मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर की उलटन-पलटन : मैडम जी,जरा संभलना!

उत्तर की उलटन-पलटन : मैडम जी,जरा संभलना!

श्रीकिशोर शाही
मैडम जी धीरे चलना, चुनाव प्रचार में जरा संभलना, बड़े धोखे हैं इस राह में… अब चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से प्रत्याशी खासकर महिला प्रत्याशी चोट की शिकार हो रही हैं, उसको देखते हुए तो यही गाना गाना पड़ेगा। अब देखिए न, अभी चंद दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सिर में चोट लग गई थी। बहुत खून बहा था। हालांकि, सुनने में आया कि ममता को यह चोट उनके बेडरूम में लगी थी। वैसे आपको पिछला चुनाव तो याद ही होगा, जिसमें उनके पैर में चोट लग गई थी और उन्होंने प्लास्टर बांधकर चुनाव प्रचार किया था। फिलहाल, लोकसभा चुनाव में दिल्ली की ७ सीटें दांव पर लगी हुई हैं। भाजपा ने वहां से पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बिटिया बांसुरी स्वराज को मैदान में उतारा है। बांसुरी सुप्रीम कोर्ट की जानी-मानी वकील हैं। टिकट मिलने के बाद उन्होंने दनादन मीडिया को इंटरव्यू भी दिया है और उनके प्रशंसक उनमें मां सुषमा स्वराज की छवि निहार रहे हैं। खैर, मां का असर अगर बिटिया में है तो यह अच्छी बात है। मगर यह क्या? अचानक बिटिया आंखों पर पट्टी बांधे चुनाव प्रचार करती नजर आर्इं। बस लोगों ने सोशल मीडिया पर बयान बाजी करनी शुरू कर दी। हालांकि, बांसुरी ने अपने घायल होने की खबर सोशल मीडिया पर खुद दी। बांसुरी के अनुसार, चुनाव प्रचार के दौरान उनकी आंख में हल्की चोट लग गई, जिसके बाद उन्होंने मोती नगर इलाके में एक डॉक्टर से इलाज कराया। इसके लिए बांसुरी ने डॉक्टर का शुक्रिया भी अदा किया। चूंकि, बांसुरी चुनाव प्रचार के दौरान घायल हुर्इं इसीलिए तो हमने कहा कि बड़े धोखे हैं इस चुनाव प्रचार की राह में … सो मैडम जी, जरा संभलना…

चुनाव लॉलीपॉप नहीं लागेला
भोजपुरी सिंगर-एक्टर पवन सिंह का एक गाना एक जमाने में सुपरहिट हुआ था, जिसके बोल थे `कमरिया करे लपालप लॉलीपॉप लागेलू…’! पवन सिंह को अब राजनीति के रोग ने चपेट में ले लिया है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें और क्या न करें? आसनसोल से चुनाव लड़ने का ऑफर तो भाजपा ने दिया ही था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। मना करने के बाद भाजपा के दरवाजे तो बंद हो गए, मगर पवन सिंह को आस थी कि लालू प्रसाद उनकी सेवा का लाभ जरूर उठाएंगे। पवन सिंह अपने गृह नगर आरा से चुनाव लड़ना चाहते थे, पर किसी ने भाव ही नहीं दिया। अब अचानक उन्होंने रोहतास की काराकाट सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा करके हलचल बढ़ा दी है। इस सीट से एनडीए की ओर से उपेंद्र कुशवाहा के नाम की घोषणा पहले से ही हो चुकी है। इंडिया गठबंधन की तरफ से भाकपा माले के राजाराम सिंह मैदान में हैं। तो जाहिर सी बात है पवन सिंह के पास विकल्प सीमित है। अब या तो वे वहां से निर्दलीय लड़ लें या फिर आरजेडी या कांग्रेस के सामने लल्लो-चप्पो करें। कुछ भी हो, अब पवन को समझ में आ रहा होगा कि चुनाव में उतरना लॉलीपॉप नहीं है।

क्यों काटा किरण का टिकट?
अभिनेत्री किरण खेर ने १० वर्षों तक लोकसभा में चंडीगढ़ का प्रतिनिधित्व किया है। विरोधी कुछ भी आरोप लगाएं पर लोकसभा में किरण की उपस्थिति का प्रतिशत कई धुरंधर नेताओं के मुकाबले काफी अच्छा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, किरण खेर लोकसभा की कार्रवाइयों में ९५ प्रतिशत उपस्थिति रही हैं। इसके बावजूद उनका टिकट कट गया तो लोग उंगली उठा रहे हैं कि सनी देओल की तरह उन्हें भी क्षेत्र की नहीं पड़ी थी इसलिए उनकी शिकायतें हुई और हार के डर से टिकट कट गया। वैसे किरण खेर के करीबियों के अनुसार यह सच नहीं है। असल में २०१९ के बाद किरण खेर की तबीयत काफी खराब हो गई। २०२१ में उन्हें मल्टीपल मायलोमा नामक बीमारी हो गई जो कि ब्लड वैंâसर का ही एक प्रकार है। बड़ी मुश्किल से किरण खेर ने सरवाइव किया। इसके बाद २०२३ में इसके बाद उन्हें कोरोना हो गया था। वैंâसर जैसी घातक बीमारी से शरीर वैसे ही कमजोर हो जाता है, ऊपर से कोरोना की मार। इस डबल अटैक के बाद अगर कोई शख्स जीवित है तो यह ऊपर वाले का ही आशीर्वाद कहा जाएगा। जाहिर सी बात है किरण खेर चुनाव लड़ने में असमर्थ थीं, क्योंकि अब शरीर वैसी भाग-दौड़ नहीं कर पाएगा। तो अब समझ गए न टिकट नहीं मिलने की असली वजह।

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