मुख्यपृष्ठस्तंभगुजरात की गुत्थी :...अब पोस्टर वॉर!

गुजरात की गुत्थी :…अब पोस्टर वॉर!

सुशील राय

तोड़-फोड़ की राजनीति करने वाली भाजपा खुद के नेताओं को संभाल नहीं पा रही है। बाहरी नेताओं को पार्टी में ओहदे और टिकट बांटकर अपने नेताओं के साथ खुद की भी फजीहत करवा रही है। एक शेर है, `जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते’ ये बात भाजपा आलाकमान नहीं समझ पा रहा है और नतीजे सामने आ रहे हैं। सावली सीट से विधायक केतन इनामदार ने अपनी आत्मा की आवाज सुनकर इस्तीफा दिया, फिर वापस ले लिया। छोड़िए, वो जाने वाले थे लेकिन नहीं गए। हो सकता है दबाव बनाया गया हो! ऐसा नहीं है कि सिर्फ नेताओं का ही, बल्कि जनता भी विरोध का बिगुल बजा रही है। इसका उदाहरण है वड़ोदरा का पोस्टर वॉर। जी हां, भाजपा के गढ़ बड़ोदरा में गुमनाम पोस्टर लगाए गए हैं। ये पोस्टर यहां के नेता के नकारेपन को दर्शा रहे हैं। इन पोस्टरों पर `पीएम मोदी से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन रंजनबेन मंजूर नहीं’ के स्लोगन लिखे हुए हैं। बता दें कि दो बार सांसद का चुनाव जीत चुकीं रंजनबेन को जब तिसरी बार यानी इस बार उनको टिकट मिला तो पार्टी की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति पंड्या ने उनका विरोध किया था। अब रंजनबेन की उम्मीदवारी के विरोध में शहर में पोस्टर लगाए गए हैं। अंत में, अपनी डंवाडोल होती नैया को पार लगाने के लिए भाजपा को कुछ तो… करना प़ड़ेंगा, वरना…खामियाजा भुगतना पड़ेंगा!!
मुफ्त की मजदूरी और मौत!
पूरे देश में इस समय राजनीतिक आग लगी हुई है। सभी पार्टियां तैयारी में जुटी हैं। इसमें सबसे आगे भाजपा इस ताक में बैठी है कि अन्य पार्टी का कौन नेता असंतुष्ट चल रहा है या उसे किस तरह से फोड़ा जाए। इस चक्कर में जनता से जुड़ी समस्याओं का बंटाधार हो रहा है। हाल के दिनों में केंद्र की भाजपा सरकार महाराष्ट्र से कई कंपनियों को गुजरात में लेकर गई। वैसे भी पीएम मोदी अक्सर अपने भाषण में विकास का मॉडल `गुजरात’ कहते हुए सुनाई देते हैं। देशभर के कई राज्यों से लोग अपनी जीविकोपार्जन के लिए गुजरात जाते हैं, उनमें लाखों, करोड़ों की संख्या में मजदूर भी शामिल रहते हैं। वे दिन-रात काम करते हैं और उनको उम्मीद रहती है कि उन्हें उनकी मजदूरी मिलेगी लेकिन मजदूरी नहीं मिलती है। जी हां, लोगों से मुफ्त की मजदूरी कराई जाती है और विरोध करने पर आग में झोंक दिया जाता है। ये हम नहीं, बल्कि हाल में हुई एक घटना कह रही है। कच्छ में एक शख्स ने एक-दो नहीं, बल्कि १५ परिवारों की झोपड़ियों में आग लगा दी। अंजार में खत्री चौक के बीच झोपड़ियों में रहने वालों में से एक बद्रीनाथ गंगाराम यादव की शिकायत के मुताबिक, अंजार में रहने वाला आरोपी मोहम्मद रफीक कुंभार अपने आस-पास रहने वाले लोगों को मजदूरी के लिए ले जाता था, मगर पैसे नहीं देता था। इस वजह से मजदूरों ने उसके साथ काम करने से इनकार कर दिया। इसके बाद रविवार के दिन जब झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के बच्चे सो रहे थे, तभी उसने ज्झोपड़ियों में आग लगा दी। लोग किसी तरह जान बचाकर भाग तो गए, लेकिन उनकी मेहनत की कमाई से खरीदे गए सामान जलकर खाक हो गए। अंत में, विकास का दावा करने वाले की नजर इस विनाश लीला पर जाएगी! या यूं ही मुफ्त में मजदूरी करके मजदूर मौत में मुंह में झोंके जाएंगे!!

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