एसपी यादव
तीस साल के लंबे इंतजार के बाद एक भारतीय फिल्म आने वाले कान्स फिल्म फेस्टिवल के टॉप कंटेस्टेंट स्लॉट में चलेगी। राइटर-डायरेक्टर पायल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ तीन दशक में पहली फिल्म है जो कान्स में दिखाई जाएगी। अध्यक्ष आइरिस नॉब्लोच और जनरल-प्रतिनिधि थियरी प्रâेमॉक्स ने गुरुवार को इसकी घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि पिछले ३० सालों के बाद कान्स के टॉप कंटेस्टेंट स्लॉट में पहुंचनेवाली यह पहली भारतीय फिल्म होगी। इससे पहले १९८३ में कान्स फिल्म फेस्टिवल में मृणाल सेन की फिल्म ‘खारिज’ दिखाई गई थी। इस बार होनेवाला कान्स फिल्म फेस्टिवल १४ से २५ मई तक चलेगा।
गोल्डन आई अवॉर्ड जीत चुकी हैं पायल कपाड़िया
कभी ‘अमीरों और प्रसिद्ध लोगों के लिए खेल का मैदान’ कहे जानेवाले फ्रेंच रिवेरा पर फेस्टिवल पायल कपाड़िया के लिए कोई नई बात नहीं है। साल २०२१ में उनकी ‘ए नाइट ऑफ नॉट नोइंग नथिंग’ ने कान्स के एक महत्वपूर्ण साइडबार, डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के लिए गोल्डन आई अवॉर्ड जीता था।
महत्वपूर्ण है इस रेस में शामिल होना
पिछले ७७ सालों में कान्स दुनियाभर के सिनेमा का प्रदर्शन कर रहा है। केवल कुछ मुट्ठीभर भारतीय फिल्में ही इसमें शामिल हो पाई हैं। चेतन आनंद की ‘नीचा नगर’ (१९४६), वी शांताराम की ‘अमर भूपाली’ (१९५२), राज कपूर की ‘आवारा’ (१९५३), सत्यजीत रे की ‘पारस पत्थर’ (१९५८), एमएस सथ्यू की ‘गर्म हवा’ (१९७४) और मृणाल सेन की ‘खारिज’ (१९८३) को कान्स में प्रदर्शन का मौका मिला है। ‘नीचा नगर’ भारत की एक अकेली ऐसी फिल्म है, जिसने पाल्मे डी’ और खिताब जीता है।
एक नर्स के जीवन पर आधारित है फिल्म
इंडो- फ्रेंच प्रोडक्शन की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ एक नर्स प्रभा के बारे में बात करती है, जिसे लंबे समय से अलग रह रहे अपने पति से एक दिन अचानक एक उपहार मिलता है। इससे उसकी जिंदगी बदल जाती है। पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बीच उसकी दोस्त और रूम मेट, अनु अपने प्रेमी के साथ रहने के लिए एक शांत जगह ढूंढने की कोशिश कर रही है। आखिरकार, दोनों महिलाएं एक समुद्र से सटे शहर की सड़क यात्रा पर जाती हैं, जहां उन्हें अपने सपनों और इच्छाओं के लिए जगह मिलती है।