मुख्यपृष्ठनमस्ते सामना31 मार्च के अंक नमस्ते सामना में प्रकाशित पाठकों की रचनाएं

31 मार्च के अंक नमस्ते सामना में प्रकाशित पाठकों की रचनाएं

वजह हम खुद
हमारे दु:खों की वजह कोई और नहीं, हम खुद हैं
हमारे जीवन में हर कर्म की वजह हम खुद हैं
दुनिया में हर काम सही हो रहा है
हमारी नासमझी की वजह कोई और नहीं, हम खुद हैं
रिश्ते-नातों की अनसुलझी पहेलियों में हम उलझे हैं
हमारे जीवन में हर एक बात की वजह हम खुद हैं
जीवन में सुख-दु:ख आनी-जानी है
हमारी जिम्मेदारियों की वजह कोई और नहीं, हम खुद हैं
वक्त के साथ हर चीज बदल रही है
हमारी कमियों की वजह कोई और नहीं, हम खुद हैं
तेरा-मेरा, इसका-उसका सब यहीं धरा रह जाएगा
हमारी परेशानियों की वजह कोई और नहीं, हम खुद हैं
किसने क्या किया, नहीं किया, ये उसका कर्म है
जीवन की हर परिस्थितियों की वजह हम खुद हैं
पूरी दुनिया अच्छी है दुनिया के लोग अच्छे हैं
हमारी गलत सोच की वजह कोई और नहीं, हम खुद हैं
हमारे दु:खों की वजह कोई और नहीं, हम खुद हैं
– रंजय कुमार

खूबसूरत
दुनिया है
दिलो-दिमाग में नफरत का बीज मत बोना
मिलेगा जहर कभी बैठ करके मत रोना
खूबसूरत दुनिया है गले लगा के देख
यारों अपनी खुशबू गफलत में मत खोना
थोड़ा दिल खोलकर प्रेम की रागिनी जगा
बुरे के लिए बुरा बनके वजूद मत खोना
राजनीति जहर हैं रंग-ढंग बदल देती
दिलो-दिमाग से विकलांगता मत ढोना
निखर जाओगे तन-मन को जरा साफ रखो
सुगंध बनके हवाओं में मिल सहर होना
जहर से जहर मिलते हैं बस दवाओं में
वैद्य के नुस्खे पढ़ मत नीम हकीम होना
जहान भर से तेरी पहचान हुई उमेश
शहर के लोगों से मिल पूरा सहर होना
– डॉ. उमेश चंद्र शुक्ल

शून्य हो जाता हूं
अनंत हो तुम मैं किंचित-सा
विलक्षण हो तुम मैं वंचित-सा
खुद को कहीं न पाता हूं
जब-जब सोचा मैने तुमको
शून्य-सा हो जाता हूं
देना सिर्फ है तुमको आता
मैं लेने का भी संकोची
पुष्प-से कोमल हृदयी तुम
मैं जन्मों का उत्कोची
क्षण भर में मिट जाता हूं
जब-जब सोचा मैंने तुमको
शून्य-सा हो जाता हूं
तुम प्रेम का अथाह सागर
मैं तुच्छ आकंठ लोभी
नि:स्वार्थ पर्याय तुम्हारा
और मैं अतिशय क्रोधी
प्रतिपल खुद को जलाता हूं
जब-जब सोचा मैंने तुमको
शून्य-सा हो जाता हूं
– आनंद शर्मा, हिसार

चुनाव आया
चुनाव आया चुनाव आया
जुमलों का सरदार झोला लेकर आया
चुनावी वादों की घोषणा पर मुहर लगाया
अभी तक कई वादे पूरे न हो पाए
चुनाव आया चुनाव आया
पार्टी साथ नहीं दे रही है तुम्हारी तो
ऐसे में पार्टी के विधायक-सांसद खरीद लाया
देखो-देखो काला धन वापस लानेवाले
जुमलों का सरदार फिर आया
भ्रष्टाचारियों को अपनी पार्टी में शामिल कर
वॉशिंग मशीन में धोकर बेदाग बनाया
महिलाओं की सुरक्षा पर बात करनेवाले
मणिपुर में सरेआम कुकर्मियों द्वारा घुमाया
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारा लगाया
बलात्कारियों को अपनी पार्टी में मिलाया
चुनाव आया चुनाव आया
राजनीति सत्ता के चक्कर में
कई धर्मों के लोगों को आपस में लड़ाया
काला धन लानेवाले जुमलों के सरदार
भ्रष्टाचारियों को विदेश से लाने में लाचार
सिलिंडर हजार पेट्रोल सौ पार
फिर भी कहते हैं जुमलों की सरकार
अबकी बार ४०० पार
मतलब एवीएम की सरकार
– परमानंद वर्मा, छत्तीसगढ़

वृक्ष बचाओ
विश्व बचाओ
नानक, गौतम, महावीर जी
नामदेव, रैदास व कबीर,
सदा ही रहे प्रकृति के संग
और बदले मानव की तकदीर!
-डॉ. मुकेश गौतम, वरिष्ठ कवि

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