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नाम बदलने से ज्यादा सुविधाओं की जरूरत! … कॉटन ग्रीन स्टेशन पर समस्याओं की भरमार

सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद कॉटन ग्रीन स्टेशन का नाम कालाचौकी रखा जाएगा। हालांकि इस स्टेशन से यात्रा करने वाले यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों ने नाम बदलने के निर्णय पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा है कि केवल नाम बदलने से स्टेशन की समस्याएं हल नहीं होंगी। कॉटन ग्रीन स्टेशन जाकर यात्रियों की टिप्पणियां सुनने के बाद यहां उपलब्ध सुविधाओं का जायजा इस संवाददाता ने लिय।
टिकट घर और एस्केलेटर की समस्या
कॉटन ग्रीन स्टेशन के पश्चिम में दो टिकट घर हैं। ये टिकट घर पश्चिम शिवड़ी की ओर एक छोर पर हैं। इस रेलवे स्टेशन के दूसरी ओर पुल पर जाने वाले यात्रियों को भी टिकट लेने के लिए यहीं आना पड़ता है। जिसके कारण यात्रियों का समय बर्बाद होता है। कॉटन ग्रीन रेलवे स्टेशन पर एस्केलेटर और लिफ्ट उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए यात्रियों की तरफ से एस्केलेटर और लिफ्ट की सुविधा की मांग की जा रही है।
स्टेशन पर फैली गंदगी
स्टेशन पर हर तरफ गंदगी है। साथ ही स्टेशन पर शौचालय की भी सफाई नहीं होती है। यात्रियों के लिए लगे वाटर कूलर का पानी प्लेटफार्म पर लीक होता रहता है, जिससे प्लेटफार्म पर गंदगी फैल गई है। यदि समय रहते इस संदर्भ में कदम उठाए जाएं तो यात्रियों की असुविधा दूर होगी और उनकी यात्रा सुगम होगी।
स्टेशन पर समस्या ही समस्या
लीक होता वाटर कूलर
स्काईवॉक पर कपल्स का कब्जा भीड़
एटीवीएम मशीनों की कमी
गंदा और बदबूदार शौचालय
एस्केलेटर और लिफ्ट का अभाव उपयुक्त कोई व्यवस्था नहीं है।
प्लेटफार्म दो पर शौचालय नहीं
प्रकाश व्यवस्था के अभाव में लूटपाट, चोरी का डर
स्काईवॉक बना प्रेमियों का अड्डा
कॉटन ग्रीन रेलवे स्टेशन की ओर जाने वाला स्काईवॉक मौज-मस्ती करने वालों और प्रेमियों का अड्डा बन गया है। इसलिए महिलाएं रात में स्काईवॉक पर चलने की हिम्मत नहीं करतीं।

नाम बदलने का विरोध नहीं
आम चुनाव के मद्देनजर राज्य सरकार यात्रियों को गुमराह कर रही है। यात्रियों की सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा हेतु स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं का अभाव है। इस पर ध्यान देना जरूरी है। बस स्टेशन का नाम बदलने से समस्याएं कम नहीं होंगी।
– नंद कुमार देशमुख, अध्यक्ष,

उपनगरीय रेलवे यात्री संघ
प्लेटफार्म नंबर दो पर नहीं है शौचालय
कॉटन ग्रीन रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो पर शौचालय नहीं है। ऐसे में नागरिकों को घूमकर प्लेटफार्म नंबर एक पर जाना पड़ता है। रेलवे को इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाना चाहिए।
-कृष्णा देशपांडे. यात्री

कॉटन ग्रीन स्टेशन का नाम बदलने का निर्णय लिया गया
हम इस निर्णय से संतुष्ट हैं, लेकिन नाम बदलने से इस स्टेशन की सभी समस्याएं हल नहीं होंगी। जन प्रतिनिधियों को स्थानीय स्तर पर यात्रा करनी चाहिए और मुंबईकरों की समस्याओं को जानना चाहिए। – आकांक्षा पांडे, यात्री

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