मुख्यपृष्ठस्तंभइनसाइड स्टोरी : नकली पेंटिंग का गोरखधंधा!

इनसाइड स्टोरी : नकली पेंटिंग का गोरखधंधा!

– कला बाजार में ठगों की भरमार

-दुनिया में ५० प्रतिशत कलाकृतियां नकली

एसपी यादव

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शनिवार को आर्ट डीलर कंपनी ‘आर्ट इंडिया इंटरनेशनल’ की चर्चगेट शाखा सहित मुंबई में छह जगहों पर तलाशी ली। कथित तौर पर नकली कलाकृतियों के व्यापार और नकली को असली कलाकृति साबित करने के लिए जाली प्रमाणपत्र तैयार करने में शामिल एक गिरोह का पूरी तरह पर्दाफाश करने के लिए यह तलाशी ली गई। यह सारा मामला आर्ट डीलर राजेश राजपाल से जुड़ा है।
१७.९ करोड़ रुपए में बेच दी नकली पेंटिंग
मुंबई पुलिस ने आर्ट डीलर राजेश राजपाल को दिसंबर २०२३ में गिरफ्तार किया। राजेश राजपाल ने अमेरिका की इक्विटी कंपनी टीपीजी वैâपिटल के भारत प्रमुख पुनीत भाटिया को मशहूर चित्रकार मंजीत बावा और एफएन सूजा की नकली कलाकृतियां १७.९ करोड़ रुपए में बेच दी। पुनीत भाटिया ने ताड़देव पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में कहा कि राजेश राजपाल और विश्वंग देसाई ने जाली और नकली प्रमाणपत्रों के साथ नकली पेंटिंग्स की बिक्री की। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनसे १७.९ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने की साजिश रची गई।
हवाला के जरिए धन का लेनदेन
ईडी ने एक बयान में कहा कि १३ से १६ मार्च तक लगातार की गई तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं। पता चला है कि प्राप्त राशि घरेलू ‘हवाला’ ऑपरेटरों द्वारा कार्टेल के सदस्यों को कमीशन या मुफ्त और रियायती कलाकृति के रूप में भेजी गई थी। नकली कलाकृति की बिक्री से उत्पन्न नकदी का इस्तेमाल सर्राफा व्यापारियों के साथ मिलकर प्राचीन वस्तुओं (एंटिक्स) की खरीद के लिए किया गया। इस तरह की प्राचीन वस्तुओं को प्रतिष्ठित नीलामी घरों के माध्यम से नीलामी में बेचा जाता था, जिसकी आय बैंक खातों में प्राप्त की जाती थी। एजेंसी ने कहा कि आगे की जांच जारी है।
कला बाजार में जालसाजी
इस तलाशी अभियान से एक बार फिर कला बाजार में ठगों की भरमार को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। कला बाजार के जानकारों का कहना है कि पेंटिंग की नीलामी में मोटी कमाई होती है। इसी कारण इस क्षेत्र में जालसाज सक्रिय हो गए हैं। साल २०१९ में कला बाजार ने लगभग ७० बिलियन डॉलर की बिक्री दर्ज की। इसका एक मतलब यह भी निकलता है कि हर साल कम से कम २४ बिलियन डॉलर की नकली पेंटिंग्स बेची जा रही हैं।
कोविड काल में भी कला बाजार मालामाल
कोरोना संकटकाल में जब पूरी दुनिया में कारोबार चौपट हो गया था, तब कलाकृतियों का बाजार कुलांचे भर रहा था। २५ सितंबर २०२० को न्यूयॉर्क के क्रिस्ट्रीज नीलामी घर में ८.२८ करोड़ डॉलर की कलाकृतियों की नीलामी हुई। इसी नीलामी घर में १९७२ में बनाई गई सैयद हैदर राजा की पेंटिंग ‘तपोवन’ २९ करोड़ ४ लाख रुपए में नीलाम हुई थी।
दुनिया में ५० प्रतिशत कलाकृतियां नकली हैं
२०१८ में प्रâांस के दक्षिण में एक आर्ट गैलरी ने पाया कि उनके चित्रों के आधे से अधिक संग्रह नकली थे, यह हजारों मामलों में सिर्फ एक उदाहरण है। जिनेवा स्थित एफएईआई के प्रमुख यान वाल्थर ने हाल ही में दावा किया कि बाजार में प्रसारित होने वाली ५० प्रतिशत कलाकृतियां जाली हैं या फिर गलत तरीके से प्रसारित हैं।
ठगों, वकीलों और कारोबारियों का गिरोह
राजेश राजपाल की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने जब मामले में खोजबीन शुरू की तो पाया कि इस गोरखधंधे में दक्षिण मुंबई की एक प्रमुख आर्ट गैलरी, जाने-माने कॉरपोरेट वकीलों और सर्राफा व्यापारियों का एक पूरा गिरोह शामिल है, जो मूल चित्रों की नकली कलाकृति को असली बताकर बेच देते थे। इनमें जैमिनी रॉय, एमएफ हुसैन, एफएन सूजा, जहांगीर सबावाला, एसएच रजा, एनएस बेंद्रे, राम कुमार और अन्य जानेमाने कलाकारों की कृतियां शामिल थीं।

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