मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : अपनी मेहनत के बलबूते बने सभी के चहेते

मेहनतकश : अपनी मेहनत के बलबूते बने सभी के चहेते

अनिल मिश्र

अपनी मेहनत के बल पर परिवार की सेवा के साथ ही समाजसेवा करनेवाले सामान्य परिवार में जन्मे ओमकार तिवारी अपनी समाज सेवा के चलते आज बाटी-चोखा स्पेशलिस्ट बन गए हैं। धार्मिक कार्यों में बढ़कर हिस्सा लेनेवाले ओमकार तिवारी लोगों को बाटी-चोखा खिलाने में आगे रहते हैं।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के बीकापुर तहसील के दरियापुर गांव के निवासी ओमकार तिवारी का जब दसवीं पास करने के बाद पढ़ाई में मन नहीं लगा तो इंटर की परीक्षा दिए बगैर ही ओमकार तिवारी उल्हासनगर स्थित कमला नेहरू नगर में आ गए। पिता के अथक प्रयासों की बदौलत ओमकार तिवारी अस्थाई तौर पर सेंचुरी रेयान कंपनी में काम पर लग गए। नई उमर के कारण ओमकार तिवारी का ध्यान काम पर कम घूमने पर ज्यादा रहता था। खैर, दो वर्षों बाद ओमकार तिवारी नौकरी छोड़कर गांव चले गए और कुछ महीने बाद ही पिता जगन्नाथ तिवारी का स्वर्गवास हो गया। पिता के देहांत के बाद परिवार सहित उन पर अपनी पांच छोटी बहनों की भी जिम्मेदारी आ गई। पिता ने दो बहनों की शादी कर दी थी लेकिन अभी तीन बहनों का विवाह करना था। पिता के निधन के बाद ओमकार तिवारी ने पिता का भार अपने कंधों पर लेते हुए अपनी तीनों बहनों का धूमधाम से विवाह किया। ओमकार तिवारी के पिता जगन्नाथ तिवारी का निधन ड्यूटी के दौरान हुआ था इसलिए कंपनी ने उन्हें दोबारा नौकरी दी। विवाहोपरांत ओमकार तिवारी दो बच्चों के पिता बने। बेटी शिवानी को उन्होंने वकालत पढ़ाया, जबकि बेटे को मैकेनिकल डिप्लोमा करवाया। विवाहोपरांत बेटी शिवानी आज वापी में रहकर वकालत कर रही है और बेटा सिलवासा में बायलर लगाने का काम करता है। ओमकार तिवारी कहते हैं कि इकलौता बेटा होने के कारण नौकरी के अलावा उन पर गांव-परिवार की भी जिम्मेदारी है। गांव की अचल संपत्ति को सुरक्षित रखना भी उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है इसलिए उन्हें बार-बार गांव भी जाना पड़ता है। ओमकार तिवारी बताते हैं कि धार्मिक-सामाजिक कार्यों में वो अपने खर्च पर लोगों को बाटी-चोखा बनाकर खिलाते हैं। लोगों को बाटी-चोखा बनाकर खिलानेवाले ओमकार तिवारी आज बाटी-चोखा विशेषज्ञ बन गए हैं। धार्मिक और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेनेवाले ओमकार तिवारी की अपनी एक अलग पहचान बन गई है। बच्चों ने घर की जिम्मेदारी संभाल ली है इसलिए अब ओमकार तिवारी धर्म-कर्म, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन में रमे रहते हैं। मिलनसार स्वभाव के कारण ओमकार तिवारी सभी के चहेते हैं। ओमकार तिवारी का मानना है कि उनके द्वारा की गई सैकड़ों लोगों की सेवा के बदले भाई-बंधुओं से मिला आशीर्वाद ही उनके विकास की कुंजी है और लोगों द्वारा मिले प्रेम और स्नेह के कारण ही आज उनका परिवार तरक्की कर रहा है।

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