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सिटीजन रिपोर्टर : ऑटोरिक्शा चालक उड़ा रहे हैं नियमों की धज्जियां … यात्री भुगत रहे हैं खामियाजा

 

कल्याण
केंद्र सरकार ने भले ही कल्याण शहर को मेट्रो सिटी बनाने की घोषणा की हो, लेकिन कल्याण की छोटी-बड़ी समस्याओं में से एक समस्या भिवंडी के यातायात सुधार की है, जिसे सुधारने में महाराष्ट्र यातायात यंत्रणा फेल साबित हो रही है। भिवंडी के मनमाने यातायात कानून को ताक पर रखकर ऑटोरिक्शा चालकों की वजह से बस चालकों सहित निजी वाहन चालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, ऑटोचालक यात्रियों से मनमाना भाड़ा भी वसूलते हैं। ये सब जानते हुए भी यातायात विभाग और आरटीओ हाथ पर हाथ धरे बैठा है। एक तरफ भिवंडी के ऑटोरिक्शा चालकों को गैर जिम्मेदार बताया जा रहा है, वहीं कल्याण में ही उल्हासनगर, कल्याण के खड़कपाड़ा जैसे क्षेत्र में ऑटोरिक्शा चालक सामान का भाड़ा भी यात्रियों से ले लेते हैं। ‘दोपहर का सामना’ के सिटीजन रिपोर्टर राजेंद्र कुमार यात्रियों की इस समस्या को सामने लाए हैं।
राजेंद्र कुमार ने बताया कि कल्याण रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में हर तरफ से ऑटोरिक्शा वाले आते और जाते हैं। भिवंडी में ऑटोरिक्शा व बस ही एकमात्र आवागमन के साधन हैं। अपने ऑटोरिक्शा को कहीं भी खड़ा कर चालक यात्रियों की तलाश में रहते हैं। ऐसे में कहीं भी ऑटोरिक्शा खड़ा करने से ये रिक्शा चालक दूसरे वाहनों की रफ्तार कम कर देते हैं। रेल सेवा से भिवंडी को बराबर न जोड़ पाने के कारण यात्रियों के लिए भिवंडी की यात्रा दुखमय हो जाती है। ऑटोरिक्शा चालकों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण जिस बस को चालीस मिनट में अपने निर्धारित गंतव्य पर पहुंचना चाहिए उसे अपने गंतव्य तक पहुंचने में कभी-कभी दो घंटे का समय लग जाता है। ताज्जुब की बात तो यह है कि भिवंडी का भाड़ा जहां सामान्य बस १५ रुपए और एसी बस ३० रुपए लेती है, वहीं ऑटोरिक्शा चालक ६० रुपए भाड़ा वसूलता है। कल्याण से भिवंडी का भाड़ा आरटीओ ने कितना फिक्स किया है, पता नहीं? ऑटोरिक्शा पर मीटर लगे होने के बावजूद कोई भी ऑटोरिक्शा चालक मीटर से नहीं चलता। ऐप से चलने वाले वाहनों का ऑटोरिक्शा चालक विरोध करते हैं। ऑटोरिक्शा चालकों की बिना कतार यात्रियों को रिक्शे में बैठाने की प्रथा के चलते यात्रियों को घंटों रिक्शे में बैठकर दूसरे यात्रियों का इंतजार करना पड़ता है। कल्याण बस डिपो हो या भिवंडी का बस डिपो ऑटोरिक्शा वाले बेहिचक बस डिपो के अंदर घुस जाते हैं। कल्याण रेलवे स्टेशन के पश्चिम की यातायात स्थिति को भिवंडी के ऑटोरिक्शा चालकों ने बिगाड़ कर रख दिया है। मछली मार्वेâट में जिस तरह चौबीसों घंटे शोर मचा रहता है कुछ वैसी ही स्थिति इन ऑटोरिक्शा चालकों की वजह से कल्याण में हर वक्त बनी रहती है। बता दें कि भिवंडी से कल्याण के लिए काफी ऐसे भी ऑटोरिक्शा चलते हैं, जो अवैध हैं। ऑटोरिक्शा चालक न तो गणवेश में रहते हैं और न ही उनके पास लाइसेंस होता है। वो सिर्फ गाड़ी के कागज ही पास में रखते हैं। तीन सवारियां बिठाने की बजाय चार से पांच यात्रियों को ऑटोरिक्शे में बिठाने के कारण कई बार ऑटोरिक्शा के पलटने से यात्री दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के मुताबिक ऑटोरिक्शा पलटने से भी मौत हुई है। भिवंडी में ऑटोरिक्शा कतार की व्यवस्था का न होना समस्या की प्रमुख जड़ है। यातायात विभाग से जुड़े अधिकारियों को चाहिए कि वो यात्रियों की सुविधाओं का खयाल करते हुए इस स्थिति को वैâसे नियंत्रित किया जाए, इस पर गौर करें।

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