भाजपा का एकमेव लक्ष्य चुनाव आयुक्तों से लोकतंत्र की रक्षा की उम्मीद नहीं
सामना संवाददाता / मुंबई
भारतीय जनता पार्टी चुनावों पर पूरी तरह कब्जा करना चाहती है। जीत निश्चित नहीं है तो चुनाव प्रणाली और चुनाव आयोग पर कब्जा करना होगा और चुनाव आयोग में हां साहब (यस सर) कहनेवालों को नियुक्त करना होगा, इस आधार पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संवैधानिक तरीके से नहीं की गई है। आयोग के हालिया पैâसलों से साफ है कि चुनाव आयोग संवैधानिक तरीके से काम नहीं कर रहा है। आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने जोरदार हमला किया। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग में नियुक्त किए गए सेवानिवृत्त अधिकारियों से देश और लोकतंत्र को कोई खास उम्मीद नहीं है। इस बार के इलेक्टोरल बांड पर टिप्पणी करते हुए राऊत ने कहा कि यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है।
शिवसेना सांसद संजय राऊत ने गेमिंग और गैंबलिंग कंपनी द्वारा खरीदे गए इलेक्टोरल बांड पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि इस कंपनी ने किसे पैसे दिए। छत्तीसगढ़ में जब चुनाव थे तो गेमिंग ऐप्स के सिलसिले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के यहां छापेमारी हुई थी। इसी कंपनी ने १३ हजार करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बांड खरीदे और पैसा सत्ताधारी पार्टी के खाते में चला गया। बीकेसी में बुलेट ट्रेन समेत अन्य हजारों करोड़ की परियोजनाओं के ठेके देकर मेघा इंजीनियरिंग कंपनी से सैकड़ों करोड़ के इलेक्टोरल बांड लिए गए। इसमें पाकिस्तान की भी कंपनी है। राऊत ने कहा कि इससे भाजपा के खाते में पैसा जा रहा है।
कहां गया प्रधानमंत्री मोदी का नारा ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’
सांसद संजय राऊत ने कहा कि ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के शुरू रहते हुए कुछ कंपनियों ने इन कार्रवाइयों को रोकने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बांड खरीदे हैं और भाजपा के खाते में पैसे जमा किए हैं। उन्होंने सवाल खड़े किए कि अब कहां गया प्रधानमंत्री मोदी का नारा ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’? प्रधानमंत्री कार्यालय भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा है। उन्हीं लोगों ने पीएम केयर में पैसे दिए हैं और उसका भी हिसाब नहीं है। यह कोई सरकारी फंड नहीं, बल्कि एक निजी फंड है। इन्हीं लोगों ने इसमें पैसे भी लगाए हैं।
`मेघा इंजीनियरिंग को १४,४०० करोड़ रुपए का ‘ेका देने का पैâसला किया गया है। इससे साफ है कि एक ही कंपनी ने ९४० करोड़ रुपए के चुनावी बांड खरीदे हैं। १४ हजार ४०० करोड़ रुपए के ‘ेके लेने और ९४० करोड़ रुपए के चुनावी बांड खरीदने जैसा काम इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सरकार में बै’े सत्ताधारियों ने किया है।’
-जितेंद्र आव्हाड, राकांपा नेता