मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर की उलटन-पलटन : चौधराहट की छटपटाहट

उत्तर की उलटन-पलटन : चौधराहट की छटपटाहट

श्रीकिशोर शाही
एक समय हरियाणा में चौटाला परिवार की चौधराहट हुआ करती थी। पहले चौधरी देवीलाल और बाद में उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने अपना सिक्का जमा रखा था। जब कमान बच्चों के हाथ में आई तो परिवार के साथ ही पार्टी भी बंट गई। ऐसे में चौटाला परिवार कमजोर हो गया। लोकदल से अलग होकर अजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बना ली और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी की बागडोर अभय चौटाला के पास रही। वैसे पार्टी और परिवार के बंटने से हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार का रुतबा घट गया। एक समय कांग्रेस वहां काफी मजबूत थी, बाद में लोकदल का राज रहा। अब भाजपा की चल रही है। इसीलिए सत्ता से काफी समय बाहर रहने के बाद अब चौटाला परिवार को लग रहा है कि कब तक दूसरे दलों की बैसाखी के सहारे सत्ता का समीकरण बनाए रखा जाएगा। अपने बल पर सत्ता तभी आ सकती है, जब परिवार एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरे। इस बात को अजय चौटाला बखूबी समझ रहे हैं, तभी तो एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर बड़े ओपी चौटाला साहब पहल करें तो हम तैयार हैं एकजुट होने के लिए। चौटाला साहब जब भी बुलाएंगे हम जाने को तैयार हैं, मगर इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि अगले चुनाव में दुष्यंत चौटाला ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। अब यह बात शायद अभय चौटाला को चुभ गई। उन्होंने साफ कह दिया कि गद्दारों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है। यह संकेत है कि वह अजय और दुष्यंत को अपने साथ नहीं लेंगे। जब सीनियर चौटाला जीवित हैं तो परिवार को एकजुट होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।

गार्जियन बन गए दुश्मन
यह राजनीति भी बड़ी अजीब चीज है। कल तक जो दोस्त थे वह पलक झपकते दुश्मन बन जाते हैं और जो कल तक एक-दूसरे को गालियां दिया करते थे, दलबदल के बाद वे गले मिल जाते हैं। बिहार की राजनीति में इन दिनों आधा स्पेस अकेले पूर्णिया और पप्पू यादव ने ले रखा है। खबरों में बड़ी पार्टियों के नेता उतने नहीं रहते, जितना अकेले निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने जगह घेर रखी है। पप्पू यादव तो शुरू से ही पूर्णिया से चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे। मगर लालू ने जब बीमा भारती को आनन-फानन में उम्मीदवार बना दिया तो पप्पू आहत हो गए। अब बीमा भारती को तो किसी तरह चुनाव जीतना है सो उन्होंने अपने नामांकन से पहले पप्पू यादव को अपना गार्जियन बता दिया था। उनकी तरफ से तो यह अच्छी पहल थी, मगर जले-भुने पप्पू ने निर्दलीय नामांकन करके बीमा भारती के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इसके बाद बीमा भारती ने अपना तेवर बदला और अभी चंद दिन पहले जिस पप्पू को अपना गार्जियन बता रही थीं, अब उसे अपना दुश्मन बताने के साथ ही भाजपा एजेंट और अजीत सरकार का हत्यारा बता रही हैं। अजीत सरकार मर्डर केस के बारे में बीमा का कहना है कि उन्होंने गरीबों के लिए जो काम किया, उससे एक-एक बच्चा प्रभावित है। उनकी कमी सभी को खलती है। वह गरीबों के मसीहा थे। कहने का मतलब कि बीमा भारती ने पप्पू के खिलाफ तगड़ा मोर्चा खोल दिया है। अब देखना है दोस्ती-दुश्मनी की इस जंग में वोटर क्या रुख अपनाते हैं।

दवा का सवाल है रे बाबा
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है और चुनाव के मौसम में तो यह कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है। दिल्ली की सातों सीट पर इस बार जबरदस्त घमासान देखने को मिलने वाला है। `आप’ और कांग्रेस में सीटों पर समझौता हो चुका है। शराब घोटाले में आप के नेता फंसे हुए हैं। वैसे केंद्रीय जांच एजेंसी `आप’ के नेताओं पर जितना दबाव बढ़ाती है उसके नेता उतने ही आक्रामक रुख अपनाते हैं। दिल्ली के अस्पतालों में दवाएं गायब हो गई हैं। दवाओं के अभाव में मरीज हलकान हैं। इस मामले को उठाने पर लोकसभा चुनाव में असर पड़ सकता है। यही कारण है कि सिर्फ दवा के मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया गया। इस सत्र में `आप’ के सारे विधायकों ने जोर-जोर से अपने क्षेत्र में दवाओं की कमी का मुद्दा उठाया और एलजी को कटघरे में खड़ा कर दिया। स्वास्थ्य मंत्री सौरव भारद्वाज ने खुद मोर्चा संभाल लिया और दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों का डेटा रखते हुए बताया कि किसी भी अस्पताल में मरीजों को पूरी दवा नहीं मिली। सौरव का कहना है कि बार-बार लिखने के बाद भी मुख्य सचिव और हेल्थ सचिव दवाओं की कमी छुपा रहे हैं इसलिए अब वह दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे। इसका मतलब है कि मामला गंभीर है। एक विधायक महेंद्र गोयल ने तो अपने इलाके के एक अस्पताल की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि वहां पर ओपीडी के मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। उन्होंने १४८ दवाओं की सूची सदन में पेश करते हुए दावा किया कि अगर ये दवाएं मिल रही होंगी तो वे इस्तीफा दे देंगे। अब अगर मुख्य सचिव और हेल्थ सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाती है तो जाहिर सी बात है कि आप और भाजपा के बीच घमासान और बढ़ेगा।

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