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बब्बा बोलो ना…रामभरोसे `राम’ की जीत

अरुण कुमार गुप्ता

मेरठ लोकसभा क्षेत्र में इस बार समीकरण कुछ अलग है। मेरठ में जाति का समीकरण भाजपा के पक्ष में नहीं दिख रहा है, लेकिन हिंदुत्ववादी राजनीति के दम पर भाजपा ये सीट निकालना चाहती है। दरअसल, भाजपा ने यहां रामायण के राम को उतारकर पूरे उत्तर प्रदेश को अयोध्या के राम की याद दिलाने की कोशिश की है। भाजपा की पूरी कोशिश है कि चुनाव में वोटर अयोध्या में हुए प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को भी याद रखें। मेरठ लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने दलित वर्ग से आने वाली सुनीता वर्मा को टिकट दिया है और बहुजन समाज पार्टी ने अगड़ी समुदाय से आने वाले देवव्रत त्यागी को चुनावी मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव के मैदान में तीनों ही खिलाड़ी नए हैं, लेकिन `राम’ मेरठ के जातीय समीकरण के जंजाल में फंसते नजर आ रहे हैं। सपा-बसपा का जातीय समीकरण भाजपा की राह में चुनौतियां बन रहा है। मेरठ ऐसी सीट है, जहां अखिलेश यादव ने दो बार अपना उम्मीदवार बदला। ४ अप्रैल को नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन सुनीता वर्मा को मैदान में उतार दिया। अखिलेश यादव ने ओबीसी समुदाय से आने वालीं सुनीता वर्मा को टिकट देकर बाजी पलट दी। अरुण गोविल के सामने सुनीता एक बड़ी चुनौती हैं। ऐसे में अब यही कहा जा रहा है कि भाजपा के राम की जीत `राम’ भरोसे ही है।
लखनऊ में मतदान का बहिष्कार
राजधानी लखनऊ का शहीद भगत सिंह वार्ड विकास के नाम पर काफी पिछड़ा हुआ है। क्षेत्र के निवासी आज भी मूलभूत सुविधाओं सड़क, पानी, सीवर के लिए तरस रहे हैं। यहां की स्थिति देखकर ही इस एरिया में रह रहे लोगों की समस्याओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। अकेले मटियारी कंचन पुरवा की बात करें तो यहां पर करीब ३५ हजार लोग निवास करते हैं, लेकिन सड़क व पानी की समस्या से परेशान हैं। परेशान लोगों ने अब शहीद भगत सिंह वार्ड, इंदिरानगर स्थित पंडित दीनदयाल पुरम योजना (मायावती कॉलोनी) में मतदान बहिष्कार के बैनर लगाए हैं। कॉलोनी की करीब ८० मीटर जर्जर सड़क बनवाने की मांग की है। लंबे समय से इलाके के लोग सड़क बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका यह विरोध कितना कामयाब होता है।
मायावती के मंच से नेता ही नदारद
दलित राजनीति के जरिए राजनीति के पटल पर पहुंचने वाली मायावती की सभाओं में अब जनता ही नहीं मंच से नेता भी नदारद दिखाई दे रहे हैं। एक वक्त था जब बसपा सुप्रीमो मायावती की रैली में लोगों की अपार भीड़ होती थी। समर्थक बिना बुलाए दूर-दूर से उन्हें देखने-सुनने चले आते थे, मगर राजनीति ने करवट ली है। रुड़की हरिद्वार में बसपा उम्मीदवार के समर्थन में आयोजित सभा में इसी तरह का नजारा देखने को मिला। अब रैली के दौरान का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें मंच पर सिर्फ कुछ गार्ड और नारे लगाने वाले कार्यकर्ता ही दिखाई दे रहे हैं। हरिद्वार किसी समय में बसपा का गढ़ माना जाता था। मायावती के मंच पर होने के दौरान भी एक तरफ जहां नेता नदारद दिखे, वहीं पंडाल में लगाई गई करीब चालीस प्रतिशत कुर्सियां भी खाली ही पड़ी रहीं। मायावती ने हरिद्वार लोकसभा सीट से बसपा प्रत्याशी जमील अहमद कासमी, पौडी लोकसभा क्षेत्र प्रत्याशी दीप सिंह बिष्ट और टिहरी लोकसभा प्रत्याशी नेमचंद के पक्ष में मतदान की अपील की। सभा में उपस्थित नाम मात्र की भीड़ को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बसपा उम्मीदवारों के साथ क्या होने वाला है?

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