मुख्यपृष्ठसमाचारम्हाडा की छप्परफाड़ कमाई फिजूलखर्ची में उड़ाई!

म्हाडा की छप्परफाड़ कमाई फिजूलखर्ची में उड़ाई!

-मुंबई से `२,५०० करोड़ का राजस्व

-दिखावे के लिए खर्च कर रही है पैसे

-मुख्यालय के बाहर रंग रोगन पर पैसों की बर्बादी

सामना संवाददाता / मुंबई

मुंबई में मकानों की बिक्री से म्हाडा को अच्छी कमाई हुई है। महज पांच महीने में म्हाडा के खजाने में १,४०० करोड़ रुपए का राजस्व जमा हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि मुंबई लॉटरी से पहले म्हाडा के खजाने में केवल १५०-२०० करोड़ रुपए बचे थे। लेकिन कमाई के बीच म्हाडा द्वारा री जा रही फिजूलखर्ची की लोग आलोचना कर रहे हैं। म्हाडा की ओर से हाल ही में प्रशासनिक भवन के बाहरी हिस्से की पेंटिंग के लिए ई-टेंडर जारी किया गया है, जिस पर करीब ५५ लाख २१ रुपये खर्च किए जाएंगे।
म्हाडा की भरी तिजोरी
मुंबई में ४,०८२ घरों के लिए लॉटरी की घोषणा की गई थी। इसमें ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत १,९४७ घर भी शामिल हैं। ४०८२ आवासों के लिए १ लाख २० आवेदन प्राप्त हुए थे। बताया जाता है कि इन घरों से म्हाडा के खजाने में १,३९१ करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं। इसके अलावा म्हाडा दुकानों की बिक्री से २०० करोड़ और प्लॉट की बिक्री से करीब ३०० करोड़ रुपए मिले। म्हाडा के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह अकेले मुंबई बोर्ड से म्हाडा को मिलने वाला राजस्व २,५०० करोड़ तक पहुंच सकता है।
खर्चे पर उठ रहे सवाल
म्हाडा का जो मुख्यालय है उस पर जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। कहीं स्लैब ढह गया है तो कहीं प्लास्टर उखड़ गया है। दीवारों से बरसात के दौरान पानी रिसता है, साथ ही फर्नीचर भी जर्जर स्थिति में हैं। म्हाडा इसकी मरम्मत कराएगी, लेकिन सवाल यह है कि एक तरफ मुख्यालय को बाहर से चमकाने की कवायद कर रही है, लेकिन अंदर की मरम्मत का क्या? साथ ही ऐसी चर्चा जोरों पर है कि एक साल के अंदर यहां का दफ्तर बीकेसी में शिफ्ट हो जाएगा। अगर ऐसा है तो पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रही म्हाडा का पैसा मुख्यालय के बाहर रंग रोगन पर ही क्यों बर्बाद किया जा रहा है। इमारत की आंतरिक मरम्मत पर जोर क्यों नहीं दिया जा रहा है?

अन्य समाचार