सामना संवाददाता मुंबई
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र में महायुति के संभावित उम्मीदवार के रूप में बड़े उत्साह के साथ प्रचार शुरू किया। लेकिन आंतरिक सर्वेें राहुल नार्वेकर के खिलाफ आने की चर्चा है। भाजपा ने उन्हें चुनाव प्रचार की गति धीमी करने का आदेश दिया है। राहुल नार्वेकर का इस संसदीय क्षेत्र से पत्ता कटने की संभावना व्यक्त की जा रही है। बताया जाता है कि विधायक अयोग्यता के मामले को लेकर दिया गया पैâसला ही उन पर भारी पड़ गया है। इतना ही नहीं यहां से भाजपा को सही प्रत्याशी भी नहीं मिल पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण मुंबई से महायुति के उम्मीदवार की अभी तक कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शुरू में चुनाव प्रचार शुरू करने के लिए कहा गया था। इसके बाद राहुल नार्वेकर ने भी चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। इसके तहत होली के मौके पर उन्होंने वर्ली जाकर मतदाताओं से मुलाकात की। लालबाग, कुलबा में मतदाताओं से मिलना शुरू कर दिया था। इस बीच उन्होंने नई दिल्ली जाकर भाजपा नेताओं से मुलाकात की। हालांकि, इस मुलाकात के बाद खबर है कि भाजपा नेताओं ने उन्हें चुनाव प्रचार की गति धीमी करने का आदेश दिया है।
मतदाताओं में नाराजगी
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत अन्य माध्यमों से आंतरिक सर्वे कराया गया था। यह सर्वे कई मौजूदा सांसदों के संबंध किया गया था। खासकर शिंदे गुट के सांसदों के खिलाफ जाने के कारण उनके तीन मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए गए। इसी तर्ज पर राहुल नार्वेकर के खिलाफ आंतरिक सर्वे कराया गया था। सर्वे में पाया गया है कि खासकर मराठी मतदाताओं में विधानसभा में विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर राहुल नार्वेकर के खिलाफ गहरी नाराजगी है। विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर राहुल नार्वेकर ने विरोधी गुट के विधायकों के पक्ष में पैâसला सुनाया। मतदाताओं में यह धारणा है कि राहुल नार्वेकर ने एकतरफा पैâसला दिया। राहुल नार्वेकर को हराने के लिए शिवसैनिक आक्रामक हो गए हैं। इसलिए भाजपा पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है।
आम मतदाओं से अलग है नार्वेकर
आम धारणा यह है कि संभ्रांत लोगों में शामिल राहुल नार्वेकर आम मतदाताओं से अलग हो गए हैं। उनकी छवि पेज थ्री कल्चर की हो गई है। भाजपा को डर है कि इसका असर चुनाव में उन पर पड़ेगा। इसलिए उनका पता काट दिया गया है और भाजपा उनकी जगह पर मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा के नाम पर विचार कर रही है। इसके साथ ही दूसरे मराठा चेहरे की तलाश में भी जुटी हुई है।