मुख्यपृष्ठस्तंभपंचनामा : बच्चे हो रहे हार्ट अटैक का शिकार!

पंचनामा : बच्चे हो रहे हार्ट अटैक का शिकार!

-आम बनती जा रही है यह बीमारी 

-कोरोना काल के बाद हुआ तेजी से इजाफा

धीरेन्द्र उपाध्याय

यूपी के फिरोजाबाद में हाल ही में कक्षा २ के एक छात्र कीr दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। इतनी छोटी सी उम्र में दिल का दौरा पड़ने की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। खबर के अनुसार, यहां के एक स्कूल के वैंâपस में लंच के समय खेलने-कूदने के दौरान बच्चा अचानक गिर पड़ा। जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आशंका जताई जा रही है कि बच्चे की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। यह कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले भी देशभर में सैकड़ों की संख्या में नाचते-गाते, मोबाइल पर कार्टून देखते और अन्य विभिन्न तरह की गतिविधियां करते समय बच्चों को हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हो चुकी है। कोरोना काल के बाद से पूरे हिंदुस्थान में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को यह बीमारी अपना शिकार बना रही है। ऐसे में अब यह कहना गलत नहीं होगा कि हार्ट अटैक का कनेक्शन उम्र से नहीं रह गया है।
उल्लेखनीय है कि हिंदुस्थान में देखा जा रहा है कि कम उम्र के लोगों को भी हार्ट अटैक अपना शिकार बन रहा है। दरअसल इसका सबसे आम कारण कोरोनरी धमनी रोग है,जिसमें कोरोनरी धमनियां पैâट और अन्य पदार्थों से ब्लॉक हो जाती हैं। कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल की बीमारी होती है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। इसके अलावा भागदौड़ भरी जिंदगी में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, खराब लिपिड प्रोफाइल, बढे हुए वजन और कोलेस्ट्रॉल की वजह से हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। सबसे चिंता का विषय यह है कि बच्चों को भी हार्ट अटैक अपना शिकार बना रहा है।
काफी हद तक माता-पिता भी हैं जिम्मेदार
जन्म से बिल्कुल स्वस्थ बच्चे, छोटी सी उम्र में हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। इसका कारण कह सकते हैं कि माता-पिता से आने वाली बीमारी, बच्चों के सामने धूम्रपान करना, गलत लाइफस्टाइल का होना, बच्चों को खेल कूद करने के लिए प्रेरित न करना जैसे कई कारण हैं, जो बच्चों में दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा रहे हैं। छोटी उम्र में ही बच्चों का खून कम हो जाता है। शुगर कोलेस्ट्रॉल जैसे रोग हो जाते हैं, जो हार्ट अटैक के लिए काफी खतरनाक होते हैं।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
अगर बच्चे को फिजिकल रूप से मेहनत, व्यायाम या कोई भी थका देने वाली एक्टिविटी करने के दौरान सीने में दर्द होना, कई दिनों से लेकर हफ्तों तक एक्‍सरसाइज करने की क्षमता में कमी आना, सीने में दर्द के बाद बेहोश होना, जन्मजात हृदय रोग के साथ पैदा हुए बच्चों के सीने में दर्द होना, आदि। अनुवांशिक कारण की वजह से हाई कोलेस्ट्रॉल वाले बच्चों के सीने में भी दर्द उठ सकता है।
कम उम्र में हार्ट अटैक की समस्या
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा कि कम उम्र के लोगों में बढ़ती हृदय रोगों की समस्या काफी गंभीर हो सकती है, जिसको लेकर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। कुछ वर्षों पहले तक दिल का दौरा मुख्य रूप से वृद्ध लोगों में होन वाली समस्या थी। ४० वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति में हार्ट अटैक जैसी समस्याएं काफी दुर्लभ मानी जाती थीं। हालांकि, अब यह नौनिहालों तक पहुंच चुका है।
बच्चों का तुरंत कराना चाहिए टेस्ट
बच्चों में अगर हार्ट अटैक के लक्षण नजर आएं तो माता-पिता को नजरअंदाज करने से बचना चाहिए। तुरंत बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए और टेस्ट करवाने चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर ही उनका खानपान और लाइफस्टाइल व्यवस्थित करें।
डॉ. यशवंत सदावर्ते, बाल रोग विशेषज्ञ
लाइफस्टाइल में आया है काफी बदलाव
आधुनिक समय में बच्चों की लाइफस्टाइल में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जो हार्ट अटैक का कराण बनते हैं। कुछ बच्चों को जन्म से ही ये बीमारी होती है। गर्भावस्था के दौरान भीr बच्चे को कंजेनाइटल हार्ट डिजीज से ग्रसित हो जाते हैं, फिर उन्हें ताउम्र इसी के साथ रहता है। इस बीमारी में दिल की दीवार, वॉल्व की बीमारी का असर होता है जो हार्ट अटैक का सबसे बड़ा खतरा बन जाता है।
डॉ. संतोष कदम, बाल रोग विशेषज्ञ
हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं दो लाख बच्चे
हिंदुस्थान में हर साल लगभग दो लाख बच्चे जन्मजात हृदय रोग के साथ पैदा होते है। इन बच्चों को समय रहते उपचार मिलना काफी जरूरी हैं। इसका समय पर पता चलने से इलाज आसान हो जाता है। साथ ही असमय होनेवाली मौतों का भी खतरा टल जाता है।
डॉ. मिन्नी बोधनवाला, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वाडिया अस्पताल
बच्‍चों में छाती में दर्द उठने के कारण
कई बच्‍चों को मस्‍कुलोस्‍केलेटल चेस्‍ट पेन की वजह से छाती में दर्द उठता है। यह दर्द छाती की मांसपेशियों और हड्डियों के कनेक्‍शन से पैदा होता है। छाती की दीवारों की मांसपेशियों और नसों में ऐंठन होने पर छाती में दर्द हो सकता है। यह दर्द आता-जाता रहता है। इसके अलावा खांसी के दौरान भी छाती में दर्द की शिकायत हो सकती है। छाती की हड्डियों से जुड़े कार्टिलेज में सूजन की वजह से भी छाती में दर्द उठ सकता है।
डॉ. अमित धावड़े, बाल रोग विशेषज्ञ, मदरहुड
हॉस्पिटल, खारघर

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