राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे गजेंद्र भंडारी
सुशील राय मुंबई
गणगौर महोत्सव राजस्थान की पहचान है। मुंबई जैसे महानगर में इसकी गुम होती पहचान को बचाने का श्रेय मुंबई की सीमा से सटे भायंदर के एक सफल मार्बल व्यापारी गजेंद्र भंडारी को जाता है। गजेंद्र भंडारी ‘राजस्थानी जनजागरण सेवा संस्था’ के बैनर तले इसका भव्यतम आयोजन कर राजस्थानी संस्कृति और परंपरा को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। राजस्थानी महिलाओं के लिए यह आयोजन तीर्थ बन चुका है। जहां वे ईसर और गौरा का पूजन किए बिना नहीं रह पाती हैं। भंडारी इस आयोजन में हर साल कुछ नया जोड़ते रहते हैं, जो इसे संपूर्ण पारंपरिक और पारिवारिक आयोजन की शक्ल दे चुका है। अपनी संस्था के माध्यम से वे गरीब, असहाय और विकलांग जोड़ों के सामूहिक विवाह का संपूर्ण खर्च उठाते हैं।
आज गणगौर उत्सव के उपलक्ष्य में राजस्थानी जनजागरण सेवा संस्था द्वारा माहेश्वरी भवन, भायंदर-पश्चिम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस १६ दिवसीय उत्सव का समापन ११ अप्रैल को होगा। मां गौरा का विसर्जन करने आने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से व्यवस्था की गई है। राजस्थानी जनजागरण सेवा संस्था अध्यक्ष गजेंद्र भंडारी ने बताया कि जगह-जगह से आर्इं महिलाएं मां गौरा की पूजा कर विसर्जन की तैयारी करेंगी और उसके बाद सवारी का सैलाब शुरू होगा।
भंडारी के अनुसार, शाम को भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। ऐसा कहा जाता है कि राजस्थानी जहां जाते हैं, वहां अपनी सांस्कृतिक विरासत को साथ ले जाते हैं। इसी उद्देश्य से आज संस्था द्वारा गणगौर उत्सव मनाया जाएगा। बता दें कि पिछले २२ वर्षों से लगातार राजस्थानी जन जागरण सेवा संस्था द्वारा `गणगौर’ का आयोजन होता आ रहा है।
भंडारी ने बताया, `कार्यक्रम में ईसर-गौरा की पूजा के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होंगी। शाम को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिस्पर्धा भी रखी गई है। प्रतियोगियों को आकर्षक पारितोषिक दिए जाएंगे। इस दौरान बेस्ट ड्रेस एवं पांच अन्य विजेताओं को भी पुरस्कृत किया जाएगा। सचिव ओम प्रकाश कावड़िया ने बताया कि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राजस्थानी महिलाएं पारंपरिक वेशभूशा में उपस्थित रहेंगी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा जिला अध्यक्ष रवि व्यास उपस्थित रहेंगे।
अखंड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व
गणगौर का अर्थ है,`गण’ और `गौर’। गण का तात्पर्य है शिव (ईसर) और गौर का अर्थ है पार्वती। वास्तव में गणगौर पूजन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन है। इसलिए यह स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। संस्था के अध्यक्ष गजेंद्र भंडारी बताते हैं कि गणगौर होली के बाद मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं शिवजी और पार्वती जी की पूजा करती हैं।
इन राज्यों में मनाया जाता है गणगौर
गणगौर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों का त्योहार है। इस दिन, कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं, शिवजी और पार्वती जी की पूजा करती हैं। मान्यता है कि शादी के बाद पहला गणगौर पूजन, मायके में किया जाता है। गणगौर के दिन ईसर के साथ गणगौर की सवारी निकाली जाती है।
शिव और पार्वती के पूजन का उत्सव
गणगौर उत्सव वास्तव में शिव और पार्वती के पूजन का महोत्सव है। इसमें ईसर के रूप में शिव पूजे जाते हैं, जबकि भाता पार्वती जी गणगौर होती हैं। इसमें अविवाहित लड़कियां ईसर की पूजा के जरिए मनचाहे पति को पाने की तमन्ना रखती हैं तो दूसरी ओर विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा और दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने के उद्देश्य से इसमें भाग लेती हैं। वे पहले से किए जाने वाले उपवास का समापन इसी दिन करती हैं।
सांस्कृतिक धरोहर का आईना
यह आयोजन राजस्थानी सांस्कृतिक धरोहर का आईना बन चुका है। यह राजस्थान की संस्कृति, रहन-सहन, लोक नृत्य, लोक संगीत और राजस्थानी सांस्कृतिक कलाकारों को सबसे बड़ा मंच प्रदान करता है। इस दिन भायंदर में इसकी शोभायात्रा निकलती है और दोपहर बाद जैसल पार्क चौपाटी पर समंदर के किनारे विशाल प्रांगण में बने मंदिर में इनकी स्थापना की जाती है। यहां महिलाएं ईसर और गणगौर का पूजन करती हैं। इस दौरान शाम से लेकर रात १० बजे तक पारंपरिक राजस्थानी संगीत, नृत्य आदि कार्यक्रम जारी रहता है, जिसमें परफॉर्म करने के लिए राजस्थान से आए हुए विशेष कलाकार अपने राजस्थानी वाद्य के जरिए एक ऐसा जीवंत माहौल बनाते हैं, जिसमें हर राजस्थानी रम जाता है।
गजेंद्र भंडारी
जन्म- १७ सितंबर, १९६८
लोकप्रिय और भव्यतम गणगौर महोत्सव के आयोजक राजस्थानी जनजागरण सेवा संस्था के अध्यक्ष
मार्बल व ग्रेनाइट के व्यवसायी तथा मणिभद्र रियलिटी के मुखिया
अनाथ बच्चों की शिक्षा, वंचित महिलाओं को सिलाई मशीनों के वितरण के अगुआ
मीरा-भायंदर नागरिक संस्था के संरक्षक और राजस्थानी सेवा भारत जैन महामंडल के मीडिया प्रभारी
विलेपार्ले मार्बल डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष व ऑल महाराष्ट्र स्टोन डीलर एसोसिएशन के सेक्रेटरी
जमीन से जुड़ाव हर वृक्ष को लहलहाते हुए रखता है और सांस्कृतिक आयोजन खाद-पानी है, यह मानना है गजेंद्र भंडारी का, जिन्होंने इस महत्व को ध्यान में रखकर दो दशक पहले पहली बार राजस्थान के बड़े सांस्कृतिक महोत्सव गणगौर का आयोजन भायंदर में शुरू किया। देश के हर कोने में भारतीय उद्योग के शिखर पर पहुंचनेवाले राजस्थानियों, विशेषकर महिलाओं की जिंदगी में गणगौर एक अलग महत्व रखता है। राजस्थान के ठेठ कलाकार और उनके लोकनृत्य और वाद्य के अलावा संस्कृतियों को इस आयोजन का अंग बनाते हुए वे हमेशा उसमें कुछ नया जोड़ रहे हैं।’