मुख्यपृष्ठस्तंभबब्बा बोलो ना...उतर गया नशा!

बब्बा बोलो ना…उतर गया नशा!

अरुण कुमार गुप्ता

सत्ताधारी दल के नेताओं में सत्ता का नशा इस कदर चढ़ा होता है कि वह चुनावी आचार संहिता को भी नहीं मानते हैं। लेकिन जब कार्रवाई होती है तो सारा नशा उतर जाता है। इसी तरह का एक वाकया आजमगढ़ में सामने आया। जब उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के नेता पर चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ। यूं कि आजमगढ़ की पुलिस लाइन में जनसुनवाई का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान एक नेता भाजपा का झंडा लगी गाड़ी लेकर एसपी ऑफिस पहुंच गया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस पर प्रशासन तुरंत हरकत में आया और उसने नेताजी पर कार्रवाई का आदेश दे दिया। एसपी सिटी की ओर से नेता जी पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया। एसपी सिटी शैंलेंद्र लाल ने कहा कि वर्तमान में गाड़ी पर पार्टी का झंडा लगाकर चलना आचार संहिता का उल्लंघन है। हमने नगर कोतवाली प्रभारी को इसकी जांचकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। अब लोग यही कह रहे हैं कि कार्रवाई के बाद नेताजी शायद भविष्य में आचार संहिता का मतलब समझें।
शादी…बीमारी…और छुट्टी!
चुनावी ड्यूटी से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। ऐसे काफी कर्मचारी मथुरा में लोकसभा चुनाव में लगी ड्यूटी कटवाने के लिए तरह-तरह के एक्सक्यूज दे रहे हैं। ड्यूटी कटवाने के लिए एक से बढ़कर एक वजह बता रहे हैं। साहब… मेरी शादी है, चुनाव से ड्यूटी हटवा दीजिए, मेरी तबीयत खराब है, डॉक्टर ने आराम के लिए कहा है। इसके लिए कोई प्रार्थना पत्र के साथ शादी का कार्ड तो कोई मेडिकल सर्टिफिकेट लेकर सीडीओ के पास पहुंच रहा है। सभी की विनती बस यही है कि वैâसे भी चुनाव से ड्यूटी हट जाए। सीडीओ कार्यालय में शादी के कार्डों का ढेर लग गया है। प्रार्थना पत्रों की संख्या भी पांच सौ के पार पहुंच चुकी है। सीडीओ मनीष मीना भी हर प्रार्थना पत्र की पूरी पड़ताल कर रहे हैं।
रजिस्ट्री नहीं, तो मतदान नहीं!
देश की जनता भी अब नेताओं की चाल समझ गई है, इसीलिए वह भी मौके की तलाश में रहती है। इसी के तहत ग्रेटर नोएडा की जनता अब जगह-जगह बैनर लगाकर मतदान का बहिष्कार कर रही है। उसका कहना है कि रजिस्ट्री नहीं, तो मतदान नहीं। ग्रेटर नोएडा में रजिस्ट्री एक बड़ा मुद्दा बन गया है। घर खरीदारों का आरोप है कि सरकार इस पर गंभीर नहीं है, जबकि सरकार का कहना है कि उसने अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दी है, जिससे रजिस्ट्री होनी शुरू हो गई है। चुनाव के ऐन मौके पर लोगों के इस विरोध ने चुनावी दंगल में उतरे उम्मीदवारों को पसोपेश में डाल दिया है।

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