सामना संवाददाता/ मुंबई
बीएमसी की खराब प्लानिंग और मैनेजमेंट के बारे में क्या कहना। करीब १ साल पहले आम लोगों के इस्तेमाल के लिए खोले गए छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस हिमालय फुट-ओवर ब्रिज का एस्केलेटर मंगलवार को शुरू किया गया। बता दें कि हिमालय ब्रिज को सार्वजनिक उपयोग के लिए एक साल पहले खोल दिया गया था। बीएमसी द्वारा इतने समय के बाद भी पूरी उचित तैयारी कर एस्केलेटर तैयार नहीं किया गया। उधर यात्रियों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें एस्केलेटर तक पहुंचने के लिए १२ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
हिमालय एफओबी पांच साल पहले ढह गया था और सात लोगों की जान चली गई थी। चूंकि इस पुल का इस्तेमाल प्रतिदिन ५०,००० से ज्यादा लोग करते हैं इसलिए बीएमसी ने इसका पुनर्निर्माण करने का पैâसला किया। २०२१ में ५.७५ करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ इसके पुनर्निर्माण के लिए एक टेंडर जारी किया गया था।
एस्केलेटर तक पहुंचने के लिए १२ सीढ़ियां
अंडरग्राउंड उपयोगिताओं को स्थानांतरित करने सहित विभिन्न कारणों से काम में देरी हुई। एफओबी को आखिरकार पिछले साल मार्च में एस्केलेटर के बिना खोला दिया गया था। एस्केलेटर के लिए अलग से प्रावधान किए जाने से अतिरिक्त कार्य लागत १.२५ करोड़ रुपए बढ़ गई, जिसके बाद नवंबर २०२३ में इसका काम शुरू हो गया। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के कारण बीएमसी ने मंगलवार को बिना किसी कार्यक्रम के एस्केलेटर को सार्वजनिक उपयोग के लिए खोल दिया। नियमित यात्रियों ने शिकायत की कि उन्हें एस्केलेटर तक पहुंचने के लिए १२ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। एक नियमित यात्री ने कहा, ‘एस्केलेटर पर विकलांगों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आसानी से पहुंच होनी चाहिए, लेकिन हमें एस्केलेटर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो कई लोगों के लिए असुविधाजनक है।’