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सियासी पार्टियों पर ‘डोनेशन’ वायरस का अटैक! …चालबाजी है चंदा चिटकाओ और चुपके से भाग जाओ

टीएमसी और जेडीयू ने किया गुमनाम चंदे से इनकार
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश में इन दिनों चुनावी बॉन्ड से लिया गया चंदा चर्चा का विषय बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एसबीआई पार्ट-पार्ट में जानकारी दे रही है, जिसे चुनाव आयोग अपने वेबसाइट पर अपडेट कर रहा है। हजारों करोड़ रुपयों के दिए गए चंदे पर घमासान मचा हुआ है। इसमें कई कंपनियों पर शेल कंपनी होने का दावा किया जा रहा है, जिनके जरिए ब्लैक मनी खपाए जाने का आरोप है। इससे सियासी पार्टियां अब पल्ला झाड़ रही हैं। सियासी पार्टियों पर ‘डोनेशन’ वायरस का अटैक से अब टीएमसी व जेडीयू भी परेशान हैं। इसका कारण है कि कुछ कंपनियों ने चालबाजी करते हुए सियासी पार्टियों को चंदा चिटकाया और चुपके से भाग गर्इं। अब सवाल पूछे जाने पर इन पार्टियों को जवाब देते नहीं बन रहा है।
गौरतलब है कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक होते ही अब पार्टियां चंदे की बात से पल्ला झाड़ती नजर आ रही हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की जेडीयू ने तो यहां तक कह दिया कि कोई ये बॉन्ड उनके दफ्तर में छोड़ गया है। टीएमसी का कहना है कि उनके पास बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी नहीं है। बता दें कि साल २०१८-१९ के बॉन्ड की जानकारी से टीएमसी और जेडीयू ने इनकार किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, २७ मई २०१९ में टीएमसी ने भारत निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी में बॉन्ड पर भी बात की थी। पार्टी का कहना था, ‘इनमें से अधिकांश बॉन्ड हमारे दफ्तर भेजे गए और ड्रॉप बॉक्स में रखे गए या मैसेंजर्स के जरिए भेजे गए, जो हमारी पार्टी का समर्थन करना चाहते हैं।’ आगे बताया गया, ‘इनमें से अधिकांश ने अज्ञात रहने का पैâसला किया, तो ऐसे में हमारे पास खरीदने वालों के नाम और अन्य जानकारियां नहीं हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक, जेडीयू ने चुनाव आयोग को ३० मई २०१९ को बताया था, ‘१३ अप्रैल २०१९ को पटना में कोई हमारे दफ्तर में आया और सीलबंद लिफाफा दे गया, जब उसे खोला गया तो हमें १-१ करोड़ के १० इलेक्टोरल बॉन्ड मिले। ऐसे हालात में हम दानदाताओं के बारे में और ज्यादा जानकारी देने में असमर्थ हैं।’ जेडीयू का यह भी कहना है, ‘हमें जानकारी नहीं है और हमने पता करने की कोशिश भी नहीं की, क्योंकि तब सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं था और सिर्फ भारत सरकार की अधिसूचना ही थी।’ हालांकि, जेडीयू ने अप्रैल २०१९ में १३ करोड़ रुपए में से ३ करोड़ के दानदाताओं की जानकारी दी है।

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