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मुर्गी से महंगा मसाला, सामने आया रेलवे का घोटाला …एस्केलेटर की लागत से ज्यादा रखरखाव का खर्च!

सामना संवाददाता / मुंबई
यात्रा के दौरान अधिक लगेज और उम्रदराज यात्रियों की सुविधा के लिए एस्केलेटर का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है। मुंबई उपनगरीय रेलवे सेवा में एस्केलेटर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाए गए हैं, लेकिन उनमें हमेशा अधिकतर एस्केलेटर खराब और बंद पड़े रहते हैं। रेलवे प्रशासन ने बताया कि पश्चिम रेलवे एक एस्केलेटर के रखरखाव पर सालाना १.८५ लाख रुपए खर्च करता है, जबकि मध्य रेलवे २.९७ लाख रुपए खर्च करता है। ये खर्च बता रहे हैं कि मुर्गी से ज्यादा मसाला महंगा है यानी रखरखाव में ज्यादे खर्च हो रहे हैं। साथ ही किसी घोटाले की तरफ भी इंगित कर रहे हैं। एस्केलेटर पर हो रहे खर्च के बारे में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य और पश्चिम रेलवे प्रशासन से विभिन्न जानकारी मांगी थी। पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता शकील अहमद ने बताया कि चर्चगेट और विरार के बीच १०६ एस्केलेटर हैं। एक एस्केलेटर की रखरखाव लागत १.८५ लाख प्रति वर्ष है, वहीं मध्य रेलवे के वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता एचएस सूद ने बताया कि सीएसटीएम से कल्याण और सीएसटीएम से वाशी के बीच १०१ एस्केलेटर हैं। एक एस्केलेटर की वार्षिक रखरखाव लागत २.९७ लाख रुपए है।

म्हाडा कर रही जरूरतों से ज्यादा दिखावे पर खर्च
आम आदमी के घर के सपने को पूरा करने वाली म्हाडा के बांद्रा पूर्व मुख्यालय को अब नया लुक मिलेगा। म्हाडा की ओर से प्रशासनिक भवन के बाहरी हिस्से की पेंटिंग के लिए ई-टेंडर जारी किया गया है और इस पर करीब ५५ लाख २१ रुपए खर्च किए जाएंगे। साथ ही आने वाले कुछ महीनों बाद म्हाडा के पूर्ण बिल्डिंग को बीकेसी में शिफ्ट किया जाएगा। बता दें कि बांद्रा स्थित म्हाडा का मुख्यालय भवन पांच मंजिला है और यह भवन लगभग ५५ वर्ष पुराना है, जिसके रखरखाव व मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। इस इमारत के पुनर्विकास पर भी खूब चर्चा हो रही है। पहले से ही वित्तीय संकट में चल रही म्हाडा का पैसा मुख्यालय के बाहर रंग कर क्यों बर्बाद किया जा रहा है।

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