इस दुनिया में जो कुछ भी आपके पास है,
सबका सब परमात्मा की अमानत है।
फिर अमानत का भला गुरूर कैसा?
अमानत को अपना समझना सरासर गलत
और स्वयं को धोखा देना है।
आंखें खोलो यहां कुछ आपका नहीं है।
चाहे आप लाख पकड़ने की कोशिश कर लें,
मगर मुट्ठी में कुछ नहीं आनेवाला।
इस भ्रम से बाहर निकलकर उस परमात्मा का ध्यान करें।
जो सदा से सचमुच आपका अपना है
जिसे आप इस दुनिया की चमक-दमक में भूल चुके हैं
आप प्रेम से अपने बस में कर लें सब अपना हो जाएगा।
-आर.डी. अग्रवाल ‘प्रेमी’ मुंबई