मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनासिटीजन रिपोर्टर : उल्हासनगर का कालानी चौक कब होगा गड्ढा मुक्त?

सिटीजन रिपोर्टर : उल्हासनगर का कालानी चौक कब होगा गड्ढा मुक्त?

उल्हासनगर

उल्हासनगर का सबसे नामचीन कालानी चौक जिसे खेमानी चौक के नाम से भी जाना जाता है, इस परिसर में पूर्व विधायक पप्पू कालानी, ज्योति कालानी और पंचम उमेश उर्फ ओमी कालानी जैसे लोग लंबे समय तक राजनीति की धुरी रहे हैं। तीन बार अर्थात पंद्रह साल तक पप्पू कालानी तो पांच वर्ष तक ज्योति कालानी विधायक रह चुकी हैं। ज्योति कालानी तो महापौर, स्थाई समिति सभापति भी रह चुकी हैं। उनके दौर में कालानी चौक साफ-सुथरा रहता था। कालानी परिवार का खेमानी परिसर में ‘कालानी महल’ के नाम से निवास स्थान है। एक समय ‘कालानी महल’ में तमाम मंत्री, राजनेता, समाज सेवकों व पत्रकारों का जमावड़ा लगा रहता था। महल के चारों तरफ पुलिस खड़ी रहती थी। पप्पू कालानी के ‘कालानी महल’ में राजाओं जैसी ठाटबाट देखने को मिलते थे। आज भी जितने राजनेता हैं उसमें वो बीस ही दिखाई देते हैं। लेकिन वतर्मान समय में पप्पू कालानी का खेमानी अर्थात कालानी चौक की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर प्रकाश जाधव ने उल्हासनगर शहर के साथ ही खेमानी चौक की दशा को सामने रखा।
भ्रष्टाचारी अधिकारियों ठेकेदारों की मिलीभगत
प्रकाश जाधव का मानना है कि उल्हासनगर की सीमेंट की सड़कों को दूसरे शहर के लोग देखने के लिए आते थे। इन सड़कों की लोग काफी प्रशंसा किया करते थे, लेकिन आज तस्वीर एकदम विपरीत है। उल्हासनगर में आने के बाद यहां की बदहाल दशा को देखकर लोग थू-थू कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि उल्हासनगर में आने वाले अधिकारी, आयुक्त, उपायुक्त क्या करते हैं? उल्हासनगर की अधिकांश सड़कों पर गड्ढे हैं। वाहन चलाते समय लोगों की कमर में दर्द होने लगता है। एंबुलेंस में प्रसव पीड़ा से परेशान महिला को ले जाते समय गड्ढों के कारण ही अस्पताल पहुंचने से पहले ही डिलीवरी हो जाती है। उल्हासनगर शहर में अन्य शहरों की अपेक्षा सड़कों पर अधिक पैसे खर्च किए जाते हैं, परंतु मनपा के भ्रष्टाचारी अधिकारियों और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ठेकेदारों से मिलीभगत के चलते उल्हासनगर की सड़कें ‘चांद की जमीन’ बन चुकी हैं जहां गड्ढे ही गड्ढे हैं।
गड्ढों से हो चुकी हैं दर्जनों मौत
उल्हासनगर के प्रशासकीय अधिकारी गांधी जी के तीन बंदर बन चुके हैं, उन्हें न तो कुछ दिखाई देता है, न कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ बोलते हैं। इनका काम मूलभूत कार्यों पर निगरानी रखना भी है, लेकिन अपने एयरकंडीशंड कमरों से जब ये निकलेंगे तभी तो इन्हें टूटी सड़के दिखाई देंगी। क्या उल्हासनगर के नेताओं ने उल्हासनगर के बाहर जाकर देखा है कि अन्य शहरों की सड़कें, साफ सफाई वैâसी है? ‘कालानी महल’ से लेकर सेंट्रल अस्पताल तक की सड़क काफी टूटी-फूटी अवस्था में है, जबकि उसे बने मात्र एक वर्ष ही हुआ है। सड़क पर मानसून में पानी भर जाता है जिससे हादसे भी होते हैं, जिसमें लोगों की जान भी जाती है। सड़कों पर गड्ढों के कारण पूरे उल्हासनगर में अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है। आज घटिया सड़क की सबसे अधिक यातना रिक्शा चालक झेल रहे हैं, जो खस्ताहाल सड़कों पर सुबह से शाम तक ऑटोरिक्शा चलाते हैं।

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