दिल्ली से
योगेश कुमार सोनी
बीते बृहस्पतिवार लॉरेंस बिश्नोई और काले राणा गैंग के शार्प शूटर ने करोड़ों की रंगदारी के लिए मोती नगर के विकास शर्मा नामक बिल्डर के घर के बाहर गोलीबारी की। बाहरी उत्तरी जिला पुलिस ने गोलीबारी करने वाले बदमाश को शाहबाद डेयरी इलाके से गिरफ्तार कर लिया है। बदमाश के पास से पुलिस ने एक पिस्टल और दो कारतूस के अलावा गोलीबारी के दौरान पहने कपड़े बरामद किए हैं। पूछताछ में उसने बताया कि सितंबर २०२३ में वह लॉरेंस बिश्नोई, काला राणा और कपिल मान गैंग के एक सदस्य के संपर्क में आया। मार्च २०२४ को उसे सिग्नल ऐप के जरिए ३१ मार्च को नारायणा इलाके में पहुंचने के लिए कहा गया, जहां उसकी मुलाकात एक अन्य लड़के से हुई। वह स्कूटी से उसे लेकर मोती नगर पहुंचा। उसे कहा गया कि बिल्डर विकास शर्मा के घर पर गोलीबारी करनी है और वहां रंगदारी की रकम वाली पर्ची फेंकनी है। दोपहर करीब २ बजे दोनों वहां पहुंचे और गोलीबारी कर फरार हो गए, लेकिन बाद में पकड़े गए। जहां एक ओर सत्ता में बैठी भाजपा सीमाओं को सुरक्षित रखने की हुंकार भरती है, वहीं ऐसी घटनाओं को देखकर लगता है कि हम अपने देश में बैठे गुंडों से तो निपटने में विफल हैं तो हम क्या बाहर आतंकियों से ल़ड़ेंगें। इस समय देश में कई गैंगस्टर उभर रहे हैं। इन पर कई बार बड़ी कार्रवाई की बात कही गई लेकिन इनकी गतिविधियां घटने की बजाय बढ़ रही हैं। टारगेटेड किलिंग में शामिल दिल्ली के क्रिमिनल गैंग्स और सिंडिकेट पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई होने की हुंकार भरी जा रही है। बवाना गैंग और बिश्नोई गैंग से जुड़े लोगों पर भी केंद्रीय एजेंसियां अपना बड़ा प्रहार जताने में लगी हैं लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी यही है कि गैंगस्टरों पर सिर्फ बात ही कही जाती है। उन लोगों द्वारा की गई हत्या, लूटपाट व रंगदारी में कोई कमी नहीं आ रही है। वैसे तो दिल्ली हमारी राष्ट्रीय राजधानी है, जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता, लेकिन गैंगस्टरों ने इस मिथक को तोड़ सा दिया। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो पहले से गैंगस्टर व गैंगवार की घटनाएं बढ़ी हैंै। इसके अलावा सोशल मीडिया पर इनके क्राइम करते व जेल के अंदर से वीडियो शेयर होते हैं, जिससे युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही है और हमारा समाज गलत दिशा की ओर जा रहा है। अब गैंगस्टर गली-गली जन्म लेने लगे हैं। जब सरकार को यह बात पता है कि यह जेल से पूरा गैंग चला रहे हैं तो इनको खत्म क्यों नहीं किया जा रहा है। एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, २०१६ से २०२१ तक हर वर्ष लगभग ६०० वैâदी फरार हुए हैं, जो बहुत बड़ा आंकड़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि गैंगस्टर जेल से ही पूरा सिस्टम चला रहे हैं। यदि जेलों की स्थिति पर गौर करें तो हालात बेहद चिंताजनक है। जेल में कैदियों की सुरक्षा व संचालन प्रक्रिया को लेकर हमेशा सवालिया निशान खड़ा होता रहा है। इसका सजीव उदाहरण एक बार फिर सामने आया, जब हाल ही में दिल्ली स्थित मंडोली जेल में एक कैदी ने पेट दर्द की शिकायत की तो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पता चला कि उसने पेट में मोबाइल निगल रखा था। जब उसकी जांच हुई तो चार मोबाइल निकले। इस घटना ने एक बार फिर एहसास दिलाया कि जेल सुरक्षा केवल बातों और दावों में हैं। इस मामले में दिल्ली की जेलों को लेकर आरटीआई लगाई, जिससे यह जानकारी मिली कि इस वर्ष के जून महीने तक कैदियों के पास से ३२० मोबाइल बरामद किए जा चुके हैं, जो बेहद चौंकाने वाला मामला है। कड़ी सुरक्षा के बाद कैदी जेल के अंदर मोबाइल ले जाने में कामयाब हो जाते हैं। आंकड़ों से स्पष्ट है कि जेल में बड़े पैमाने पर वैâदी मोबाइल लेकर जाते हैं। यह सिर्फ दिल्ली का आंकड़ा है। देश में ऐसी अव्यवस्था कभी देखने को नहीं मिली, जिसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।