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उत्तर की बात : भाजपा के लिए आसान नहीं यूपी में पहले चरण का चुनाव!

रोहित माहेश्वरी
लखनऊ

बीजेपी इस बार लोकसभा चुनाव में केंद्र में ३७० और यूपी में सभी ८० सीटें जीतने का दावा कर रही है। लेकिन यूपी में पहले चरण के चुनाव में ही सभी ८ सीटें जीतना ही बीजेपी के लिए इतना आसान दिखाई नहीं देता। पहले चरण में सहारनपुर, वैâराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में चुनाव होना है। यहां २० मार्च से २७ मार्च तक नामांकन होगा और १९ अप्रैल को वोटिंग होगी। यूपी में पहले चरण में जिन ८ सीटों पर चुनाव होना है, उसमें कुछ सीटों पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या अधिक है। मुस्लिम वोटर ही यहां की राजनीति की दिशा तय करते थे।
सही मायनों में पश्चिम उत्तर प्रदेश चुनावी जंग का सबसे अहम किला है। पहले इस क्षेत्र में नेता किसानों के मुद्दों को ‘खाद-पानी’ देकर वोटों की फसल काटते थे लेकिन पिछले एक दशक में यहां बहुत कुछ बदला है। किसानों की जमीन पर वर्तमान में बनते बिगड़ते समीकरण और गठजोड़ ने यहां की राजनीति को बदला है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की घड़ी नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे चुनावी रंग भी और चटख हो चला है। वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस बार बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जबकि सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है और दोनों दल विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का हिस्सा हैं। रालोद ने भारतीय जनता पार्टी नीत एनडीए गठबंधन से हाथ मिलाया है। यूपी में पहले चरण में जिन आठ सीटों पर चुनाव है वहां अभी आधी सीटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कब्जा है। २०१९ लोकसभा चुनाव में इन आठ में से तीन सीटों पर बीएसपी और दो पर एसपी ने जीत हासिल की थी। २०२२ को रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने इस सीट को सपा से जीत लिया था यानी कि बीजेपी के पास अभी चार सीटें हैं। ये हैं- वैâराना, मुजफ्फरनगर, रामपुर और पीलीभीत।
खास बात ये है कि पिछले चुनाव में कुछ सीटों पर बीजेपी को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। नगीना सीट पर बीएसपी के गिरीश चंद्रा ने बीजेपी के यशवंत सिन्हा को सबसे ज्यादा १ लाख ६६ हजार ८३२ वोटों के अंतर से हाराया था। रामपुर से सपा नेता आजम खान ने भी बड़े अंतर १ लाख ९ हजार ९९७ वोटों से बीजेपी नेता और अभिनेत्री जया प्रदा को हराया था। इसके अलावा मुरादाबाद से सपा नेता एसटी हसन ने भी करीब ९८ हजार वोटों के अंतर से बीजेपी उम्मीदवार को हराया था। वहीं बिजनौर में ६९,९४१ वोट और सहारनपुर सीट पर २२,४१७ वोटों से बीजेपी को हार मिली थी। यूपी में बीजेपी ने अपने ५१ सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, वहीं उसके सहयोगी दल रालोद ने भी अपनी दो सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने अब तक ३७ सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। सपा यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन में है। हालांकि, कांग्रेस ने गठबंधन में मिली अपनी १७ सीटों पर अभी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है।
भाजपा पिछली बार आठ में से चार सीटें हार गई थी, ऐसे में वो फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। लेकिन इसमें उसकी कमजोरी भी सामने आ रही है कि वो सभी आठ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं कर पाई है। सपा-कांग्रेस गठबंधन में इन आठ सीटों में से कांगे्रस के हिस्से में सहारनपुर सीट भी आई है। कांग्रेस भी इस बार इस सीट पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, ऐसे में वो भी प्रत्याशी के चयन में चिंतन-मंथन कर रही है। सहारनपुर के अलावा बाकी की सात सीटों वैâराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में समाजवादी पार्टी एकाध सीट के अलावा उम्मीदवारों का एलान कर चुकी है। वहीं बसपा भी आठ में सात सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतार चुकी है। सूत्रों के अनुसार सभी दलों ने उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं, बस नामों का एलान होना बाकी है।भाजपा के लिए पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर जीत पाना इतना आसान दिखाई नहीं देता। इस बार इंडिया गठबंधन के दो अहम दल सपा-कांग्रेस की उसके सामने चुनौती जो है। पूरी तस्वीर तो उम्मीदवारों के नामों के एलान के बाद ही साफ हो पाएगी। लेकिन भाजपा के सामने सपा-कांग्रेस गठबंधन की बड़ी चुनौती दिखाई देती है। वहीं अकेले चुनाव लड़कर भले ही बसपा का अपना काम बने या न बने, लेकिन वो भाजपा का काम जरूर बिगाड़ने की हैसियत में है।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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