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पुरुषों और बच्चों में बढ़े बर्न विकृति के केस! …१० में से छह पुरुष, चार बच्चे

सालाना कुल ५ लाख होते हैं शिकार
सामना संवाददाता / मुंबई
हिंदुस्थान में पिछले कुछ सालों में बर्न सर्वाइवर विकृत के मामलों में काफी बदलाव आया है। इससे पहले जहां महिलाएं और बच्चे इसके शिकार होते थे, अब मामला उल्टा हो गया है। देश में पुरुषों और बच्चों में ऐसे केस बहुत तेजी से बढ़े हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, देश में एक साल में औसतन पांच लाख लोग बर्न के बाद सर्वाइव विकृति के शिकार होते हैं। बताया गया है कि विकृतता के मामलों में १० में से छह पुरुष और चार बच्चे शामिल हैं।
ज्ञात हो कि कुछ साल पहले तक दहेज को लेकर विवाहिताओं को ससुरालीजन जला देते थे। इसमें कुछ मामलों में उनकी मौत हो जाती थी, जबकि कई मामलों में वे बच तो जाती थीं, लेकिन उनके चेहरे से लेकर अन्य अंग कुरूप हो जाते थे। हालांकि, समय बीतने के साथ ही ऐसी घटनाएं तो कम हो गई हैं, लेकिन अब पुरुषों और बच्चों के जलने और बर्न सर्वाइव के मामलों में वृद्धि हुई है।
ऐरोली के नेशनल बर्न सेंटर में निदेशक डॉ. एसएम केशवानी ने कहा कि देश में चार बर्न सेंटर की जरूरत है, जिसकी मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि बर्न सेंटरों में स्किन बैंक, स्किन रिजनरेशन लैब, एडवांस फिजियोथेरेपी विभाग की सख्त जरूरत है। डॉ. केशवानी ने कहा कि महिलाओं के कामकाजी होने से बच्चे आया के पास रहते हैं। ऐसे में उनके द्वारा बच्चों का सही तरीके से ध्यान नहीं रखा जाता है। इससे अधिकांश बच्चे ज्वलनशील तरल पदार्थ की चपेट में आ जाते हैं। इसे कॉल्ड बर्न कहते हैं। इसके साथ ही इंडस्ट्री बर्न के मामलों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही दो फीसदी एसिड अटैक के मामले सामने आ रहे हैं।
गरीब ज्यादा हैं शिकार
बर्न के मामले में गरीबों और मध्यम वर्गीय गरीबों की संख्या अधिक है। इसमें इंडस्ट्रीज में काम करने वाले लेबरों का भी समावेश है। इसमें ८० से ९५ फीसदी इस तरह के लोग शामिल हैं। संपन्न लोगों में केवल १० से १५ फीसदी मामले हैं, जिसमें कार, प्लेन और घरों में आग लगने पर ऐसे लोग शिकार होते हैं।

७९६ जले लोगों की हुई है सर्जरी
रोटरी क्लब ऑफ बॉम्बे नॉर्थ और रोटरी क्लब ऑफ देवनार ने नेशनल बर्न्स सेंटर के सहयोग से बर्न सर्वाइवर में विकृति को ठीक करने के लिए मुफ्त सुधार सर्जरी शिविरों के बारे में जागरूकता के लिए एक बैठक की। इसमें बताया गया कि खर्च वहन नहीं कर पाने वालों की मुफ्त में सर्जरी की जाएगी। साल २०११ से अब तक ७९६ जले हुए लोगों की सर्जरी की गई।

ईजाद हुई देश में नई इलाज तकनीक
डॉ. केशवानी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जर्मनी से तीन महीने पहले हिंदुस्थान में आर्टिफिशियल स्किन आने लगी है। इससे जलनेवाले मरीजों को काफी राहत होगा। इसके साथ ही अब देश में २७ स्किन बैंकों की मदद से बड़ी संख्या में लोगों को बचाने में मदद मिल रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि आज भी लोगों को यह पता ही नहीं है कि स्किन को डोनेट किया जा सकता है। मुंबई जैसे शहरों में एक महीने में १५० स्किन डोनेशन होते हैं।

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