ठाणे जिला प्रशासन लक्ष्य हासिल करने में रहा असफल
सामना संवाददाता / ठाणे
मां और बच्चे को निरोगी रखने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को जिले में कम प्रतिसाद मिल रहा है। जिले भर में इस योजना के लिए ६१ हजार ७६ गर्भवती महिलाओं के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर एक वर्ष में मात्र १६ हजार २४५ गर्भवती महिलाओं का ही पंजीकरण करने में प्रशासन सफल रहा। इस प्रकार मात्र २५ फीसदी गर्भवती महिलाओं को इसका लाभ मिल पाया है।
बता दें कि गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा हो और प्रसव के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों निरोगी रहें, इसके लिए सुरक्षित मातृत्व के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना सभी जिलों में शुरू की गई है। ठाणे जिले के ग्रामीण क्षेत्र में विशेषकर मुरबाड, शहापुर, भिवंडी, कल्याण और अंबरनाथ तहसीलों में अधिकांश रहिवासी आदिवासी और गरीब तबके के हैं। इन क्षेत्रों में प्रसव के नजदीक पहुंचने वाली गर्भवती महिलाएं अस्पताल जाने के बजाय जादू-टोना, और फर्जी बाबाओं के चक्कर में आ जाती हैं. जिसका मुख्य कारण जागरूकता की कमी को बताया जा रहा है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं स्वास्थ्य केंद्र पर नियमित जांच के लिए नहीं आ रही हंै। आंगनवाड़ी और आशा सेविकाओं को तकनीक की जानकारी न होने के कारण भी ऐसी महिलाओेंं का ऑनलाइन पंजीकरण करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बदलापुर और अंबरनाथ में सबसे कम महिलाओं का पंजीकरण
जिले की पांच महानगरपालिका और दो नगरपालिका क्षेत्र में सबसे अधिक पंजीकरण ठाणे महानगरपालिका क्षेत्र में ४,३१६ महिलाओं का हुआ है,जबकि सबसे कम बदलापुर नगरपालिका क्षेत्र में १०५ महिलाओं का पंजीकरण हुआ है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में तहसीलवार नजर डालें तो सबसे अधिक भिवंडी तहसील में १,४२७ और सबसे कम अंबरनाथ तहसील में २८५ महिलाओं का पंजीकरण किया गया है।
इन महिलाओं को मिलता है लाभ जिला स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ उन महिलाओं को मिलता है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख से कम है। साथ ही इस योजना का लाभ पाने के लिए अनुसूचित जाति-जनजाति की गर्भवती महिलाओं, ४० फीसदी से अधिक दिव्यांग महिला, गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली महिला राशन कार्ड धारक, श्रमिक कार्ड धारक, किसान सम्मान निधि पात्र, मनरेगा योजना का पहचान पत्र अनिवार्य है। साथ ही महिला की उम्र १८ से ५५ के बीच हो, तभी गर्भावस्था के दौरान पोषक आहार और दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।