रामदिनेश यादव
भाजपा नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन में आए दिन मचमच शुरू है। कभी भाजपा और घाती शिंदे गुट तो कभी अजीत पवार गुट से महासंग्राम शुरू है। अब एक बार फिर नासिक सीट को लेकर गद्दार शिंदे गुट और अजीत पवार गुट में लड़ाई तेज हो गई है। दोनों इस सीट पर दावा ठोक रहे हैं। उधर भाजपा इस सीट पर अलग से दावा कर रही है, लेकिन ज्यादा लड़ाई शिंदे गुट और अजीत पवार गुट में देखने को मिल रही है।
दरअसल, इस सीट से शिंदे गुट के सांसद हेमंत गोडसे एक बार फिर उम्मीदवारी पर जोर दे रहे हैं। गोडसे शिवसेना से गद्दारी करते हुए शिंदे के साथ गए हैं। वहीं इस सीट को लेकर एनसीपी अजीत पवार गुट भी पूरी लॉबिंग कर रहा है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह सीट अजीत पवार गुट को मिलेगी। अजीत पवार गुट ने एक बार फिर दावा किया है कि छगन भुजबल नासिक सीट से चुनाव लड़ेंगे।
बता दें कि नासिक में हुई बैठक में असंवैधानिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने एलान किया था कि नासिक से हेमंत गोडसे उम्मीदवार होंगे। इसके बाद नासिक की सीट को लेकर महायुति में दरार पड़ गई। नासिक भाजपा पदाधिकारियों की ओर से दावा किया गया था कि नासिक में भाजपा की ताकत ज्यादा है। इसके बाद छगन भुजबल ने कहा कि दिल्ली से मेरे नाम की चर्चा हुई और नासिक लोकसभा से उन्होंने हामी भर दी। अब एक बार फिर नासिक सीट से महायुति में दरार बढ़ने की तस्वीर सामने आ रही है।
उधर शिंदे गुट के सचिव भाऊसाहेब चौधरी ने दावा किया है कि नासिक से भुजबल नहीं, बल्कि हेमंत गोडसे चुनाव लड़ेंगे। कल भुजबल की उम्मीदवारी घोषित होने की संभावना पर भाई चौधरी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रतिक्रिया दी है।
भाऊसाहेब चौधरी ने कहा कि भुजबल को सीट मिली तो शिंदे गुट के लोग काम नहीं करेंगे। नासिक की सीट हमें मिलेगी। नासिक सीट पर अगले दो दिन में फैसला हो जाएगा। इस सीट को लेकर फैसला दिल्ली आलाकमान करेगा।
बता दें कि शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के बीच इस सीट को लेकर जबरदस्त जंग छिड़ी है। दोनों दलों के नेता दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ये लोग दिल्ली में बैठे भाजपा के आलाकमान से अपने पक्ष में फैसला करवाने के लिए भाजपा पर जोर दे रहे हैं। दावा यह भी किया जा रहा है कि इन दोनों की लड़ाई में भाजपा बाजी मार सकती है। शिंदे गुट और अजीत पवार गुट दोनों में सहमति नहीं बनी तो भाजपा अपना प्रत्याशी यहां से उतार देगी, जिससे इन दोनों को नुकसान ही होगा। इसके अलावा भाजपा की वर्तमान स्थिति भी जगजाहिर है। भाजपा तो खुद ही तोड़-फोड़ की राजनीति के लिए प्रसिद्ध है।