बात क्या है? कहां से आया?
जाने बगैर ही परेशान हो तुम,
किसके लिए आया? क्यों है आया?
जाने बगैर ही परेशान हो तुम,
कुछ तो वजह रही होगी,
कुछ तो बात हुई होगी,
उसके दिल में भी कोई बात दबी होगी,
उन बातों की भी कोई वजह होगी,
खुशी में आया या दु:ख में,
जाने बगैर ही परेशान हो तुम,
हो परेशान तुम,
क्योंकि खुद को जाने नहीं तुम,
वक्त कभी किसी का नहीं होता,
दुनिया के नियम से अनजान हो तुम,
जिसने खुद को नहीं जाना,
दूसरों के सुख-दु:ख को उसने नहीं जाना,
जो कल किसी और का था,
वो आज तुम्हारा है,
जो आज तुम्हारा है,
कल किसी और का हो जाएगा,
उसके परेशानियों का हिसाब क्या है?
जाने बगैर ही परेशान हो तुम,
आने की वजह तो पूछ लेते,
उसका हाल-समाचार तो पूछ लेते,
प्यार से दो मीठे बोल तो बोल लेते,
उसके दिल में क्या है? वो तो जान लेते,
बेवजह ही संसार में कुछ नहीं होता,
अपनी ही गंदी सोच से परेशान हो तुम,
उसके आने की वजह क्या है?
जाने बगैर ही परेशान हो तुम।
– रंजय कुमार, मुंबई