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श्री-वास्तव उ-वाच : २३ मिनट की मौत

अमिताभ श्रीवास्तव

क्या कोई सोच सकता है कि मौत होगी और वो केवल २३ मिनट के लिए होगी, फिर जिंदा हो जाना है? मौत तो एक ही बार होती है, मगर २१ साल की एक छात्रा की मौत केवल २३ मिनट के लिए हुई और आश्चर्य भी बन गई। वो अपने हॉस्‍टल में रह रही थी। एक दिन अचानक उसकी सांसें थम गर्इं। वह फर्श पर गिर गई। २३ मिनट तक वह मृत पड़ी रही, लेकिन इसके बाद जब उसकी सांसें लौटीं तो शरीर पर जगह-जगह चोट के निशान नजर आए। उसे समझ नहीं आया कि आखि‍र उसके साथ क्‍या हुआ? कि‍सी ने उसके साथ मारपीट नहीं की, फि‍र ये न‍िशान आए कहां से? कि‍सी को नहीं पता कि उसके साथ आखि‍र हुआ क्‍या? उसके पेरेंट्स भी हैरान हैं कि आखि‍र ये सब हुआ वैâसे? इसाबेला नामक इस लड़की के पिता एंडी विलिंगहैम ने बताया कि हमें बताया गया कि बेला को इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है। डॉक्‍टरों ने बताया कि इसाबेला की सांसें २३ मिनट तक बंद थीं यानी वह २३ मिनट तक मृत थी, लेकिन ये चोटें कैसे आर्इं, इसके बारे में वे भी नहीं बता पाए। पुल‍िस ने बताया कि छात्रा के शरीर पर कटने और खरोंच के निशान थे। उसके पैर सूज गए थे। उस पर गहरे घाव थे। इसाबेला को कुछ भी याद नहीं। फिलहाल, रहस्य कायम है।

इंसानी पूप का म्यूजियम
पहले तो आपको पूप के बारे में नहीं पता तो म्यूजियम के बारे में क्या जानेंगे? है न। दरअसल, इंटरनेट पर इन दिनों दुनिया के सबसे अनोखे म्यूजियम की वायरल तस्वीरों और वीडियो ने तहलका मचा रखा है। इस संग्रहालय में कमाल की पेंटिंग के साथ-साथ हैरान करने वाली तकनीक, विज्ञान और यूनिक कलाकृतियां मौजूद हैं। यही वजह है कि लोगों का इसकी ओर ध्यान खिंचा चला जा रहा है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस म्यूजियम को इंसानी पूप (मल) की थीम पर बनाया गया है, जिसमें कप केक, मार्शमैलो से आइसक्रीम तक पूरा डिजाइन पूप की तरह ही किया गया है, जिसे देखकर कुछ लोग मौज ले रहे हैं तो कुछ को ये बेहद अजीब लग रहा है। यह अनोखा म्यूजियम जापान की राजधानी टोक्यो में खुला है, जो कि पूप थीम पर बेस्ड है, जिसकी तस्वीरें और वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस म्यूजियम से जुड़ा पोस्ट जापान एक्स्प्लोर्स नामक ट्रैवल हैंडल ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। वीडियो की शुरुआत एक टॉयलेट सीट कवर की थीम वाले एंट्री गेट से होती है, जहां वैंâडी और मार्शमैलोज़ से केक और कपकेक तक पूप के आकार के हैं। देखा जा सकता है कि यहां पूप लाइट शो तक, पूप गेम्स, टॉयलेट पेपर और झूमर हैं। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन यह दुनिया का एकमात्र पूप संग्रहालय नहीं है, बल्कि पिछले महीने मेलबर्न ने अपना पहला पूप संग्रहालय खोला है। संग्रहालय को उस सड़क पर स्थापित किया गया है, जहां साल १८५९ में पहला सार्वजनिक शौचालय खोला गया था। जापान ट्रैवल प्लानिंग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संग्रहालय का मिशन मल के बारे में लोगों की धारणा को बदलना है।

कंजूसी की ट्रिक्स
क्या आप कंजूस बनना चाहते हैं? तो इन ट्रिक्स को आजमाएं। जी हां, इस अजीबोगरीब दुनिया में कंजूस बनने की तकनीक भी ईजाद हो गई है। अब देखिए न, ऐप्पल मेलेसियो नाम की महिला के पास पैसे बचाने की ऐसी-ऐसी ट्रिक्स हैं कि सुनकर आप दंग रह जाएंगे। महिला ने बताया कि वो बेटी को बाहर से टूटे-फूटे खिलौने लाकर खेलने को दे देती है। अपने पति के अंडरवियर भी चैरिटी शॉप से खरीद लाती है। खाली वक्त में भी महिला कंजूसी की प्लानिंग करती रहती है। हद तो ये हो गई कि ऐप्पल ने अपने बच्चों को पिलाने के लिए मां का दूध भी दोस्तों से उधार ले लिया। उसका कहना है कि इन चीजों से उसे कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि वो इस पर गर्व करती है। ऐप्पल के पति विक्टर बताते हैं कि उसकी पत्नी पहले से ही पैसे बचाती थी, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद उसकी ये आदत और बढ़ गई। वो खाली वक्त में सिर्फ पैसे बचाने के बारे में ही सोचती रहती है। बच्ची की नैपी के लिए भी वो पुराने कपड़े का ही इस्तेमाल करती है। वो बेबी वाइप्स भी खुद ही बनाती है और हर चीज में डिस्काउंट ढूंढ़ती रहती है। महिला के बारे में जानकर लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ये वाकई बहुत ज्यादा है। उसका पति बेचारा वैâसे रहता होगा?

इस देश में कभी बच्चा पैदा नहीं हुआ
य ह सचमुच हैरान कर देने वाली जानकारी है कि एक ऐसा भी देश हैं, जहां कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ है। जी हां, यहां ऐसे लोग रहते हैं, जिनके इशारे पर दुनिया चलती है। रोमन वैâथोलिक ईसाई धर्म के सारे बड़े धर्माचार्य यहीं रहते हैं। पोप यहां के शासक हैं, इस देश की एक बात हैरान कर देने वाली है। ये देश ११ फरवरी १९२९ को बना था, तब से यहां कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ। इस देश का नाम वेटिकन सिटी है। ये दुनिया का सबसे छोटा देश भी है। इस देश को जब बनाया गया तो स्पष्ट था कि ये देश केवल रोमन वैâथोलिक ईसाइयों के लिए काम करेगा। आप ये भी कह सकते हैं कि पूरी दुनिया में जितने वैâथोलिक चर्च हैं और वैâथोलिक ईसाई हैं, उन सभी के तार यहां से जुड़े हैं। यहां जब कोई गंभीर तौर पर बीमार होता है या कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसे या तो रोम के किसी अस्पताल में भेज दिया जाता है या उसके संबंधित देश भेजने की व्यवस्था कर दी जाती है। यहां कभी नेचुरल बेबी डिलिवरी भी नहीं हुई या यों कहें कि करने ही नहीं दी गई। इस नियम का पालन बहुत कड़ाई के साथ होता है। आप समझ सकते हैं कि क्यों ९५ सालों में कभी वेटिकन सिटी में कोई बच्चा नहीं हुआ और न ही कभी भविष्य में होगा।

लेखक ३ दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं व सम सामयिक विषयों के टिप्पणीकर्ता हैं। धारावाहिक तथा डॉक्यूमेंट्री लेखन के साथ इनकी तमाम ऑडियो बुक्स भी रिलीज हो चुकी हैं।

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