सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार के विभिन्न प्राधिकरणों ने म्हाडा पर २,२०० करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यानी बकाया हैं। इस बकाया राशि पर कोई ब्याज या उचित रिफंड म्हाडा को नहीं मिलता है। इसके विपरीत, म्हाडा को बकाया राशि की वसूली के लिए विभिन्न प्राधिकरण से बार-बार पत्र-व्यवहार करना पड़ता है। अगर यह फंड मिल जाता तो म्हाडा की विभिन्न स्व-वित्त पोषित परियोजनाओं में तेजी लाने में मदद मिलेगी और साथ ही किफायती आवास को भी बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि म्हाडा आम आदमी के लिए किफायती दरों पर घर बनाने के लिए राज्य सरकार की संलग्न संस्था है। राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने शिवशाही पुनर्वास परियोजना, धारावी पुनर्वास परियोजना, राज्य सड़क विकास मंडल और महाहाउसिंग मंडल को २,२०० करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। वर्तमान धन और उस पर ब्याज, पुनर्भुगतान के उचित समय पर प्राप्त होने की उम्मीद है। हालांकि, बकाया राशि के लिए लगातार पत्राचार के बावजूद, म्हाडा अभी भी निराशा में है। म्हाडा ने समृद्धि महामार्ग के निर्माण के लिए २०१७ में एमएसआरडीसी को १,००० करोड़ रुपए का भुगतान किया था। चूंकि यह अभी तक वापस नहीं किया गया है इसलिए म्हाडा ने समृद्धि महामार्ग के तहत इतनी ही कीमत की जमीन देने का प्रस्ताव एमएसआरडीसी के सामने रखा है। एमएसआरडीसी ने अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
इन प्राधिकरणों पर बकाया रकम
म्हाडा का एमएसआरडीसी १,००० करोड़, महाहाउसिंग २०० करोड़,धारावी पुनर्विकास परियोजना ७०० करोड़ रुपए, शिवशाही प्रोजेक्ट ३०० करोड़ रुपए बकाया है।
राज्य सरकार ने पहले धारावी में सेक्टर-५ के पुनर्विकास की जिम्मेदारी म्हाडा को सौंपी थी। तदनुसार, म्हाडा ने अपने खजाने से इस जगह का पुनर्विकास शुरू किया। २०१८ में राज्य सरकार ने सेक्टर -५ सहित पूरे क्षेत्र का एकीकृत विकास करने का निर्णय लिया है, जिसे एक विशेष प्रयोजन कंपनी के माध्यम से म्हाडा को सौंप दिया गया था। उन्होंने पांच भवनों को डीआरपी को हस्तांतरित करने का भी आदेश दिया। यह निर्णय लिया गया कि साइट और इमारतों के निर्माण की लागत डीआरपी द्वारा वहन की जाएगी। सितंबर में म्हाडा ने डीआरपी को पत्र लिखकर मांग की कि पांच इमारतों के निर्माण पर खर्च किए गए ६४१.६० करोड़ रुपए और जमीन के लिए ५८.२२ करोड़ रुपए की वसूली की जाए। हालांकि, सात महीने बीत चुके हैं और मुझे पैसे नहीं मिले हैं।