सामना संवाददाता / मुंबई
जब भी पोषण की बात आती है, तब भारत में ओट्स सेगमेंट की अग्रणी कंपनियों में से एक क्वेकर का नाम सबसे पहले सामने आता है। ब्रांड, अपनी ‘बाउल ऑफ ग्रोथ’ पहल के माध्यम से 3 तरह के प्रयासों के साथ बच्चों में कुपोषण की स्थिति को हल करने का प्रयास करता है। क्वेकर के तीन प्रमुख प्रयासों में 3 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को पोषण प्रदान करना, माता-पिता/देखभाल करने वालों में पोषण की समझ विकसित करना और समुदाय में जागरूकता फैलाना शामिल है। महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल है जहां कुपोषण की स्थिति बेहद चिंताजनक है। इसे देखते हुए पुणे के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से चुने गए ब्लॉकों में एक खास पोषण-केंद्रित कार्यक्रम शुरू किया है।
सामुदाय के बीच कुपोषण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए, ब्रांड ने अपनी पहली लॉन्ग-फॉर्मेट वाली एड फिल्म ‘दोहले जेवन पोशांची वाटी’ लॉन्च की है। इस एड फिल्म की कहानी भावनात्मक रूप से बेहद प्रेरक है। यह कहानी न केवल बच्चों में कुपोषण संबंधी समस्या पर ध्यान देने के लिए जरूरी पोषण की आवश्यकता पर बल देती है, बल्कि दर्शकों के साथ गहरा संबंध बनाने के लिए स्थानीय रहन सहन और संस्कृति के तत्वों को भी शामिल करती है।
लॉन्च को लेकर बात करते हुए, श्रावणी बाबू, एसोसिएट डायरेक्टर एवं कैटेगरी लीड – क्वेकर, पेप्सिको इंडिया ने कहा, ”कुपोषण के खिलाफ क्वेकर की लड़ाई की शुरुआत पिछले साल हुई थी।