की राय को दरकिनार करते हुए अपने मनपसंद सदस्यों को चुनाव आयुक्त चुना है। क्या अब निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद की जा सकती है। इस पर आपकी क्या राय है?
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