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यह ‘ईडी’ द्वारा शक्तियों का गलत इस्तेमाल है… मैं होता तो केजरीवाल को बेल दे देता!

-सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की तीव्र वेदना

ऐसा लगता है कि कोर्ट उस प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है, जो कानून में है और न ही ‘ईडी’ से कह रहा है कि आप प्रक्रिया का पालन करो।’

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

शराब घोटाला के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें ईडी ने पहले अपनी कस्टडी में रखा और फिर पूछताछ पूरी हो जाने के बाद कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन वी. लोकुर ने न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर मैं होता तो केजरीवाल को बेल दे देता। पूर्व न्यायाधीश ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं।
क्या आपको लगता है कि पीएमएलए का रिव्यू होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में जस्टिस लोकुर ने कहा कि हां यह तुरंत होना चाहिए। केजरीवाल को बेल देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हां जरूर मैं बेल दे देता पर हो सकता है ऐसा कुछ और भी हो जो हम नहीं जानते और जो पब्लिक डोमेन में न हो। पर जो तथ्य पब्लिक डोमेन में हैं उसके आधार पर बेल दे देता। क्या ईडी अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रही है, इस सवाल पर जस्टिस लोकुर ने कहा, ‘यह ईडी द्वारा उसकी शक्तियों का गलत इस्तेमाल ही है। अब तक १.५ साल का समय बीत चुका है। ईडी का कहना है कि वो अब तक यह मामला सुलझा नहीं पाई है, जबकि उसने इतने लंबे समय तक मनीष सिसोदिया को जेल में रखा है, उन्हें यह केस सुलझाने से क्या चीज रोक रही है?
अगर उनके पास सभी सबूत हैं तो वह चार्जशीट क्यों नहीं फाइल कर रहे हैं? उन्हें क्या करना है यह पता लगाने में इतना समय क्यों लग रहा है? और वे कौन से मटेरियल हैं, जिनके आधार पर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि केजरीवाल को गिरफ्तार किया जाना चाहिए?’
शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ‘आप’ नेताओं को जमानत न मिलने के सवाल पर जस्टिस लोकुर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि आरोपियों को जमानत मिलनी चाहिए, उन्हें जेल में क्यों रखा गया है, यह पहला सवाल है? उदाहरण के लिए क्या ऐसा कोई सबूत है जिससे मनीष सिसोदिया छेड़छाड़ कर सकते हैं या वो गवाहों को प्रभावित कर सकते है? अगर उन्हें ऐसा करना होता तो वह पहले ही कर लेते। ऐसे में ऐसा क्या है जो ईडी को इन सभी को गिरफ्तार करने पर मजबूर कर रहा है और अदालतों को भी ऐसा क्या मजबूर कर रहा है जो वह कह रहे हैं कि इन लोगों को सलाखों के पीछे होना चाहिए।’ रिटायर्ड जस्टिस ने आगे कहा, ‘ईडी का कहना है कि अरविंद केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे हैं तो आप क्या चाहते हैं? यह किसी भी आरोपी का संवैधानिक अधिकार है कि वो चुप रहे। अगर आप किसी को गिरफ्तार करते हैं तो आप उससे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वो सबकुछ कबूल कर ले।’ उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है कि आप आरोपी को गिरफ्तार करें और अगर आपने किसी को गिरफ्तार किया है तो कानून के तहत उसे अपनी बेगुनाही साबित करने का अधिकार है। सामान्य तौर पर कोई तब तक बेगुनाह है जब तक कि वह दोषी साबित नहीं हो जाता लेकिन यहां यह पलट दिया गया है। दूसरी बात यह है कि आपने उन्हें गिरफ्तार सिर्फ इसलिए किया है, क्योंकि आपके पास ऐसा करने का अधिकार है।’ इस सवाल पर कि यहां बहुत सारे बिजनेसमैन भी हैं जिन्हें छोड़कर सिर्फ राजनीतिक विरोधियों पर फोकस किया जा रहा है। जस्टिस ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि सिर्फ विरोधियों को ही निशाना बनाया जा रहा है।‘ लोकुर ने कहा, ‘आप कानून को हथियार नहीं बना सकते। कानून की प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। ऐसा लगता है कि कोर्ट उस प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है जो कानून में है और न ही ईडी से कह रहा है कि आप प्रक्रिया का पालन करो।’

केजरीवाल के पास दूसरे कैदियों के आने पर रोक!
तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा काफी सख्त कर दी गई है। जेल में बंद दूसरे कैदियों को उनके पास आने पर रोक लगा दी गई है। उनकी सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं और जब वे सेल से बाहर टहलने के लिए निकलते हैं तो उनके साथ चार पुलिसकर्मी चलते हैं। उन्हें एकमात्र कैदी के रूप में वार्ड नंबर ४ में रखा गया है। केजरीवाल टहलने के लिए अपने सेल से बाहर जा सकते हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से वे अन्य कैदियों से बात नहीं कर सकते। परिणामस्वरूप, जब भी वे बाहर निकलते हैं तो आंगन में अन्य कोठरियों वाला हिस्सा साफ हो जाता है।

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