अजय भट्टाचार्य
लोकसभा उम्मीदवारों की भाजपा की दूसरी लिस्ट में शामिल कुल ७२ नामों में दिल्ली की बाकी बची दो सीटों पर भी प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। पूर्वी दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से योगेंद्र चंदोलिया को प्रत्याशी बनाया गया है। दिल्ली भाजपा के महासचिव तथा उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रहे चंदोलिया इससे पहले दो बार विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिवाजी कॉलेज से पढ़ाई की है। वे भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय नेता हैं। चंदोलिया की गिनती दलित नेताओं में होती है। भाजपा उनके जरिए दलित वोट बैंक को साधना चाहती है। योगेंद्र चंदोलिया को २०१५ और २०२० के दिल्ली विधानसभा चुनाव में करोल बाग सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें आम आदमी पार्टी के विशेष रवि ने दोनों बार बड़े अंतर से शिकस्त दी थी। दिल्ली में कुल ७ लोकसभा सीटें हैं। पिछली बार २०१९ में भाजपा ने सभी सीटों पर कब्जा किया था। इस बार उसने ६ सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए। केवल मनोज तिवारी ही ऐसे उम्मीदवार हैं, जो अपनी सीट बचाने में सफल रहे हैं। भाजपा ने नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज, दक्षिणी दिल्ली से रामवीर सिंह बिधुड़ी, पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सहरावत, चांदनी चौक से प्रवीण खंडेलवाल और उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी को प्रत्याशी बनाया है।
पीला गमछा काम न आया
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री बनने के बाद ओम प्रकाश राजभर का एक बयान काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी थाने पर जाओ तो सफेद गमछे की जगह पीला गमछा गले में डालकर जाओ। पुलिस को तुम्हारे चेहरे में ओम प्रकाश राजभर नजर आएगा। यह है पावर। पुलिस को जाकर बता देना कि मंत्री जी भेजे हैं। दारोगा के पास तो इतनी पावर है नहीं कि फोन लगाकर हमसे पूछे कि हमने भेजा है कि नहीं। एसपी और डीएम के पास भी इतनी पावर नहीं है कि मुझे फोन लगाए। मंत्रीजी जी के बयान पर भरोसा करके फरुखाबाद के नवाबगंज सुभासपा के विधानसभा अध्यक्ष संतराम कश्यप की पुलिस ने जमकर खातिरदारी की है। थाने पहुंचे पार्टी के नेता संतराम कश्यप का पीला गमछा और मोबाइल पुलिस वालों ने छीन लिया। इससे कार्यकर्ता काफी आक्रोशित हैं। इस घटना के विरोध में पार्टी कार्यकर्ताओं ने थाने के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की। सुभासपा के जिलाध्यक्ष संदेश कश्यप ने बताया कि पुलिस ने पार्टी कार्यकर्ता को किसी मामले में थाने पर बुलाया था। यहां उनका मोबाइल फोन और पीला गमछा जब्त कर लिया गया। कार्यकर्ता के साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया। हमने थानाध्यक्ष से बात की तो उन्होंने भी अभद्र तरीके से बातचीत की।
फडणवीस का रास्ता साफ
भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा चुनावों के संदर्भ में जारी दूसरी सूची ने एक बात साफ कर दी है कि सूबे में भाजपा सियासत में देवेंद्र फडणवीस की राह के रोड़े साफ हो गए हैं। इस सूची में उनके लिए चुनौती माने जाने वाले नेताओं को जगह दी गई है। इनमें पंकजा मुंडे प्रमुख हैं। पंकजा मुंडे पूर्व गोपीनाथ मुंडे की बेटी और प्रमोद महाजन की भांजी हैं। २०१९ में विधानसभा चुनाव हारने के बाद पंकजा ने फडणवीस पर जमकर हमला बोला था। पहले केंद्रीय संगठन में पद देकर और अब लोकसभा चुनाव में पंकजा को उम्मीदवारी देकर भाजपा ने उन्हें सूबे की सियासत से दूर करने का प्रयास किया है। पंकजा मुंडे के अलावा फडणवीस के आलोचकों में सुधीर मुनगंटीवार भी प्रमुख हैं। वे २०१४ से ही विनोद तावड़े के साथ मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाते थे। अब पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट देकर राज्य की सियासत से दूर करने का प्रयास किया है। मुनगंटीवार को चंद्रपुर से टिकट दिया गया है। उन्हें हंसराज अहीर की जगह प्रत्याशी बनाया गया है। उम्मीदवारी घोषित होने से पहले चंद्रपुर में मुनगंटीवार ने कहा था कि वे राज्य में ही रहना चाहते हैं। मुनगंटीवार के अलावा मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार का नाम भी भाजपा के संभावित लोकसभा उम्मीदवारों की सूची में शामिल था, मगर शेलार फडणवीस के वरदहस्त के चलते दिल्ली कूच से बच गए।