संजय राऊत- कार्यकारी संपादक
उद्धव ठाकरे की शिवसेना असली नहीं है बल्कि एकनाथ शिंदे ही बालासाहेब ठाकरे के विचारों के उत्तराधिकारी हैं, ऐसा नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में आकर कहा। मोदी ने हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे का अपमान किया। मैदान में मौजूद सभी योद्धाओं को जेल में डालकर अकेले तलवारबाजी करनेवाले मोदी देश को कहां ले जा रहे हैं?
प्रधानमंत्री पद का पूरा लाव-लश्कर लेकर मोदी महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रचार सभाएं कर रहे हैं। मोदी के महाराष्ट्र में आने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन आचार संहिता लागू होते हुए भी प्रधानमंत्री पद की सुविधाओं का इस्तेमाल करना ये नियम से परे है। यदि टी. एन. शेषन के समय में मोदी ने ऐसा व्यवहार किया होता तो शेषन ने मोदी पर कानूनी कार्रवाई का डंडा उठा दिया होता। देश में लोकसभा चुनाव विषम स्तर पर लड़ा जा रहा है। भाजपा के पास एक तरफ विशाल संसाधन, सरकारी मशीनरी, पुलिस, मीडिया की ताकत है, जबकि विपक्षियों को कुछ भी न मिले, इसके लिए सत्ताधारी हर स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। उनके बैंक खाते भी सरकार ने सील कर दिए हैं। लड़नेवालों के सारे शस्त्र जबरदस्ती छीन लेना और फिर एलान करना कि ‘अब हम ही जीतेंगे’ ऐसा फिलहाल मोदी का चल रहा है। अर्थात महाराष्ट्र का युद्ध ही असली महाभारत है। दुष्टों का मर्दन करना श्रीकृष्ण का उद्देश्य रहा, उसके लिए उन्होंने हर तरह की नीति अपनाई। साधनशुचिता और भीष्म द्वारा निर्धारित युद्ध के नियमों का भी उन्होंने पालन नहीं किया। द्रोण का वध करने के लिए श्रीकृष्ण ने धर्मराज से झूठ बुलवाया। युद्ध के दौरान धर्म ने शल्य से भी कहा, ‘तुम कर्ण को दोष देकर हतोत्सिाहित करो।’ जयद्रथ का वध करना अर्जुन के लिए संभव हो, इसके लिए सूर्य को ढककर उससे छल किया। कर्ण का वध तो संदेहास्पद ही है। मोदी आज राम का जाप करते हैं, लेकिन युद्धभूमि पर सत्य नहीं, बल्कि कपटनीति अपना रहे हैं। कंस ने जिस तरह अपने शत्रुओं यानी सज्जनों को बंदी बनाया, उसी तरह मोदी ने भी किया। युद्धभूमि के सभी योद्धाओं को जेल में डालकर मोदी मैदान में तलवारबाजी कर रहे हैं।
नकली कौन?
मोदी चार दिन पहले चंद्रपुर आए और उन्होंने कहा, ‘एकनाथ शिंदे की शिवसेना ही असली है और वही बालासाहेब ठाकरे के विचारों के उत्तराधिकारी हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना नकली है।’ नरेंद्र मोदी के हाथ में असीमित सत्ता केद्रिंत हो गई है और चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर उन्होंने शिवसेना को शिंदे के हवाले कर दिया। मोदी और उनके लोगों द्वारा की गई मक्कारी है। चंद्रपुर में शिंदे मोदी के मंच पर थे और उनके गले में भाजपा का पटका था। इसलिए नकली शिवसेना ही मोदी के बगल में शरणागत अवस्था में खड़ी थी। शिवसेना किसकी है? ये मोदी तय नहीं कर सकते। कल के लोकसभा चुनाव में जनता इसका पैâसला करेगी। उद्धव ठाकरे की शिवसेना नकली है ऐसा कहकर मोदी ने बालासाहेब ठाकरे को ही झूठा साबित करने की कोशिश की है। शिंदे बालासाहेब के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं, ऐसा कहना शिवसेना के स्वाभिमानी संघर्ष का अपमान है। उद्धव ठाकरे का समर्थन मांगने के लिए अमित शाह ‘मातोश्री’ गए थे। २०१४ और २०१९ में मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा ने उद्धव ठाकरे का ही समर्थन पत्र लिया था। तब शिंदे शिवसेना के मुख्य दायरे में नहीं थे। आज उनके गले में भाजपा का पट्टा डाला गया है। शिंदे को लड़कर कुछ हासिल नहीं हुआ। भाजपा के सामने शरणागति स्वीकार कर आज ये स्थान पाया। ये ऐसे लोग बालासाहेब के विचारों के वाहक वैâसे हो सकते हैं? जिन्हें मोदी ‘असली शिवसेना’ की उपाधि देते हैं, उसी शिवसेना के उम्मीदवारों का पत्ता काटने का काम भाजपा ने किया है। शिंदे के लोगों को उम्मीदवारी दी जाए या नहीं, ये भाजपा तय कर रही है और गले में भाजपा का पट्टा पहने शिंदे चुप हैं। शिंदे ये शिवसेना नहीं हैं, यह मोदी की पार्टी ने ही दिखा दिया है। लोकसभा चुनाव के बाद शिंदे और उनके गुट का क्या होगा? ये कहा नहीं जा सकता। शिंदे और उनके लोगों में लड़ने की ताकत नहीं है। पैसा ही सब कुछ है और इसके बल पर राजनीति की जा सकती है ऐसा माननेवालों में मोदी-शाह हैं और शिंदे भी उसी विचारधारा के हैं इसलिए उनका मोदी-शाह से मेल खाया, लेकिन यह विचारधारा शिवसेना की नहीं हो सकती।
मुद्दों को दरकिनार
लोकसभा चुनाव में कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोदी देश के मुद्दों पर नहीं बोलते। वे विरोधियों के पर कतरने में ही व्यस्त हैं। बेरोजगारी का मुद्दा, भाजपा द्वारा ही किया गया भ्रष्टाचार, देश के सभी भ्रष्ट लोगों को भाजपा में शामिल करना, इस पर मोदी नहीं बोलते। वे विरोधियों पर अत्यंत निचले शब्दों में बोलते हैं। प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति का इतना अधोपतन देश ने कभी नहीं देखा। महंगाई की आग में झुलस रही आम जनता से मोदी का नाता टूट गया है। कई प्रांतों में जातिगत वोट हासिल करने के लिए मोदी ने ‘भारत रत्न’ उपाधि की खैरात बांटकर इस उपाधि का अवमूल्यन किया। मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध रोक दिया, ऐसा कुप्रचार उनके भक्त करते हैं, लेकिन इतने शक्तिमान मोदी अपने देश के युवाओं को नौकरी नहीं दे पाए। क्योंकि मोदी काल में देश में विदेशी निवेश पूरी तरह से बंद हो गया। देश का व्यापारी वर्ग टैक्स और दहशतवाद से तंग आ गया। फिर उनसे चुनावी बॉन्ड के रूप में जो रंगदारी वसूली गई, वो अलग। ऐसे मोदी ने महाराष्ट्र का भारी नुकसान किया और अब वे लोकसभा चुनाव का प्रचार करने के लिए घूम रहे हैं। इन मोदी-शाह को महाराष्ट्र में कदम न रखने दें, ऐसा दहाड़नेवाले राज ठाकरे भी अंतत: अचानक मोदी भजन मंडल में शामिल हो गए। अजीत पवार, शिंदे, हसन मुश्रीफ, वायकर, यशवंत जाधव, तटकरे आदि मंडली जिन वजहों से मोदी भजन मंडल में शामिल हुर्इं, उन्हीं वजहों से राज ठाकरे भी गए क्या? यह सवाल लोगों के मन में उठे बिना नहीं रहेगा। कौन किस पार्टी के साथ जाना चाहता है, यह उनका मुद्दा है। मंच पर खड़े होकर महाराष्ट्र के स्वाभिमान की और महाराष्ट्र पर हुए अन्याय पर गरजना और जिन्होंने महाराष्ट्र पर अन्याय किया उन्हीं की पालकियां उठाना, ये रहस्यमय है। अजीत पवार को मोदी भगवान के अवतार लगने लगे, इस हद तक इस भजन मंडल की बुद्धि का अधोपतन हो गया है। उस भजन में अब नमोनिर्माण की झांझ बजी है!
महाराष्ट्र में क्या?
कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने सभी लोकसभा उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भाजपा, मिंधे-अजीत पवार के गठबंधन का अभी भी परीक्षण चल रहा है। ऐसा माहौल है कि महाराष्ट्र के नतीजे देश की राजनीतिक तस्वीर बदल देंगे। महाराष्ट्र में भाजपा ४५ प्लस सीटें जीतेगी, ऐसा विश्वास देवेंद्र फडणवीस को है। मोदी देश में ४०० से ज्यादा सीटें जीतने की हुंकार भरते हैं, जो बिल्कुल भी संभव नहीं है। ये तय है कि मोदी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। तानाशाही का अंत करीब आ चुका है। किसी भी तरह से चुनाव जीतकर मोदी को देश में संसदीय लोकतंत्र को खत्म करना हैं, राष्ट्रपति व्यवस्था लादकर शासन करना है और ये एक बार हुआ तो देश का लोकतंत्र हमेशा के लिए इतिहास बन जाएगा। क्या ऐसा होने दें?